डकैती और हत्या का बादशाह: 1 लाख के इनामी असद का मथुरा में एनकाउंटर
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9 मार्च 2025 की सुबह, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक ऐसी घटना घटी, जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को चौंका दिया, बल्कि पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की मजबूती का संदेश भी दिया। मथुरा पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने एक मुठभेड़ में कुख्यात अपराधी फाती उर्फ असद को ढेर कर दिया।
असद, जिस पर डकैती, हत्या और लूट जैसे 36 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज थे, पिछले कई सालों से फरार था और उस पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह एनकाउंटर मथुरा के हाईवे थाना क्षेत्र में हुआ, और इसके साथ ही छैमार गैंग के सरगना की आपराधिक कहानी का अंत हो गया। इस ब्लॉग में हम असद के जीवन, उसके अपराधों और इस एनकाउंटर के पीछे की कहानी को विस्तार से जानेंगे।
असद उर्फ फाती: एक कुख्यात अपराधी का उदय
फाती उर्फ असद का जन्म हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर इलाके में हुआ था। उसके पिता का नाम यासिन बताया जाता है, और वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता था। लेकिन उसकी जिंदगी ने जल्द ही अपराध की राह पकड़ ली। असद का आपराधिक सफर 2003 में शुरू हुआ, जब उसने जम्मू-कश्मीर के कठुआ में पहली बार डकैती की घटना को अंजाम दिया। इसके बाद उसने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में अपने अपराधों का जाल फैलाया। वह छैमार गैंग का सरगना था – एक अंतरराज्यीय अपराधी गिरोह, जो लूट, डकैती और हत्या जैसे संगीन अपराधों के लिए कुख्यात था।
असद की क्रूरता और चालाकी ने उसे पुलिस के लिए एक बड़ा सिरदर्द बना दिया था। उसके खिलाफ 36 से ज्यादा मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या, डकैती, लूट और हथियारों का अवैध इस्तेमाल शामिल था। उसने न सिर्फ आम लोगों को डराया, बल्कि कई इलाकों में दहशत का पर्याय बन गया था। उसकी गिरफ्तारी के लिए कई बार कोशिशें की गईं, लेकिन वह हर बार पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। 1 लाख रुपये का इनाम घोषित होने के बाद भी वह लंबे समय तक फरार रहा, जो उसकी चालाकी और नेटवर्क की ताकत को दर्शाता है।
मथुरा में मुठभेड़: घटना का पूरा विवरण
9 मार्च 2025 की सुबह, मथुरा के हाईवे थाना क्षेत्र में पुलिस को सूचना मिली कि असद और उसके कुछ साथी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं। डीआईजी/एसएसपी शैलेश पांडे के नेतृत्व में पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने इलाके में घेराबंदी शुरू की। सूत्रों के मुताबिक, असद एक घर में छिपा हुआ था, और उसके पास भारी मात्रा में हथियार थे। जब पुलिस ने उसे सरेंडर करने की चेतावनी दी, तो उसने जवाब में फायरिंग शुरू कर दी।
इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। मुठभेड़ में असद को गोली लगी, और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस उसे तुरंत अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस एनकाउंटर में असद के तीन साथी मौके से फरार होने में कामयाब रहे, जिनकी तलाश में पुलिस अब छापेमारी कर रही है। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने असद के पास से एक पिस्तौल, कारतूस और कुछ अन्य सामान बरामद किया, जो उसकी आपराधिक मंशा को और पुख्ता करता है।
छैमार गैंग: अपराध का एक काला अध्याय
असद छैमार गैंग का सरगना था, जो उत्तर भारत में अपने क्रूर अपराधों के लिए जाना जाता था। इस गैंग का नाम “छैमार” इसलिए पड़ा, क्योंकि ये लोग छह लोगों के समूह में वारदात को अंजाम देते थे। यह गैंग ग्रामीण इलाकों में डकैती, लूट और हत्या के लिए कुख्यात थी। असद ने इस गैंग को संगठित कर कई राज्यों में अपना आतंक फैलाया। उसकी चालाकी यह थी कि वह वारदात के बाद इलाका बदल देता था, जिससे पुलिस के लिए उसे पकड़ना मुश्किल हो जाता था।
