इस्माइल हनीयेह: फिलिस्तीनी राजनीतिक परिदृश्य में एक संदिग्ध अग्रणी

image 77

इस्माइल हनीयेह: फिलिस्तीनी राजनीतिक परिदृश्य में एक संदिग्ध अग्रणी

इस्माइल हनीयेह

गाजा सिटी, फिलिस्तीन – मध्य पूर्वी राजनीतिक मुद्दों की जटिल और नियमित रूप से हिंसक दुनिया में, इस्माइल हनीयेह की तरह कुछ ही व्यक्ति ध्रुवीकरण और आलोचनात्मक हैं। हमास के एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता और फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सुरक्षा के पूर्व प्रधान मंत्री, हनीयेह का प्रभाव गाजा पट्टी से बहुत दूर तक फैला हुआ है, जो क्षेत्र की व्यापक भू-राजनीतिक लड़ाइयों में आता है। यह लेख इस्माइल हनीयेह के जीवन, सत्ता में आने और उनके निरंतर प्रभाव के बारे में बताता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

29 जनवरी, 1962 को गाजा में अल-शती विस्थापित व्यक्ति शिविर में जन्मे, इस्माइल हनीयेह इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के क्रूर तत्वों के बीच बड़े हुए। उनका परिवार, जो मूल रूप से अश्कलोन के पास एक शहर अल-जुरा से था, 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान उजड़ गया था। उजाड़ और कठिनाई के इन शुरुआती अनुभवों ने हनीयेह के विश्वदृष्टिकोण और राजनीतिक झुकाव को गहराई से प्रभावित किया। हनीयेह ने गाजा में अपनी शिक्षा प्राप्त की, 1987 में गाजा के इस्लामिक कॉलेज से अरबी लेखन में डिग्री के साथ स्नातक किया।

अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान, वह मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गए, जिसने हमास, इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन में उनके भविष्य की भूमिका की नींव रखी। #### हमास में वृद्धि हमास, 1987 में प्रथम इंतिफादा के दौरान स्थापित हुआ, जल्दी ही फिलिस्तीनी राजनीति में एक प्रमुख शक्ति बन गया, जिसने प्रसिद्ध फिलिस्तीन में एक इस्लामिक राज्य की स्थापना का समर्थन किया। हनीयेह की भक्ति और अधिकार कौशल ने उन्हें संगठन के भीतर तेजी से आगे बढ़ाया।

1990 के दशक के मध्य तक, वह हमास के राजनीतिक ब्यूरो में एक प्रमुख व्यक्ति थे। 1992 में, इस्माइल हनीयेह को अन्य हमास नेताओं के साथ इजरायल द्वारा दक्षिणी लेबनान में खदेड़ दिया गया था। इस घटना ने विकास के भीतर उनकी स्थिति को और मजबूत किया। अपनी वापसी के बाद, उन्हें गाजा के इस्लामिक कॉलेज के गणमान्य व्यक्ति के रूप में नामित किया गया, एक ऐसा पद जिसने उन्हें हमास में नए लोगों को प्रभावित करने और चुनने की अनुमति दी।

इस्माइल हनीयेह

प्रधान पादरी का कार्यकाल

इस्माइल हनीयेह के राजनीतिक करियर में महत्वपूर्ण मोड़ जनवरी 2006 में आया जब हमास ने फिलिस्तीनी राजनीतिक फैसलों में भारी जीत हासिल की। ​​हनियाह को फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्रतिनिधि का प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया, एक ऐसा पद जिसने उन्हें फतह पार्टी और विश्व समुदाय के साथ समन्वय संघर्ष में ला खड़ा किया।

प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में उल्लेखनीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा। विश्व समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने हमास के नेतृत्व वाली सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया, समूह द्वारा हिंसा को वापस लेने और इज़राइल को मान्यता देने से इनकार करने का हवाला देते हुए। इससे गंभीर वित्तीय अवरोध और आंतरिक संघर्ष की स्थिति पैदा हुई, जो 2007 में हमास और फतह के बीच के क्रूर दौर में पूर्ण रूप से सामने आया। एक संक्षिप्त लेकिन दुष्ट संघर्ष के बाद, हमास ने गाजा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया, जबकि फतह ने पश्चिमी तट पर नियंत्रण बनाए रखा।

