कनाडा की विफल कानून व्यवस्था: भारतीय छात्रा बनी गोलीबारी का शिकार
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17 अप्रैल, 2025 को, 21 वर्षीय हरसिमरत कौर रंधावा, जो कनाडा में अपने सपनों को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रही थीं, की जिंदगी एक दुखद घटना में समाप्त हो गई। पंजाब के तरन तारन जिले के धुंडा गांव की रहने वाली हरसिमरत, हैमिल्टन, ओंटारियो, कनाडा के मोहॉक कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं।
वह एक बस स्टॉप पर खड़ी थीं, जब दो समूहों के बीच हुई हिंसक झड़प के दौरान एक आवारा गोली ने उनकी जान ले ली। इस घटना ने उनके परिवार और भारत में रहने वाले लाखों लोगों को स्तब्ध कर दिया है, साथ ही कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह ब्लॉग पोस्ट इस हृदय विदारक घटना, इसके प्रभावों और भारतीय छात्रों के सामने आने वाली व्यापक चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।
घटना: एक उज्ज्वल भविष्य का अंत
हरसिमरत कौर रंधावा लगभग दो वर्षों से कनाडा में थीं और मोहॉक कॉलेज में ऑक्यूपेशनल थेरेपी असिस्टेंट/फिजियोथेरेपी असिस्टेंट प्रोग्राम में पढ़ाई कर रही थीं। 17 अप्रैल की शाम, लगभग 7:30 बजे, वह हैमिल्टन, कनाडा के अपर जेम्स स्ट्रीट और साउथ बेंड रोड के पास एक बस स्टॉप पर अपनी अंशकालिक नौकरी के लिए जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थीं।
हैमिल्टन पुलिस के अनुसार, उस समय दो वाहनों—एक काली मर्सिडीज एसयूवी और एक सफेद सेडान—के बीच गोलीबारी की घटना हुई। वीडियो साक्ष्य से पता चला कि एसयूवी में सवार एक व्यक्ति ने सेडान पर गोली चलाई, और इसके बाद दोनों वाहन मौके से फरार हो गए। दुर्भाग्यवश, एक आवारा गोली हरसिमरत की छाती में लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
इस गोलीबारी ने पास के एलनबी एवेन्यू पर एक घर की पिछली खिड़की को भी चकनाचूर कर दिया, जहां लोग टेलीविजन देख रहे थे, और वे बाल-बाल बचे। हैमिल्टन पुलिस ने पुष्टि की कि हरसिमरत का इस झड़प से कोई लेना-देना नहीं था, और वह एक निर्दोष पीड़िता थीं। हत्या की जांच जारी है, और पुलिस 7:15 बजे से 7:45 बजे के बीच के क्षेत्र से डैशकैम या सुरक्षा फुटेज की तलाश कर रही है ताकि अपराधियों की पहचान हो सके।
परिवार का दुख और मदद की गुहार
हरसिमरत के परिवार ने अपनी बेटी को खोने का गहरा दुख व्यक्त किया है, जो बेहतर भविष्य के लिए विदेश गई थी। एक बयान में उन्होंने कहा, “वह लगभग दो साल पहले पढ़ाई के लिए कनाडा गई थी और अपने दैनिक कार्य के लिए निकली थी जब यह घटना हुई। दो समूहों के बीच झड़प के दौरान गोलीबारी हुई, और एक गोली उसे लगी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।”
परिवार ने भारत सरकार से अपील की है कि वे हरसिमरत के शव को जल्द से जल्द स्वदेश लाने में मदद करें ताकि वे उसका अंतिम संस्कार कर सकें और शांति पा सकें। साथ ही, वे अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और दोषियों को पकड़ने के लिए अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।
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टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा, “हैमिल्टन, ओंटारियो में भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा की दुखद मृत्यु से हम बहुत दुखी हैं। स्थानीय पुलिस के अनुसार, वह एक निर्दोष पीड़िता थीं, जो दो वाहनों के बीच हुई गोलीबारी में एक आवारा गोली का शिकार बनीं। हत्या की जांच चल रही है। हम उनके परिवार के साथ निरंतर संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं।”
