प्यार की कब्र: सौरभ राजपूत को 15 टुकड़ों में काटने वाली हैवान बीवी की कहानी
प्यार की राहें अक्सर फूलों से सजी लगती हैं, लेकिन मेरठ की एक गली में यह राह खून से लथपथ हो गई। सात फेरे, सात वचन और सात जन्मों का बंधन—ये शब्द सुनते ही दिल में एक सुकून सा महसूस होता है। लेकिन क्या हो जब यही वचन चीखते हुए 15 टुकड़ों में बंट जाएं और प्यार की आड़ में छिपा एक खौफनाक चेहरा सामने आए? सौरभ राजपूत की कहानी ऐसी ही एक रूह कंपा देने वाली दास्तां है, जो सुनने वालों की नींद उड़ा देती है।
यह एक सौरभ राजपूत लव मैरिज की वह भयानक सच्चाई है, जहां पत्नी मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर न सिर्फ अपने पति की हत्या की, बल्कि उसकी लाश को 15 टुकड़ों में काटकर सीमेंट के ड्रम में कैद कर दिया। यह कहानी किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं—बल्कि उससे भी ज्यादा भयावह।
प्यार का भूत और सौरभ का सपना
सौरभ राजपूत, एक मर्चेंट नेवी ऑफिसर, जिसकी जिंदगी समंदर की लहरों और लंदन की सड़कों के बीच बीतती थी। 2016 में उसकी मुलाकात मुस्कान रस्तोगी से हुई। यह मुलाकात जल्द ही एक ऐसे प्यार में बदली, जिसके लिए सौरभ राजपूत ने अपने परिवार से बगावत कर दी। इंटरकास्ट लव मैरिज के चलते उसे घर से निकाल दिया गया, प्रॉपर्टी से हाथ धोना पड़ा, लेकिन सौरभ को लगा कि मुस्कान उसकी जिंदगी का वो जहाज है जो उसे हर तूफान से बचा लेगी। मेरठ के इंदिरा नगर में किराए के मकान में दोनों ने नई शुरुआत की।
उनकी 6 साल की बेटी पीहू उनकी जिंदगी की रोशनी बन गई। लेकिन सौरभ राजपूत को क्या पता था कि जिस मुस्कान को उसने अपनी दुनिया बनाया, वही उसकी कब्र खोद रही थी।
सौरभ राजपूत की नौकरी उसे लंदन ले जाती थी, और मुस्कान घर पर अकेली रहती थी। इसी अकेलेपन में साहिल शुक्ला नाम का एक शैतान उसकी जिंदगी में दाखिल हुआ। पहले दोस्ती, फिर प्यार, और फिर एक ऐसा रिश्ता जो सौरभ राजपूत की मौत का कारण बन गया। जब सौरभ राजपूत को इस नाजायज रिश्ते का पता चला, तो उसने मुस्कान को माफ कर दिया। शायद उसे लगा कि प्यार में एक बार भटकना माफ किया जा सकता है। लेकिन यह माफी उसकी सबसे बड़ी गलती थी।
खून से सनी रात का भयानक मंजर
फरवरी 2025 में सौरभ राजपूत अपनी बेटी पीहू के छठे जन्मदिन और मुस्कान के बर्थडे के लिए लंदन से मेरठ लौटा। 24 फरवरी को वह घर पहुंचा। 28 फरवरी को बेटी का जन्मदिन मनाया गया—हंसी-खुशी का माहौल था। लेकिन यह खुशी एक भयानक तूफान का इंतजार कर रही थी। 4 मार्च की रात, जब आसमान पर काले बादल छाए थे और मेरठ की सड़कें सन्नाटे में डूबी थीं, उस घर में एक खौफनाक साजिश ने जन्म लिया।
सौरभ राजपूत सो रहा था, शायद अपनी बेटी और पत्नी के साथ बिताए पलों के सपने देख रहा था। लेकिन मुस्कान और साहिल के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। पहले सौरभ राजपूत को नशीली दवा दी गई—उसकी सांसें धीमी हुईं, आंखें बंद हुईं।
फिर मुस्कान ने अपने हाथों से चाकू उठाया और अपने पति के सीने में गहरे तक उतार दिया। खून की धार बह निकली, लेकिन यह दोनों के लिए काफी नहीं था। सौरभ राजपूत की लाश को बाथरूम में घसीटा गया। इसके बाद जो हुआ, वह किसी हैवानियत से कम नहीं था।
मुस्कान और साहिल ने सौरभ राजपूत के शरीर को आरी और चाकू से 15 टुकड़ों में काट डाला। हर टुकड़ा करते वक्त उनकी आंखों में शायद एक शैतानी चमक थी। खून से सने हाथों से उन्होंने बाजार से लाए प्लास्टिक ड्रम में सौरभ राजपूत के टुकड़े भरे। बदबू को दबाने के लिए पहले पानी डाला, फिर सीमेंट का घोल तैयार किया और ड्रम को सील कर दिया। यह सब इतनी शांति से हुआ कि बाहर सोता मोहल्ला बेखबर रहा। क्या उस रात सौरभ राजपूत की रूह चीख रही होगी? क्या उसे अपने प्यार पर इतना बड़ा धोखा मिलने का अंदाजा था?