अधिकार और शासन

2007 के विभाजन के बाद से, इस्माइल हनीयेह गाजा के हमास के प्रशासन में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। उनके अधिकार की शैली तर्क और नियमित रूप से मिस्र के हस्तक्षेप के माध्यम से इजरायल के साथ गुप्त व्यवस्थाओं को बंद करने की उत्सुकता से पहचानी जाती है। अपने कट्टर रुख के बावजूद, हनीयेह ने इजरायल के साथ कुछ युद्धविराम समझौतों को बरकरार रखा है, लेकिन अनियमित सफलता के साथ।

यह भी पढ़ें: वायनाड आपदा: विनाशकारी बाढ़ के बीच मरने वालों की संख्या 100 के पार

हमास के नेतृत्व में गाजा में दयालु परिस्थितियाँ निराशाजनक रही हैं। इजरायल-मिस्र की अवरोध, अंदरूनी राजनीतिक विभाजन और इजरायल के साथ बार-बार होने वाले संघर्षों ने एन्क्लेव के ढांचे और अर्थव्यवस्था को कुचल दिया है। दोष खोजने वालों का तर्क है कि हमास के आक्रामक रवैये और प्रशासन की असफलताओं ने गाजा के निवासियों की पीड़ा को और बढ़ा दिया है। हालाँकि, हनीयेह के समर्थक इस बात पर कायम हैं कि वह इजरायली आक्रामकता के खिलाफ फिलिस्तीनी अधिकारों की एक स्थायी ढाल हैं।

इस्माइल हनीयेह

वैश्विक संबंध और राजनीतिक प्रयास

पिछले कुछ दशकों में, हनीयेह ने हमास के वैश्विक संबंधों को मजबूत करने के लिए काम किया है, खासकर ईरान, कतर और तुर्की के साथ। इन संगठनों ने मिलकर हमास को वित्तीय और राजनीतिक समर्थन दिया है, जिससे उसे वैश्विक अलगाव के बावजूद गाजा में अपनी स्थिति बनाए रखने में मदद मिली है।

इस्माइल हनीयेह की यात्राएँ और सुलह के प्रयास विवादों से दूर नहीं रहे हैं। 2019 में, वे तुर्की और ईरान गए, जहाँ उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और उनके इजरायल विरोधी रुख के साथ एकजुटता का संचार किया। इन यात्राओं ने हमास की क्षेत्रीय सांठगांठ को रेखांकित किया, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों से भी प्रतिक्रिया मिली, जो उन्हें तानाशाही शासन के साथ तालमेल बिठाते हुए देखते हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

2024 तक, इस्माइल हनीयेह फ़िलिस्तीनी विधायी मुद्दों और व्यापक मध्य पूर्वी परिदृश्य में एक केंद्रीय व्यक्ति बने रहेंगे। हमास के उनके अधिकार ने इज़राइली-फ़िलिस्तीनी संघर्ष और फ़िलिस्तीन के आंतरिक विधायी मुद्दों के तत्वों को आकार देना जारी रखा है। गाजा में बढ़ते दयालु आपातकाल और धीमी शांति योजना के साथ, हनीयेह के विकल्प और कार्यप्रणाली क्षेत्र के भविष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

संक्षेप में, इस्माइल हनीयेह का जीवन और करियर फिलिस्तीनी विधायी मुद्दों की जटिलताओं और विसंगतियों का प्रतीक है। विस्थापित व्यक्ति शिविर में अपने शुरुआती दिनों से लेकर हमास के प्रशासन तक, हनीयेह ने संघर्ष, बहुमुखी प्रतिभा और विवाद से घिरे एक रास्ते की खोज की है। उनकी विरासत के बारे में आने वाले लंबे समय तक चर्चा की जाएगी, क्योंकि फिलिस्तीनी और वैश्विक समुदाय क्षेत्र में शांति और स्थिरता हासिल करने की चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

