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ईरान के परमाणु ठिकाने खतरे में

परमाणु

ईरान के हमलों के बाद जवाब में इजराइल उसके परमाणु ठिकानों पर हमले कर सकता है| खुद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रासी ने इस बात की चिंता जताई है|

उनका यह बयान इजराइली सेना प्रमुख के उस बयान के बाद आया है, जिसमें कहा गया कि इजरायल, ईरान के ड्रोन-मिसाइल के हमलों का जवाब जरूर देगा| ग्रासी ने बताया कि ईरान ने सुरक्षा कारणों से अपने परमाणु ठिकानों को बंद कर दिया था| उसे अंदेशा था कि इजराइल इसी पर हमला करेगा, हालांकि सोमवार को उसने परमाणु ठिकानों को फिर से शुरू कर दिया गया|

ग्रासी से जब ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजराइली हमलों की संभावनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम हमेशा इस संभावना के बारे में चिंतित हैं| उन्होंने इजराइल से शांत रहने की अपील की है|

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ईरान ने दी थी परमाणु संयंत्रों को बंद करने की सूचना

ग्रासी ने बताया कि ईरान पर परमाणु संयंत्रों को बंद करने के बारे में वहां मौजूद हमारे निरीक्षकों को सूचित किया गया था| उन्होंने बताया कि हमारे निरीक्षक प्रतिदिन वहाँ का निरीक्षण कर रहे हैं| आईएईए के महानिदेशक का कहना है कि परमाणु निरीक्षकों को तब तक दूर रखा गया है जब तक कि हम देख नहीं लेते की स्थिति पूरी तरह से शांत है की नहीं|

हमलों के बाद में बेंजामिन नेतन्याहू पांचवी बार युद्ध कैबिनेट की बैठक बुला चुके हैं| स्पष्ट नहीं है कि वह सीधे जवाब देगा या उसके हितों या सहयोगियों पर हमला करेगा| लेबनान के ईरान समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्ला ने मंगलवार को कहा कि उसने इजराइल पर 2 ड्रोन हमले किए हैं| इजरायल ने भी इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि इस हमले में 3 लोग घायल हुए हैं|

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इजराइल ने 32 देशों को लिखा पत्र

इजरायल के विदेश मंत्री बेनी काट्ज़ ने 32 देशों को लेटर लिखा है| इसमें उन्होंने ईरान के मिसाइल प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है| इसके अलावा उन्होंने ईरान की सेना की ब्रांच इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को आतंकी संगठन घोषित किए जाने की मांग की है| काट्ज़ ने कहा है कि इसके जरिए ईरान को कमजोर करने में मदद मिलेगी| इससे पहले की बहुत देर हो जाए|

ईरान से निपटने का इजराइल का तरीका सही

इजराइल जब से अस्तित्व में आया है, इस्लामिक देशों ने उसका जीना मुश्किल कर रखा है| बकायदा संयुक्त राष्ट्र ने यहूदियों को अपनी ऐतिहासिक भूमि पर बसने की अनुमति दी थी, मगर एक दिन भी ऐसा नहीं बीता होगा कि वे चैन की सांस ले सके| सारी कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अमेरिका और पश्चिमी देशों की सहायता से इजरायल ने काफी ऊंचा मुकाम हासिल किया है|

कहते हैं, अमेरिका के सर्वाधिक धनी लोगों में से यहूदियों की तादाद बहुत अधिक है और शायद यही वजह है कि पूंजीवादी अमेरिकी सत्ता-प्रतिष्ठान पर उनकी पकड़ ज्यादा है| आखिर ईरान उन्हें चैन से क्यों नहीं रहने देता?हमास के फिलिस्तीनी चरमपंथियों के साथ-साथ वह इस क्षेत्र के दूसरे आतंकी संगठनों को धन व हथियार देकर उकसाता रहा है कि वे इजराइल को तबाह कर दे|

ऐसे में, ईरान से निपटने के इजराइल के तरीके को गलत कैसे ठहराया जा सकता है? सिर्फ एक मस्जिद की आड़ को लेकर इस्लामिक देश 21वी सदी में भी खून-खराबे का समर्थन करते हैं| इजरायल आखिर करें, तो क्या करें? अपने अस्तित्व के आगे चुनौतियों को देखकर वह कैसे खामोश रह जाए?

