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Operation Sindoor: बदला पूरा! आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर भारतीय हवाई हमलों में ढेर

Operation Sindoor: बदला पूरा! आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर भारतीय हवाई हमलों में ढेर

अब्दुल रऊफ अजहर

7- 8 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर था, जब भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के डिप्टी चीफ और कुख्यात आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर के मारे जाने की खबर ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। यह ब्लॉग पोस्ट अब्दुल रऊफ अजहर के आतंकी इतिहास, ऑपरेशन सिंदूर, और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करता है।

अब्दुल रऊफ अजहर: आतंक का पर्याय

अब्दुल रऊफ अजहर, जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर का छोटा भाई, एक ऐसा नाम था जिसने भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया। वह 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 के अपहरण का मास्टरमाइंड था, जिसके परिणामस्वरूप मसूद अजहर सहित तीन आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। इसके अलावा, वह 2001 के भारतीय संसद हमले, 2005 के अयोध्या मंदिर हमले, 2016 के पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले, और 2019 के पुलवामा हमले में शामिल था, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे।

अब्दुल रऊफ अजहर का आतंकी नेटवर्क तालिबान, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, और हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों से जुड़ा था। वह न केवल हमलों की योजना बनाता था, बल्कि आतंकियों को प्रशिक्षण और संसाधन भी प्रदान करता था। अब्दुल रऊफ अजहर ने पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरिदके में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविरों को संचालित किया, जहां आतंकियों को भारत के खिलाफ हमलों के लिए तैयार किया जाता था।

पहलगाम हमला: ऑपरेशन सिंदूर का ट्रिगर

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को निर्णायक कार्रवाई के लिए मजबूर किया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने खुलासा किया कि इस हमले के पीछे द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) था, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक मोर्चा है। इस हमले ने भारत को यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है।

अब्दुल रऊफ अजहर

7 मई की रात को शुरू हुए “ऑपरेशन सिंदूर” में भारतीय वायुसेना ने 24 सटीक मिसाइलों के साथ पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट, और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुजफ्फराबाद, कोटली, और भिंबर जैसे क्षेत्रों में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इन हमलों में 70-80 आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई, जिसमें अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल था।

ऑपरेशन सिंदूर: एक सटीक और गैर-उत्तेजक कार्रवाई

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंदूर को “सटीक, मापा गया, और गैर-उत्तेजक” करार दिया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सैन्य सुविधाओं को निशाना नहीं बनाया गया, बल्कि केवल आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया। भारतीय सेना ने रात 1:05 बजे से 1:30 बजे तक 25 मिनट के भीतर यह कार्रवाई पूरी की। बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह, पूरी तरह नष्ट हो गया, जहां मसूद अजहर के 10 परिवार वालों और चार सहयोगियों की भी मौत हुई।

मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के मार्कज तैबा को भी निशाना बनाया गया, जहां हाफिज अब्दुल मलिक जैसे हाई-वैल्यू आतंकी मारे गए। भारतीय सेना की इस कार्रवाई में सैटेलाइट इमेज और ड्रोन फुटेज का उपयोग किया गया, जिसने हमलों की सटीकता को सुनिश्चित किया।

अब्दुल रऊफ अजहर की मौत: इस्लामिक आतंक को एक बड़ा झटका

अब्दुल रऊफ अजहर की मौत की खबर सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सामने आई, जहां कई उपयोगकर्ताओं ने दावा किया कि वह बहावलपुर में भारतीय हमले में मारा गया। बाद में, भारतीय समाचार एजेंसियों जैसे इंडिया टुडे और एनडीटीवी ने इसकी पुष्टि की। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वह हमले में घायल हुआ था, लेकिन अधिकांश स्रोतों ने उसकी मृत्यु की पुष्टि की।

अब्दुल रऊफ अजहर

रऊफ अजहर की मौत जैश-ए-मोहम्मद के लिए एक बड़ा झटका है। वह संगठन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण नेता था और इसके संचालन में उसकी अहम भूमिका थी। उसकी अनुपस्थिति में जैश का नेतृत्व और संगठन कमजोर होने की संभावना है। इसके अलावा, यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति का एक स्पष्ट संदेश है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने भारतीय हमलों को “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया और जवाबी हमले की धमकी दी। पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया कि हमलों में 21-31 लोग मारे गए, जिनमें नागरिक और बच्चे शामिल थे। पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलाबारी शुरू की, जिसमें तीन भारतीय नागरिक मारे गए। पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि उसने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया।

पाकिस्तानी सेना और जमात-उद-दावा (JuD) के सदस्य मुरिदके में मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जिससे पाकिस्तान का आतंकियों के प्रति समर्थन उजागर हुआ। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई और भारत के खिलाफ “मजबूत जवाब” देने की बात कही।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, चीन, रूस, और यूनाइटेड किंगडम ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि “विश्व भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव को बर्दाश्त नहीं कर सकता।” अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पाकिस्तान से आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। चीन ने भारत के हमलों को “खेदजनक” बताया, जबकि ईरान ने मध्यस्थता की पेशकश की।

अब्दुल रऊफ अजहर

भारत में प्रभाव

भारत में ऑपरेशन सिंदूर को व्यापक समर्थन मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना की प्रशंसा की और इसे “न्याय की जीत” बताया। देशभर में नागरिक सुरक्षा अभ्यास आयोजित किए गए, और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्कूल बंद कर दिए गए। हालांकि, कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार से हमलों के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करने को कहा।

अब्दुल रऊफ अजहर की मौत भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण जीत है। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल जैश-ए-मोहम्मद को कमजोर किया है, बल्कि पाकिस्तान को यह संदेश भी दिया है कि भारत आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है, और आने वाले दिन क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

यह कार्रवाई भारत की सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता को दर्शाती है। लेकिन, साथ ही यह भी सवाल उठता है कि क्या यह तनाव युद्ध में तब्दील होगा, या दोनों देश शांति की दिशा में कदम उठाएंगे। विश्व समुदाय की नजरें अब इस क्षेत्र पर टिकी हैं।

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