ईरान के परमाणु ठिकाने खतरे में

image 114
परमाणु

ईरान के हमलों के बाद जवाब में इजराइल उसके परमाणु ठिकानों पर हमले कर सकता है| खुद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रासी ने इस बात की चिंता जताई है|

उनका यह बयान इजराइली सेना प्रमुख के उस बयान के बाद आया है, जिसमें कहा गया कि इजरायल, ईरान के ड्रोन-मिसाइल के हमलों का जवाब जरूर देगा| ग्रासी ने बताया कि ईरान ने सुरक्षा कारणों से अपने परमाणु ठिकानों को बंद कर दिया था| उसे अंदेशा था कि इजराइल इसी पर हमला करेगा, हालांकि सोमवार को उसने परमाणु ठिकानों को फिर से शुरू कर दिया गया|

ग्रासी से जब ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजराइली हमलों की संभावनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम हमेशा इस संभावना के बारे में चिंतित हैं| उन्होंने इजराइल से शांत रहने की अपील की है|

यह भी पढ़ें: नरेंद्र मोदी 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद

ईरान ने दी थी परमाणु संयंत्रों को बंद करने की सूचना

ग्रासी ने बताया कि ईरान पर परमाणु संयंत्रों को बंद करने के बारे में वहां मौजूद हमारे निरीक्षकों को सूचित किया गया था| उन्होंने बताया कि हमारे निरीक्षक प्रतिदिन वहाँ का निरीक्षण कर रहे हैं| आईएईए के महानिदेशक का कहना है कि परमाणु निरीक्षकों को तब तक दूर रखा गया है जब तक कि हम देख नहीं लेते की स्थिति पूरी तरह से शांत है की नहीं|

हमलों के बाद में बेंजामिन नेतन्याहू पांचवी बार युद्ध कैबिनेट की बैठक बुला चुके हैं| स्पष्ट नहीं है कि वह सीधे जवाब देगा या उसके हितों या सहयोगियों पर हमला करेगा| लेबनान के ईरान समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्ला ने मंगलवार को कहा कि उसने इजराइल पर 2 ड्रोन हमले किए हैं| इजरायल ने भी इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि इस हमले में 3 लोग घायल हुए हैं|

परमाणु

इजराइल ने 32 देशों को लिखा पत्र

इजरायल के विदेश मंत्री बेनी काट्ज़ ने 32 देशों को लेटर लिखा है| इसमें उन्होंने ईरान के मिसाइल प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है| इसके अलावा उन्होंने ईरान की सेना की ब्रांच इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को आतंकी संगठन घोषित किए जाने की मांग की है| काट्ज़ ने कहा है कि इसके जरिए ईरान को कमजोर करने में मदद मिलेगी| इससे पहले की बहुत देर हो जाए|

ईरान से निपटने का इजराइल का तरीका सही

इजराइल जब से अस्तित्व में आया है, इस्लामिक देशों ने उसका जीना मुश्किल कर रखा है| बकायदा संयुक्त राष्ट्र ने यहूदियों को अपनी ऐतिहासिक भूमि पर बसने की अनुमति दी थी, मगर एक दिन भी ऐसा नहीं बीता होगा कि वे चैन की सांस ले सके| सारी कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अमेरिका और पश्चिमी देशों की सहायता से इजरायल ने काफी ऊंचा मुकाम हासिल किया है|

कहते हैं, अमेरिका के सर्वाधिक धनी लोगों में से यहूदियों की तादाद बहुत अधिक है और शायद यही वजह है कि पूंजीवादी अमेरिकी सत्ता-प्रतिष्ठान पर उनकी पकड़ ज्यादा है| आखिर ईरान उन्हें चैन से क्यों नहीं रहने देता?हमास के फिलिस्तीनी चरमपंथियों के साथ-साथ वह इस क्षेत्र के दूसरे आतंकी संगठनों को धन व हथियार देकर उकसाता रहा है कि वे इजराइल को तबाह कर दे|