यदि कोई भी देश हमारे लोगों को प्रताड़ित करेगा या हमारी संप्रभुत्ता का उल्लंघन करेगा, तो क्या हम उसे करारा जवाब नहीं देंगे? इजराइल अब तक वही तो करता आ रहा है| जब-जब उस पर हमला किया गया तो उसने उसका ठोस जवाब दिया है| क्या कोई जिम्मेदार सरकार यह नहीं करेगी?

बात-बात पर इजरायल को अत्याचारी देश बतलाया जाता है, लेकिन यहूदियों के साथ सदियों से जो अन्याय हुआ, उसका क्या? इजराइल को कमतर समझने वाले या तो मूर्ख देश हैं या फिर बेहद क्रूर, क्योंकि या तो वे बिना सोचे समझे ही उस पर हमला करते हैं उसका क्या नतीजा हो सकता है या फिर वे समझते हैं कि इस हिंसा में उनका अपना काम तो बना रहा है|

परमाणु

फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष मानवता के जिस्म का एसा नासूर है, जो लगातार बहे जा रहा है और दुनिया के आका वैद्य माने जाने वाले राष्ट्र भी उसका उपचार नहीं कर पा रहे हैं| दरअसल, ईरान की सरकार घरेलू मोर्चे पर बढ़ते नागरिक असंतोष से हलाकान है| औरतों के खिलाफ उसकी दमनकारी नीतियों के कारण दुनिया भर में उनकी थू-थू हो रही है, इसलिए अपने लोगों व दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए उसने बहाना बनाकर इजराइल पर हमला बोला, मगर दुनिया को उसकी मनसा भी समझनी चाहिए और इजरायल की मजबूरी भी|

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इजराइल-ईरान युद्ध: 300 बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागने के बावजूद ईरान को मिली असफलता

मिसाइल

ईरान ने रविवार तड़के इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइलें और क्रूज मिसाइलें दाग दी है| इजराइली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि दागी गयी सभी मिसाइलों और ड्रोन में से 99% को हवा में ही नष्ट कर दिया गया है|

हमले के बाद ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं| अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम देशों और संयुक्त राष्ट्र ने हमले की कड़ी निंदा की है|

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हमले का बदला लेगा ईरान

सीरिया में 1 अप्रैल को हुए हवाई हमले में ईरानी वाणिज्य दूतावास में दो ईरानी जनरल के मारे जाने के बाद ईरान ने बदला लेने का प्रण लिया था| ईरान ने हमले के पीछे इजराइल का हाथ होने का आरोप लगाया थ|

ईरान दोगुनी ताकत से हमला करेगा

ईरान ने बयान जारी कर कहा कि अगर इजराइल ने हमले का जवाब दिया तो उस पर दोगुनी ताकत से वार करेंगे| ईरान ने अमेरिका को भी मदद नहीं करने की चेतावनी दी है| ईरान ने 1969 की इस्लामी क्रांति के बाद शुरू हुई, दशकों पुरानी दुश्मनी के बाद इजरायल पर पहली बार सीधे तौर पर हमला किया है|

इजराइल ने कहा कि हमला अभी समाप्त नहीं हुआ है

इजरायली सेवा के प्रवक्ता हैगारी ने कहा कि इजराइली नागरिकों की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक है, सेना वह करेगी| उन्होंने कहा कि हमला अभी समाप्त नहीं हुआ है, दर्जनों इजरायल के युद्धक विमान आकाश में चक्कर लगा रहे हैं|

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान

उन्होंने रविवार को कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष से बने हालात चिंताजनक है| उन्होंने तत्काल तनाव कम करने का आह्वान किया| उन्होंने कहा कि अभी हमने लोगों को इजराइल या ईरान की यात्रा न करने की सलाह दी है| साथ ही उन देशों में पहले से मौजूद भारतीय लोगों से अत्यधिक सावधानी बरतने को कहा है|

भारतीय लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

इजराइल में भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है| यह नंबर हैं- +989128109115, +98993179567, +989932179359, +98-21-88755103-5, इन नंबर पर लोगों को सहायता मिलेगी|