लाश का ड्रम और शैतानी छल
हत्या के बाद मुस्कान और साहिल ने ऐसा नाटक रचा कि कोई शक न करे। मुस्कान ने पड़ोसियों को बताया कि वह सौरभ राजपूत के साथ हिल स्टेशन घूमने जा रही है। साहिल के साथ वह शिमला और मनाली घूमने निकल गई। सौरभ के फोन से फोटोशॉप की गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली गईं—जैसे सौरभ राजपूत जिंदा हो और उनके साथ मस्ती कर रहा हो। लेकिन घर में बंद वह ड्रम एक भयानक राज छिपाए हुए था। सीमेंट में जमी लाश धीरे-धीरे सड़ रही थी, और उसकी बदबू हवा में घुलने लगी थी।
17 मार्च को मुस्कान की मां ने पुलिस को फोन किया। उसने बताया कि उसकी बेटी ने उसे फोन पर सारी सच्चाई बता दी थी। पुलिस जब घर पहुंची, तो वहां का मंजर देखकर उनके भी रोंगटे खड़े हो गए। ड्रम को खोलने के लिए ड्रिल मशीन लानी पड़ी। जब सीमेंट टूटा, तो सौरभ राजपूत के सड़े-गले टुकड़े बाहर आए—हाथ, पैर, सिर—हर हिस्सा चीख रहा था। पोस्टमॉर्टम हाउस में डॉक्टरों के चेहरों पर भी डर साफ दिख रहा था।
पुलिस का शिकंजा और सच का काला चेहरा
मुस्कान और साहिल को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि हत्या के बाद दोनों सौरभ राजपूत के बैंक खाते से 6 लाख रुपये निकालना चाहते थे। यह सिर्फ प्यार का धोखा नहीं था, बल्कि लालच का खेल भी था। मुस्कान ने पुलिस को बताया कि वह सौरभ राजपूत से तंग आ चुकी थी और साहिल के साथ नई जिंदगी शुरू करना चाहती थी। लेकिन उसने जो रास्ता चुना, वह किसी इंसान का नहीं, बल्कि एक राक्षस का था।
सात फेरों का अंत और डरावना सबक
सौरभ राजपूत की यह कहानी सुनकर रातों की नींद गायब हो जाती है। जिस प्यार के लिए उसने सब कुछ छोड़ा, उसी ने उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। सात फेरे जो जिंदगी की कसम थे, 15 टुकड़ों में बंट गए। यह घटना एक सवाल छोड़ जाती है—क्या प्यार इतना खतरनाक हो सकता है? क्या विश्वास की आड़ में कोई इतना बड़ा धोखा दे सकता है? सौरभ राजपूत की बेटी पीहू अब अनाथ है, और उसका भविष्य अंधेरे में डूब गया है।
मेरठ का यह हत्याकांड एक ऐसी डरावनी सच्चाई है जो हर किसी को डरा देती है। यह प्यार की नहीं, बल्कि हैवानियत की कहानी है। सौरभ राजपूत की चीखें शायद उस ड्रम में हमेशा के लिए कैद हो गईं, लेकिन यह घटना हमें चेतावनी देती है—प्यार में अंधा होना कितना खतरनाक हो सकता है। क्या आप इस कहानी को सिर्फ एक अपराध मानते हैं, या यह हमारे समाज में छिपे डरावने सच का आलम है? अपनी राय बताएं, क्योंकि यह कहानी हर उस शख्स को डराती है जो प्यार को सच मानता है।