ऐसे में, ईरान से निपटने के इजराइल के तरीके को गलत कैसे ठहराया जा सकता है? सिर्फ एक मस्जिद की आड़ को लेकर इस्लामिक देश 21वी सदी में भी खून-खराबे का समर्थन करते हैं| इजरायल आखिर करें, तो क्या करें? अपने अस्तित्व के आगे चुनौतियों को देखकर वह कैसे खामोश रह जाए?

यदि कोई भी देश हमारे लोगों को प्रताड़ित करेगा या हमारी संप्रभुत्ता का उल्लंघन करेगा, तो क्या हम उसे करारा जवाब नहीं देंगे? इजराइल अब तक वही तो करता आ रहा है| जब-जब उस पर हमला किया गया तो उसने उसका ठोस जवाब दिया है| क्या कोई जिम्मेदार सरकार यह नहीं करेगी?

बात-बात पर इजरायल को अत्याचारी देश बतलाया जाता है, लेकिन यहूदियों के साथ सदियों से जो अन्याय हुआ, उसका क्या? इजराइल को कमतर समझने वाले या तो मूर्ख देश हैं या फिर बेहद क्रूर, क्योंकि या तो वे बिना सोचे समझे ही उस पर हमला करते हैं उसका क्या नतीजा हो सकता है या फिर वे समझते हैं कि इस हिंसा में उनका अपना काम तो बना रहा है|

परमाणु

फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष मानवता के जिस्म का एसा नासूर है, जो लगातार बहे जा रहा है और दुनिया के आका वैद्य माने जाने वाले राष्ट्र भी उसका उपचार नहीं कर पा रहे हैं| दरअसल, ईरान की सरकार घरेलू मोर्चे पर बढ़ते नागरिक असंतोष से हलाकान है| औरतों के खिलाफ उसकी दमनकारी नीतियों के कारण दुनिया भर में उनकी थू-थू हो रही है, इसलिए अपने लोगों व दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए उसने बहाना बनाकर इजराइल पर हमला बोला, मगर दुनिया को उसकी मनसा भी समझनी चाहिए और इजरायल की मजबूरी भी|

यह भी पढ़ें: आर-पार के मूड में है इजरायल, कैबिनेट मीटिंग में दे दी ईरान के खिलाफ हमले की मंजूरी

इजराइल-ईरान युद्ध: 300 बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागने के बावजूद ईरान को मिली असफलता

image 102
मिसाइल

ईरान ने रविवार तड़के इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइलें और क्रूज मिसाइलें दाग दी है| इजराइली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि दागी गयी सभी मिसाइलों और ड्रोन में से 99% को हवा में ही नष्ट कर दिया गया है|

हमले के बाद ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं| अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम देशों और संयुक्त राष्ट्र ने हमले की कड़ी निंदा की है|

यह भी पढ़ें: अमेरिका ने इजरायल की तरफ बढ़ाया हाथ, ईरान ने कब्जा किया पोत जिस पर 17 भारतीय मौजूद

हमले का बदला लेगा ईरान

सीरिया में 1 अप्रैल को हुए हवाई हमले में ईरानी वाणिज्य दूतावास में दो ईरानी जनरल के मारे जाने के बाद ईरान ने बदला लेने का प्रण लिया था| ईरान ने हमले के पीछे इजराइल का हाथ होने का आरोप लगाया थ|

ईरान दोगुनी ताकत से हमला करेगा

ईरान ने बयान जारी कर कहा कि अगर इजराइल ने हमले का जवाब दिया तो उस पर दोगुनी ताकत से वार करेंगे| ईरान ने अमेरिका को भी मदद नहीं करने की चेतावनी दी है| ईरान ने 1969 की इस्लामी क्रांति के बाद शुरू हुई, दशकों पुरानी दुश्मनी के बाद इजरायल पर पहली बार सीधे तौर पर हमला किया है|