मिसाइल

इजराइल के मजबूत रक्षा कवच को भेद नहीं पाई ईरानी मिसाइलें

ईरान ने दे-दनादन इजराइल पर 300 मिसाइलें और ड्रोन दागकर दहशत पैदा तो कर दी लेकिन इजराइल के अभेद्य तीन स्तरीय सुरक्षा कवच की वजह से नुकसान ज्यादा नहीं हो पाया| इजरायल के ऐरो एरियल डिफेंस सिस्टम ने ईरान के हथियारों को धराशाई कर दिया|

रक्षा सूत्रों के अनुसार, इजरायल की सेना तीन स्तरीय हथियार आयरन ड्रोन, डेविड स्लिंग और ऐरो डिफेंस सिस्टम की वजह से 99 फीसदी ड्रोन और मिसाइल को नष्ट करने में सफल रही है| इन हथियारों में पेट्रियट और आयरन बीम भी प्रमुख रूप से शामिल है| यह भी जान लीजिये कि पिछले साल हमास के ड्रोन और मिसाइल हमले के दौरान भी इन सभी हथियारों की मदद से इजरायल ने हमास के हथियारों को मार गिराया था और खुद की सीमा को सुरक्षित कर लिया था|

तेहरान में मनाया गया जश्न

इजराइल पर ईरान की ओर से किए गए हमले के बाद ईरान की राजधानी तेहरान में जश्न मनाया गया| देर रात मध्य तेहरान में कई लोग जुटे और मार्च निकाला| उसी के साथ-साथ हमास ने भी रविवार को इजराइल पर ईरान के हमले का स्वागत किया फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ने बयान में कहा कि हमास में ईरान के इस्लामी गणराज्य द्वारा किए गए सैन्य अभियान को एक प्राकृतिक अधिकार मानते हैं|

ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस, नाम रखा

इजराइल पर हमले को ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’ कोडनाम दिया है| इस ऑपरेशन से इजराइल में दहशत की स्थिति पैदा हो गई है| हमले की वजह से अचानक भयावह स्थिति हो गई और लोग भागने लगे| इस घटना में 10 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है|

भारतीय दूतावास के संपर्क में है सभी भारतीय

इजराइल में भारतीय दूतावास ने ईरान के हमले के बाद अपने नागरिकों के लिए रविवार को एक नया महत्वपूर्ण परामर्श जारी करा जिसमें उन्हें शांतचित्त रहने और सुरक्षा प्रोटोकॉल के पालन करने की सलाह दी है| भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया के पोस्ट में कहा कि वह इजराइल के अधिकारियों तथा भारतीय समुदाय के सदस्यों के संपर्क में हैं|

इसी घटना के साथ एयर इंडिया की फ्लाइट अस्थाई तौर पर निलंबित कर दी गई है| ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के चलते रविवार को एयर इंडिया ने इसरायली राजधानी तेल अवीव के लिए उड़ाने अस्थाई रूप से निलंबित करने का फैसला किया|

मिलिट्री में ईरान और इजरायल के बीच कौन किस पर भारी?

दुनिया के 145 देशों में ताकतवर मिलिट्री के मामले में ईरान 14वें स्थान पर है, जबकि इजराइल 17वें स्थान पर है| हालांकि, सेना के मामले में ईरान से आगे इजराइल नजर आ रहा है|

मिसाइल

ईरान के पास जहां 42,000 वायु सैनिक है, तो दूसरी तरफ इजरायल के पास 89,000 वायु सैनिक मौजूद हैं| 3.50 लाख थल सैनिक है ईरान के पास, तो वही इजरायल के पास 5.26 लाख थल सैनिक है| 18,500 नौसैनिक हैं इस समय ईरान के पास, तो वही इजरायल के पास इस समय 19,500 नौसैनिक हैं|

इसी के साथ-साथ इजरायल द्वारा विकसित आयरन डोम मिसाइल डिफेंस प्रणाली कम दूरी के रोकटों को मार गिराने में माहिर है| यह एक एयर डिफेंस शील्ड है, जिसका पूरा नाम आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है| इस प्रणाली की सफलता दर 90% से अधिक है| इसमें एक इंटरसेप्टर लगा होता है, जो सभी मौसम में कार्य करने में सक्षम है|