मोहॉक कॉलेज, जहां हरसिमरत एक सम्मानित छात्रा थीं, ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। कॉलेज के प्रवक्ता सीन कॉफी ने कहा, “हरसिमरत रंधावा की मृत्यु की खबर से हम बहुत दुखी हैं। मोहॉक कॉलेज समुदाय की सदस्य के रूप में, हम जानते हैं कि इस नुकसान का असर कई लोगों पर पड़ा है, और हम हरसिमरत के दोस्तों, परिवार और व्यापक कॉलेज समुदाय का हर संभव समर्थन करेंगे।”
बढ़ती चिंता: कनाडा में भारतीय छात्रों की सुरक्षा
हरसिमरत की मृत्यु कोई अकेली घटना नहीं है। पिछले पांच वर्षों में, कनाडा में विदेश में भारतीय छात्रों की मृत्यु की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2019 से जुलाई 2024 तक 172 भारतीय छात्रों की मृत्यु हुई, जिनमें से कम से कम नौ हिंसक हमलों से जुड़ी थीं। कनाडा में वर्तमान में 400,000 से अधिक भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं, और ऐसी घटनाएं उनके लिए बढ़ते खतरे को उजागर करती हैं।

हाल की घटनाएं इस चिंताजनक प्रवृत्ति को और स्पष्ट करती हैं। अप्रैल 2022 में, गाजियाबाद के 21 वर्षीय कार्तिक वासुदेव की टोरंटो मेट्रो स्टेशन के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपनी अंशकालिक नौकरी के लिए जा रहे थे। दिसंबर 2024 में, कुरुक्षेत्र की 23 वर्षीय सिमरनजीत कौर की कथित तौर पर सरे, ब्रिटिश कोलंबिया में उनके साझा आवास में हत्या कर दी गई।
सिमरनजीत की मृत्यु से कुछ दिन पहले, पंजाब की 22 वर्षीय रितिका राजपूत की केलोना में एक बोनफायर के दौरान पेड़ गिरने से मृत्यु हो गई। अप्रैल 2024 में, 24 वर्षीय चिराग अंतिल को वैंकूवर में एक कार के अंदर गोली मारकर मृत पाया गया। ये घटनाएं उन खतरों को दर्शाती हैं, जिनका सामना भारतीय छात्र विदेश में कर रहे हैं।
व्यवस्थागत समस्याएं और कार्रवाई की मांग
भारतीय छात्रों की बार-बार होने वाली मौतें कुछ गहरी व्यवस्थागत समस्याओं की ओर इशारा करती हैं। कई अंतरराष्ट्रीय छात्र, विशेष रूप से भारत से, आर्थिक दबावों का सामना करते हैं, और अपनी पढ़ाई और जीवन यापन के खर्चों को पूरा करने के लिए अंशकालिक नौकरियां करते हैं, जो कभी-कभी असुरक्षित वातावरण में होती हैं। हरसिमरत, उदाहरण के लिए, अपनी नौकरी के लिए जा रही थीं जब उनकी मृत्यु हुई। इसी तरह, कार्तिक वासुदेव और जिबिन बेनॉय, जो 2022 में एक हिट-एंड-रन में मारे गए थे, भी अपनी अंशकालिक नौकरियों से संबंधित यात्रा कर रहे थे।
आलोचकों का तर्क है कि कनाडा का अंतरराष्ट्रीय छात्र कार्यक्रम, हालांकि आर्थिक रूप से लाभकारी है, पर्याप्त समर्थन प्रणालियों की कमी से जूझ रहा है। ओंटारियो की आधिकारिक विपक्षी नेता पैगी सैटलर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अक्सर अपर्याप्त संसाधनों और सुरक्षा उपायों के साथ छोड़ दिया जाता है।
निष्कर्ष: एकजुटता और सुधार की आवश्यकता

हरसिमरत कौर रंधावा की मृत्यु न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह उन हजारों भारतीय छात्रों के लिए एक चेतावनी है जो विदेश में अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। कनाडा और भारत की सरकारों, साथ ही शैक्षणिक संस्थानों, को अंतरराष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इसमें बेहतर समर्थन प्रणालियां, सुरक्षित कार्य वातावरण, और हिंसक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त उपाय शामिल होने चाहिए।
हरसिमरत के परिवार को उनके दुख में हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। उनकी स्मृति में, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए कि कोई अन्य परिवार को ऐसी त्रासदी का सामना न करना पड़े। यह समय है कि हम एकजुट होकर उन नीतियों और प्रथाओं में सुधार की मांग करें जो हमारे छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।