इजराइल ने कहा कि हमला अभी समाप्त नहीं हुआ है

इजरायली सेवा के प्रवक्ता हैगारी ने कहा कि इजराइली नागरिकों की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक है, सेना वह करेगी| उन्होंने कहा कि हमला अभी समाप्त नहीं हुआ है, दर्जनों इजरायल के युद्धक विमान आकाश में चक्कर लगा रहे हैं|

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान

उन्होंने रविवार को कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष से बने हालात चिंताजनक है| उन्होंने तत्काल तनाव कम करने का आह्वान किया| उन्होंने कहा कि अभी हमने लोगों को इजराइल या ईरान की यात्रा न करने की सलाह दी है| साथ ही उन देशों में पहले से मौजूद भारतीय लोगों से अत्यधिक सावधानी बरतने को कहा है|

भारतीय लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

इजराइल में भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है| यह नंबर हैं- +989128109115, +98993179567, +989932179359, +98-21-88755103-5, इन नंबर पर लोगों को सहायता मिलेगी|

मिसाइल

इजराइल के मजबूत रक्षा कवच को भेद नहीं पाई ईरानी मिसाइलें

ईरान ने दे-दनादन इजराइल पर 300 मिसाइलें और ड्रोन दागकर दहशत पैदा तो कर दी लेकिन इजराइल के अभेद्य तीन स्तरीय सुरक्षा कवच की वजह से नुकसान ज्यादा नहीं हो पाया| इजरायल के ऐरो एरियल डिफेंस सिस्टम ने ईरान के हथियारों को धराशाई कर दिया|

रक्षा सूत्रों के अनुसार, इजरायल की सेना तीन स्तरीय हथियार आयरन ड्रोन, डेविड स्लिंग और ऐरो डिफेंस सिस्टम की वजह से 99 फीसदी ड्रोन और मिसाइल को नष्ट करने में सफल रही है| इन हथियारों में पेट्रियट और आयरन बीम भी प्रमुख रूप से शामिल है| यह भी जान लीजिये कि पिछले साल हमास के ड्रोन और मिसाइल हमले के दौरान भी इन सभी हथियारों की मदद से इजरायल ने हमास के हथियारों को मार गिराया था और खुद की सीमा को सुरक्षित कर लिया था|

तेहरान में मनाया गया जश्न

इजराइल पर ईरान की ओर से किए गए हमले के बाद ईरान की राजधानी तेहरान में जश्न मनाया गया| देर रात मध्य तेहरान में कई लोग जुटे और मार्च निकाला| उसी के साथ-साथ हमास ने भी रविवार को इजराइल पर ईरान के हमले का स्वागत किया फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ने बयान में कहा कि हमास में ईरान के इस्लामी गणराज्य द्वारा किए गए सैन्य अभियान को एक प्राकृतिक अधिकार मानते हैं|

ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस, नाम रखा

इजराइल पर हमले को ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’ कोडनाम दिया है| इस ऑपरेशन से इजराइल में दहशत की स्थिति पैदा हो गई है| हमले की वजह से अचानक भयावह स्थिति हो गई और लोग भागने लगे| इस घटना में 10 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है|

भारतीय दूतावास के संपर्क में है सभी भारतीय

इजराइल में भारतीय दूतावास ने ईरान के हमले के बाद अपने नागरिकों के लिए रविवार को एक नया महत्वपूर्ण परामर्श जारी करा जिसमें उन्हें शांतचित्त रहने और सुरक्षा प्रोटोकॉल के पालन करने की सलाह दी है| भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया के पोस्ट में कहा कि वह इजराइल के अधिकारियों तथा भारतीय समुदाय के सदस्यों के संपर्क में हैं|

इसी घटना के साथ एयर इंडिया की फ्लाइट अस्थाई तौर पर निलंबित कर दी गई है| ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के चलते रविवार को एयर इंडिया ने इसरायली राजधानी तेल अवीव के लिए उड़ाने अस्थाई रूप से निलंबित करने का फैसला किया|

मिलिट्री में ईरान और इजरायल के बीच कौन किस पर भारी?