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अमेरिका ने इजरायल की तरफ बढ़ाया हाथ, ईरान ने कब्जा किया पोत जिस पर 17 भारतीय मौजूद

अमेरिका

ईरान ने ओमान की खाड़ी में होर्मुज के पास एक इजरायली पोत को रोक कर कब्जे में ले लिया| इसे ईरान की ओर ले जाया गया है| इस घटना के बाद दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया है| पोत पर चालक दल के 25 सदस्य भी सवार हैं, जिसमें भारत के 17 नागरिक भी हैं|

पोत जब ईरान के जल क्षेत्र से गुजर रहा था तो ईरानी नौसैनिक इकाई के विशेष बलों ने पोत पर हमला बोला| यह सभी हेलीकॉप्टर से पोत पर उतरे और कुछ समय में पोत को कब्जे में ले लिया| इस पर पुर्तगाल देश का राष्ट्रीय ध्वज लगा था और इसका संचालन लंदन स्थित जोडियाक मैरिटाइम कंपनी कर रही थी, जो इजरायली अरबपति इयाल ओफर के जोडियाक ग्रुप का हिस्सा है|

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अंतिम बार यूएई में रुका था पोत

एमएससी एरीज नाम का एक पोत आखिरी बार संयुक्त अरब अमीरात के बंदरगाह पर रुका था और बीते शुक्रवार को रवाना हुआ| देर शाम जोडियाक ग्रुप ने पोत पर कब्जे की पुष्टि की है| हमले की जानकारी पहले देते हुए ब्रिटिश सेना के मैरिटाइम ट्रेड ऑपरेशंस ने कहा कि घटना अमिराती शहर फुजैराह के पास ओमान खाड़ी में हुई|

इजराइल ने समुद्री डकैती बताया

इजराइली मंत्री काट्ज़ ने ईरान के इस अभियान को समुद्री डकैती करार दिया और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है|उन्होंने ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकी संगठन बताते हुए कहा कि, विश्व के देशों को इस मामले में दखल देना चाहिए| उधर, ईरान-इजरायल तनाव के बीच मध्य पूर्व पर तत्काल परामर्श के लिए जो बाइडन ने डेलावेयर की अपनी साप्ताहिक यात्रा में कटौती की है| व्हाइट हाउस ने ईरान से जप्त किए गए पोत को तुरंत रिहा करने का आह्वान किया है|

अमेरिका ने और सैनिक भेजने की घोषणा की

ईरान की पोत पर कब्जे के बाद अमेरिका ने घोषणा की कि वह अशांत क्षेत्र में और अधिक सैनिक भेज रहा है| ईरान की इजराइल पर हमले की धमकी के बाद अमेरिका ने ऐलान किया था कि वह इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा है|

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भारतियों की रिहाई के लिए ईरान के संपर्क में भारत सरकार

विशेष सूत्रों के अनुसार, भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं| सरकार ने बताया है कि हम भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए तेहरान और दिल्ली में राजनाइकों के संपर्क में है| अमेरिका ने भी पोत को छोड़ने के लिए कहा है| ओमान की खाड़ी में होर्मुज में ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा कब्जाए गए इजराइली मालवाहक पोत एमएससी एरीज पर सवार भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए भारत सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं|

ईरान द्वारा पोत को नियंत्रण में लेने की सूचना के बाद भारत सरकार ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी संभव प्रयास शुरू कर दिए हैं| विशेष सूत्रों के अनुसार, सरकार ने कहा, मालवाहक पोत एमएससी एरीज को ईरान द्वारा नियंत्रण में लेने की जानकारी मिली है| हमें पता चला है की पोत पर भारतीय नागरिक मौजूद हैं| हम भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, कल्याण और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तेहरान और दिल्ली दोनों जगहों पर राजनिक चैनलों के माध्यम से ईरानी अधिकारियों के संपर्क में है| इस घटना की वीडियो में नजर आ रहा हैं की हेलीकॉप्टर से ईरानी कमांडो पोत पर उतरते हैं और उसे कब्जे में ले लेते हैं|