उसके अपराधों की सूची लंबी है। 2012 में शामली में उसने एक डकैती के दौरान हत्या की थी, जिसने उसे सुर्खियों में ला दिया। इसके बाद उसने राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में भी कई वारदातों को अंजाम दिया। उसके गैंग के सदस्य ग्रामीण इलाकों में रात के अंधेरे में घरों में घुसते, लूटपाट करते और विरोध करने वालों को मौत के घाट उतार देते थे। असद का आतंक इतना था कि लोग उसके नाम से ही काँपते थे।
पुलिस की कामयाबी: एक संदेश
इस एनकाउंटर को उत्तर प्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। पिछले कुछ सालों में यूपी पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है, और असद का एनकाउंटर इसी नीति का हिस्सा है। डीआईजी शैलेश पांडे ने मुठभेड़ के बाद कहा, “असद एक खतरनाक अपराधी था, जिसके खिलाफ कई राज्यों में मामले दर्ज थे। उसकी मौजूदगी इलाके के लिए खतरा थी, और हमने उसे ढेर कर एक बड़ी वारदात को टाल दिया।”
यह एनकाउंटर न सिर्फ मथुरा के लोगों के लिए राहत की बात है, बल्कि यह अपराधियों के लिए भी एक सख्त संदेश है कि कानून से बचना आसान नहीं है। पुलिस अब असद के बाकी साथियों की तलाश में जुटी है, ताकि छैमार गैंग को पूरी तरह खत्म किया जा सके।
असद का आपराधिक नेटवर्क
असद अकेला नहीं था। उसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क था, जो उसे हथियार, पनाह और जानकारी मुहैया कराता था। पुलिस को शक है कि उसके कुछ रिश्तेदार और स्थानीय लोग भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे। उसकी फरारी के दौरान वह अलग-अलग जगहों पर छिपता रहा, और कई बार उसने अपनी पहचान बदलकर पुलिस को चकमा दिया। यह भी संदेह है कि उसके तार कुछ बड़े अपराधी गिरोहों से जुड़े थे, जो उसे आर्थिक मदद देते थे।
उसके पास से बरामद हथियारों की मात्रा इस बात का सबूत है कि वह किसी बड़ी साजिश की तैयारी में था। पुलिस अब उसके फोन रिकॉर्ड और संपर्कों की जाँच कर रही है, ताकि उसके नेटवर्क का पता लगाया जा सके। यह जाँच न सिर्फ छैमार गैंग को खत्म करने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में ऐसी वारदातों को रोकने में भी अहम होगी।
समाज पर प्रभाव
असद जैसे अपराधियों का अंत समाज के लिए राहत की बात है, लेकिन यह सवाल भी उठाता है कि आखिर युवा अपराध की राह क्यों चुनते हैं? असद की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि गरीबी, शिक्षा का अभाव और गलत संगति कैसे किसी को अपराधी बना सकती है। उसकी मृत्यु से उसके परिवार पर क्या बीतेगी, यह भी एक मानवीय पहलू है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन यह सच है कि उसकी आपराधिक गतिविधियों ने कई परिवारों को बर्बाद किया था, और उसका अंत उन पीड़ितों के लिए न्याय का प्रतीक है।
कानून व्यवस्था की मजबूती
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों में एनकाउंटर की घटनाएँ बढ़ी हैं, और यह सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति का हिस्सा है। असद का एनकाउंटर इस बात का सबूत है कि पुलिस अब अपराधियों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसी घटनाओं की निष्पक्ष जाँच हो, ताकि आम लोगों का भरोसा कानून पर बना रहे।
असद उर्फ फाती की कहानी एक काले अध्याय का अंत है। 36 केस, 1 लाख का इनाम और 20 साल से ज्यादा का आपराधिक इतिहास – यह सब उसकी जिंदगी का हिस्सा था। मथुरा में हुआ यह एनकाउंटर न सिर्फ पुलिस की सतर्कता का सबूत है, बल्कि यह भी बताता है कि अपराध का अंत निश्चित है। असद की मृत्यु से कई सवाल उठते हैं – क्या उसका नेटवर्क खत्म हो पाएगा? क्या समाज ऐसी घटनाओं से सबक लेगा? यह वक्त हमें सोचने और बदलाव की दिशा में कदम उठाने का है। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा समाज बनाएँ, जहाँ अपराध की कोई जगह न हो।