दुनिया के 145 देशों में ताकतवर मिलिट्री के मामले में ईरान 14वें स्थान पर है, जबकि इजराइल 17वें स्थान पर है| हालांकि, सेना के मामले में ईरान से आगे इजराइल नजर आ रहा है|

मिसाइल

ईरान के पास जहां 42,000 वायु सैनिक है, तो दूसरी तरफ इजरायल के पास 89,000 वायु सैनिक मौजूद हैं| 3.50 लाख थल सैनिक है ईरान के पास, तो वही इजरायल के पास 5.26 लाख थल सैनिक है| 18,500 नौसैनिक हैं इस समय ईरान के पास, तो वही इजरायल के पास इस समय 19,500 नौसैनिक हैं|

इसी के साथ-साथ इजरायल द्वारा विकसित आयरन डोम मिसाइल डिफेंस प्रणाली कम दूरी के रोकटों को मार गिराने में माहिर है| यह एक एयर डिफेंस शील्ड है, जिसका पूरा नाम आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है| इस प्रणाली की सफलता दर 90% से अधिक है| इसमें एक इंटरसेप्टर लगा होता है, जो सभी मौसम में कार्य करने में सक्षम है|

और पढ़ें: इजराइल पर अटैक से पहले 48 घंटे का नोटिस दिया, तुर्किये ने अमेरिका को बताया था

अमेरिका ने इजरायल की तरफ बढ़ाया हाथ, ईरान ने कब्जा किया पोत जिस पर 17 भारतीय मौजूद

image 95
अमेरिका

ईरान ने ओमान की खाड़ी में होर्मुज के पास एक इजरायली पोत को रोक कर कब्जे में ले लिया| इसे ईरान की ओर ले जाया गया है| इस घटना के बाद दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया है| पोत पर चालक दल के 25 सदस्य भी सवार हैं, जिसमें भारत के 17 नागरिक भी हैं|

पोत जब ईरान के जल क्षेत्र से गुजर रहा था तो ईरानी नौसैनिक इकाई के विशेष बलों ने पोत पर हमला बोला| यह सभी हेलीकॉप्टर से पोत पर उतरे और कुछ समय में पोत को कब्जे में ले लिया| इस पर पुर्तगाल देश का राष्ट्रीय ध्वज लगा था और इसका संचालन लंदन स्थित जोडियाक मैरिटाइम कंपनी कर रही थी, जो इजरायली अरबपति इयाल ओफर के जोडियाक ग्रुप का हिस्सा है|

यह भी पढ़ें: क्या इजराइल और ईरान के बीच युद्ध होने वाला है?

अंतिम बार यूएई में रुका था पोत

एमएससी एरीज नाम का एक पोत आखिरी बार संयुक्त अरब अमीरात के बंदरगाह पर रुका था और बीते शुक्रवार को रवाना हुआ| देर शाम जोडियाक ग्रुप ने पोत पर कब्जे की पुष्टि की है| हमले की जानकारी पहले देते हुए ब्रिटिश सेना के मैरिटाइम ट्रेड ऑपरेशंस ने कहा कि घटना अमिराती शहर फुजैराह के पास ओमान खाड़ी में हुई|

इजराइल ने समुद्री डकैती बताया

इजराइली मंत्री काट्ज़ ने ईरान के इस अभियान को समुद्री डकैती करार दिया और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है|उन्होंने ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकी संगठन बताते हुए कहा कि, विश्व के देशों को इस मामले में दखल देना चाहिए| उधर, ईरान-इजरायल तनाव के बीच मध्य पूर्व पर तत्काल परामर्श के लिए जो बाइडन ने डेलावेयर की अपनी साप्ताहिक यात्रा में कटौती की है| व्हाइट हाउस ने ईरान से जप्त किए गए पोत को तुरंत रिहा करने का आह्वान किया है|