ईरान के हवाई क्षेत्र से नहीं गुजर रहे हैं भारतीय विमान

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालातों को देखते हुए भारतीय विमान ईरान के हवाई क्षेत्र से नहीं गुजर रहे हैं| भारतीय विमान कंपनियों ने इसके लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना शुरू कर दिया है| भारतीय विमान यूरोप और मध्य पूर्व के लिए अपना रास्ता बदल रहे हैं| एयर इंडिया और विस्तारा की ओर से इसकी पुष्टि की गई है| भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों से ईरान की यात्रा न करने की अपील की है|

बाइडेन ने कहा कि इजराइल पर हमला न करे ईरान

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजराइल पर जल्द ईरान का हमला होने की आशंका जताई, साथ ही ईरान को चेतावनी दी है कि वह ऐसा ना करे| उन्होंने साफ किया कि अमेरिका इजरायल की सुरक्षा के लिए संकल्पबद्ध है| हम इजराइल का समर्थन करते हैं| अमेरिका इजरायल की सुरक्षा में सहायता देगा और इरान सफल नहीं हो पाएगा|

अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति का यह स्पष्ट संदेश इजराइल पर हमले को तैयार ईरान के लिए है| इसी बीच अमेरिका ने अपने विमान वाहक युद्धपोत यूएसएस आइजनहावर को लाल सागर के रस्ते इजरायल के लिए रवाना कर दिया है| यह युद्धपोत इसराइल पर ईरान के हमले को रोकने में मदद करेगा| व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि मध्य-पूर्व के देशों में तैनात अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा के लिए भी इंतजाम बढ़ाए जा रहे हैं|

1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरान के दूतावास पर हवाई हमले में सीनियर जनरल समेत ईरानी सेना के 7 सैन्य अधिकारियों के मारे जाने के बाद ईरान ने इजराइल को दंडित करने का ऐलान किया है| इससे यह आशंका पैदा हुई है कि ईरान किसी भी समय इजराइल पर हमला कर सकता है|

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क्या इजराइल और ईरान के बीच युद्ध होने वाला है?

इजराइल

इजरायल-ईरान तनाव के बीच अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया है कि 2 दिन में ईरान इजरायल पर हमला कर सकता है| अमेरिका की खुफिया विभाग के हवाले से ये जानकारी दी गई है|

इस रिपोर्ट की माने तो हमले अगले 24 से 48 घंटे के भीतर हो सकते हैं| ईरान से जुड़े विशेष सूत्रों ने बताया है कि हमले की योजना पर चर्चा की जा रही है, हालांकि कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया| सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुए इजरायली हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है| ईरान ने इजराइल पर हमले की चेतावनी दी है|

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई के पास इजराइल हमले से जुड़ी सूचनए पहुंच चुकी हैं| गुरुवार को ब्रिटेन के विदेश मंत्री एनालेना बेयरबाक और डेविड कैमरन ने ईरानी समकक्ष होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन से बात की|

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इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू दे चुके हैं चेतावनी

बीते दिनों इजराइल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को सीधी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कोई हमें नुकसान पहुंचाएगा, तो उसका जवाब देंगे| उन्होंने कहा, कि इजराइल ने सुरक्षा को लेकर सभी अलर्ट जारी कर रखा है| हम रक्षात्मक हैं और आक्रामक रूप से भी पूरी तरह तैयार है|

अलर्ट पर इजरायल

ईरानी धमकी के बाद इजरायल हाई अलर्ट पर है| उसने अपने सभी सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं| अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को और मजबूत और अलर्ट पर किया है| हथियारों को तैनात कर दिया है और हर स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है|

इजराइल

फ्रांस की नागरिकों को यात्रा न करने की सलाह

फ्रांस ने ईरान के हमले की आशंका को देखते हुए अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वह इस क्षेत्र की यात्रा न करें| ईरान, फिलिस्तीन, और इजरायल की यात्रा से बचने को कहा है| ईरान की धमकी के बाद फ्रांसीसी विदेश मंत्री स्टीफन सेजर्न ने यह सिफारिश की है|

