ईरान-पाकिस्तान का नया याराना
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की तीन दिनों से पाकिस्तान दौरे और दोनों देश के बीच बातचीत के बाद संयुक्त वक्तव्य जारी होने का कदापि यह अर्थ नहीं की दोनों के बीच दोस्ती बहुत ज्यादा बढ़ गई है | दोनों के बीच रिश्तों में अभी भी ऐसे ही तनाव हैं, जिन्हें संयुक्त वक्तव्य से पहले सुलझाया नहीं गया |
वैसे दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर समन्वय है, जैसे मजहब, तहजीब, बिरादर मूल के नाम पर दोनों एक मंच पर नजर आते हैं, लेकिन बहुत से मुद्दों पर बुनियादी कसमकश है | पाकिस्तान में सुन्नी बहुमत है और ईरान में शिया | पाकिस्तान में सुन्नी कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया जाता है, तो ईरान में शिया कट्टर पंथ को | पाकिस्तान मेंशियायों का दमन होता है और ईरान में सुनियो का | जहां तक राजनीतिक, कूटनीतिक संबंध का सवाल है, ये दोनों देशों के बीच पारस पर एक सम्मान सहमत नहीं है |
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पाकिस्तान के लिए ईरान के साथ-साथ सऊदी अरब भी जरूरी
गौर करने वाली बात यह है कि फिलहाल सऊदी अरब ईरान के आपस में एक समझौता कर रखा है, पर दोनों के बीच लगभग 1500 साल पुरानी है, यह अरब और अजम की लड़ाई है, और सिया और सुन्नी लड़ाई है, इस्लाम पर इसका दबदबा होगा, इसकी लड़ाई हैं | मात्र एक संधि कर लेने से लड़ाई नहीं सुलझी है |
यहाँ सऊदी अरब का जिक्र इसलिए जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान सऊदी अरब पर ज्यादा निर्भर रहे | पाकिस्तान की रिश्ते ईरान के साथ तभी खराब हुए, जब ईरान और सऊदी के बीच रिश्ते खराब हुए और तब पाकिस्तान शिकारगाह का बन गया | इस वजह से पाकिस्तान में शिया सुन्नी फसाद भी फैले |
पर्शिया और पाकिस्तान ने एक दूसरे पर किया था हमला
जनवरी में ही ईरान और पाकिस्तान के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया कि पर्शिया ने पाकिस्तान पर मिसाइल दागे और पाकिस्तान ने भी मिसाइल से जवाब दिया | पाकिस्तान से दहश्तगर्द ईरान जाकर हमले करते हैं और ईरानी सुरक्षा बल ने कई बार पाकिस्तान सीमा में अंदर जाकर दहशतगर्दों का मुकाबला किया है |
हालांकि, ऐसे मामले को पहले दबाया दिया जाता था, पर इस बार जनवरी में जो हुआ, वह प्रत्यक्ष तौर पर हुआ, दोनों ने एक दूसरे के ऊपर मिसाइल दागे | दोनों मुल्कों ने महसूस किया कि आपस में जो तनाव है, उसमें इजाफा नहीं करना चाहिए, पहले से ही दोनों मुल्कों के समक्ष संघर्ष के अनेक मुद्दे हैं |
दोनों देशों के बीच ताजा बातचीत व संयुक्त वक्तव्य तनाव कम करने की कोशिश है, मगर इसका अर्थ यह नहीं की दोनों के बीच प्रगाढ़ दोस्ती हो जाएगी जैसा कि बताने की कोशिश हो रही है | दोनों देशों ने यह बात की है कि हमें परस्पर व्यापार बढ़ाना चाहिए, तय किया गया कि अगले 5 साल में परस्पर व्यापार को 10 अरब डालर तक ले जाएंगे, पर ऐसा कैसे होगा?
दोनों मुल्क एक दूसरे को क्या बेचेंगे, क्या खरीदेंगे? इसका जवाब नहीं दिया गया | पर्शिया पर अमेरिकी प्रतिबंध भी लगे हैं, तब पाकिस्तान अपने साथ अपने व्यापार को कितना बढ़ा सकता है? दोनों देशों के बीच एक मुद्दा गैस पाइपलाइन का है | गैस पाइपलाइन परियोजना में पहले भारत भी था, पर इसमें अकल मंदी की ओर समझौते से अलग हो गया | अब वह सिर्फ पाकिस्तान पर्शिया के बीच का पाइपलाइन है | समस्या यह है कि पाकिस्तान केपास पैसे नहीं है|
दुनिया में कोई भी पाकिस्तान को पैसे नहीं देगा, क्योंकि ईरान पर प्रतिबंध है | एक आशंका यह भी रहेगी, मान लीजिए, पर्शिया में संबंध बढ़ाने पर पाकिस्तान पर भी प्रतिबंध लग जाए, तो क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था नुकसान झेल पाएगी? अब पाकिस्तान इसी कोशिश में है कि ईरान के साथ भी संबंध बढ़ाये और अमेरिका को भी भरमा रक्खे उसे लगता है कि बीच का कोई रास्ता निकल आएगा | फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी पाकिस्तान ने काफी कड़ी मुद्रा अख्तियार कर रखी है |
जबकि अरब के ज्यादातर मुल्क इतने मुखर नहीं है, पाकिस्तान ने अगर फिलिस्तीन के मामले में पर्शिया की तरफ सीधे हस्तक्षेप किया, तो समस्या हो जाएगी |
इसके बाद आतंकवाद का विषय आता है | संयुक्त वक्तव्या में कहा गया कि दोनों देश आतंकी गुटों पर प्रतिबद्ध लगाएंगे | बोलने के लिए या आसान है, पर यहां सवाल लिया है कि अगर आप किसी गिरोह को आतंकी मानते हैं? पाकिस्तान मांगता है कि बहुत सारे बलोच स्वतंत्रता सेनानी है, उन्होंने ईरान में शरण ले रखी है |
क्या पर्शिया इस पर प्रतिबंध लगाएगा? आगामी दिनों में ईरान शायद इसकी लगाम कुछ कसेगा, पर देश से पूरी तरह खदेड़गा नहीं, क्योंकि ईरान अभी भी पूरी तरह से पाकिस्तान पर यकीन नहीं करता है | ठीक यही बात है कि पाकिस्तान के साथ है | ईरान मांनता है उसके यहां बहुत सारी दहशतगर्द तंजीमे हैं, जो पाकिस्तान से संचालित हैं, उन्हें पाकिस्तान सरकार की सह हांसिल है इन तंजीमो को इसराइल और अमेरिका से भी मदद मिल रही है|
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