अमेरिका ने और सैनिक भेजने की घोषणा की

ईरान की पोत पर कब्जे के बाद अमेरिका ने घोषणा की कि वह अशांत क्षेत्र में और अधिक सैनिक भेज रहा है| ईरान की इजराइल पर हमले की धमकी के बाद अमेरिका ने ऐलान किया था कि वह इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा है|

अमेरिका

भारतियों की रिहाई के लिए ईरान के संपर्क में भारत सरकार

विशेष सूत्रों के अनुसार, भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं| सरकार ने बताया है कि हम भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए तेहरान और दिल्ली में राजनाइकों के संपर्क में है| अमेरिका ने भी पोत को छोड़ने के लिए कहा है| ओमान की खाड़ी में होर्मुज में ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा कब्जाए गए इजराइली मालवाहक पोत एमएससी एरीज पर सवार भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए भारत सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं|

ईरान द्वारा पोत को नियंत्रण में लेने की सूचना के बाद भारत सरकार ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी संभव प्रयास शुरू कर दिए हैं| विशेष सूत्रों के अनुसार, सरकार ने कहा, मालवाहक पोत एमएससी एरीज को ईरान द्वारा नियंत्रण में लेने की जानकारी मिली है| हमें पता चला है की पोत पर भारतीय नागरिक मौजूद हैं| हम भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, कल्याण और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तेहरान और दिल्ली दोनों जगहों पर राजनिक चैनलों के माध्यम से ईरानी अधिकारियों के संपर्क में है| इस घटना की वीडियो में नजर आ रहा हैं की हेलीकॉप्टर से ईरानी कमांडो पोत पर उतरते हैं और उसे कब्जे में ले लेते हैं|

ईरान के हवाई क्षेत्र से नहीं गुजर रहे हैं भारतीय विमान

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालातों को देखते हुए भारतीय विमान ईरान के हवाई क्षेत्र से नहीं गुजर रहे हैं| भारतीय विमान कंपनियों ने इसके लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना शुरू कर दिया है| भारतीय विमान यूरोप और मध्य पूर्व के लिए अपना रास्ता बदल रहे हैं| एयर इंडिया और विस्तारा की ओर से इसकी पुष्टि की गई है| भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों से ईरान की यात्रा न करने की अपील की है|

बाइडेन ने कहा कि इजराइल पर हमला न करे ईरान

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजराइल पर जल्द ईरान का हमला होने की आशंका जताई, साथ ही ईरान को चेतावनी दी है कि वह ऐसा ना करे| उन्होंने साफ किया कि अमेरिका इजरायल की सुरक्षा के लिए संकल्पबद्ध है| हम इजराइल का समर्थन करते हैं| अमेरिका इजरायल की सुरक्षा में सहायता देगा और इरान सफल नहीं हो पाएगा|

अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति का यह स्पष्ट संदेश इजराइल पर हमले को तैयार ईरान के लिए है| इसी बीच अमेरिका ने अपने विमान वाहक युद्धपोत यूएसएस आइजनहावर को लाल सागर के रस्ते इजरायल के लिए रवाना कर दिया है| यह युद्धपोत इसराइल पर ईरान के हमले को रोकने में मदद करेगा| व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि मध्य-पूर्व के देशों में तैनात अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा के लिए भी इंतजाम बढ़ाए जा रहे हैं|

1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरान के दूतावास पर हवाई हमले में सीनियर जनरल समेत ईरानी सेना के 7 सैन्य अधिकारियों के मारे जाने के बाद ईरान ने इजराइल को दंडित करने का ऐलान किया है| इससे यह आशंका पैदा हुई है कि ईरान किसी भी समय इजराइल पर हमला कर सकता है|

और पढ़ें: इजरायल ईरान तनाव के बीच, एयर इंडिया ने तेल अवीव की फ्लाइट पर लगाई रोक