एक और युद्ध की आशंका

अरब दुनिया में तनाव बढ़ता जा रहा है| इजराइल तो पहले से ही आक्रामकता की सीमा लांघता जा रहा है और अब उसके मुकाबले में ईरान भी उतनी ही आक्रामक मुद्रा अख्तियार कर ली है| विशेषज्ञों की मानें, तो ईरान किसी भी वक्त इजरायल के किसी भी ठिकाने को निशाना बना सकता है| इधर इजरायल भी जवाब देने के लिए पूरी तरह चौकस मुद्रा में है| ईरान और इजरायल के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया है कि 1 दिन के अंदर ही अमेरिकी विदेश मंत्री अंटोनी ब्लिंकेन ने तुर्किये, चीन और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से बात की|

अमेरिकी विदेश मंत्री यह समझाने की कोशिश में लगे हैं कि मध्य-पूर्व में तनाव में वृद्धि किसी के हित में नहीं है| यहाँ यह कहना जरूरी है कि अमेरिका कमजोर दिख रहा है, उसका ईरान के साथ वर्षों से तनाव है और वह सीधे ईरान को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है| तो वह उन देशों के नेताओं की मदद ले रहा है, जो ईरान पर खास प्रभाव रखते हैं|

यहाँ अमेरिका को जरूर सोचना चाहिए कि आखिर यह नौबत क्यों आई? इजरायल की स्वतंत्रता अपनी जगह है, लेकिन उसकी बेलगाम आक्रामकता का बचाव कैसे किया जा सकता है| ग़ाज़ा को तबाह करने के बावजूद इजराइल संघर्ष विराम के लिए तैयार नहीं है| फिलिस्तीन पर बम बरसाते हुए छह महीने से ज्यादा वक्त बीत गया है| सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले की जिम्मेदारी भले उसने न ली हो, पर ईरान के संदेह को दूर करने के लिए भी उसने कुछ खास नहीं किया है| ईरान 1 अप्रैल को दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के लिए इजराइल को लगातार दोषी ठहरा रहा है, जिसमें ‘इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ के वरिष्ठ सदस्य मारे गए थे|

ईरान पर दबाव है कि वह अपने लोगों की मौत का बदला ले और अगर ऐसा होता है, तो अरब दुनिया में एक नया युद्ध छिड़ जाएगा या युद्ध का विस्तार हो जाएगा| यह दुनिया के लिए एक बड़े दुर्भाग्य की बात है की इजराइल भी ग़ाज़ा के अलावा अन्य जगहों पर भी जंग के लिए तैयार है और उससे भी दुखद यह है कि अमेरिका किसी भी सूरत में इजरायल की सुरक्षा से समझौता करने को तैयार नहीं होगा| यह भी चिंता बढ़ाने वाली बात है कि अमेरिका ने इजराइल में अपने नागरिकों को सावधान रहने के लिए कहा है|

इजराइल

किसी नए मोर्चे पर अगर युद्ध भड़कता है, तो उसका व्यापक असर होगा| मिशाल के लिए, इजरायली सरकार ने घोषणा की है कि श्रमिकों की कमी से निपटने और देश के निर्माण उद्योग की सहायता के लिए 6000 से अधिक भारतीय श्रमिक अप्रैल मई के बीच इजराइल आएंगे| मतलब, युद्ध के भड़कने से भारतीयों की चिंता में भी इजाफा होगा| रूस-यूक्रेन युद्ध में भी भारतीयों को अनावश्यक रूप से तनाव का सामना करना पड़ रहा है|

युद्ध और युद्ध क्षेत्र से भारत का न्यूनतम संबंध रहे, तो ही अच्छा है| भारत अक्सर आक्रामक देश को समझता रहा है कि युद्ध किसी के हित में नहीं है, पर जाहिर है कि दुनिया के कई देशों के लिए अमन-चैन के खास मायने नहीं है| जहां इजरायल की तारीफ संभव नहीं है, वहीं ईरान की भी प्रशंसा नहीं की जा सकती| हमास और हिज्बुल्ला जैसे निर्मम-खूंखार आतंकी संगठनों के पक्ष में ईरान का होना बहुत दुखद और बहुत शर्मनाक है| सभ्य दुनिया में अपनी मांग रखने और उसके लिए संघर्ष करने के दूसरे तरीके भी हो सकते हैं, इसलिए सीधे आतंकवादियों की मदद भी अमानवीय परिपाटी उन सभी देशों को छोड़नी पड़ेगी, जो दुनिया में वाकई शांति चाहते हैं|

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