...

राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीद, अमेठी छोड़ी

रायबरेली

रायबरेली और अमेठी सीट को लेकर कायम सस्पेंस बीते शुक्रवार को सुबह खत्म हो चुका है| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे| वही अमेठी से कांग्रेस ने राजीव, सोनिया गाँधी और राहुल गांधी के प्रतिनिधि रह चुके किशोरी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है|

25 वर्षों में यह पहला मौका है जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य अमेठी से चुनाव नहीं लड़ रहा है| वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गाँधी को करीब 55 हजार वोटो के मार्जिन से पराजित किया था| राहुल गांधी ने शुक्रवार को दोपहर अपना परचा रायबरेली सीट से दाखिल किया| नामांकन के समय राहुल के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी समेत इंडी गठबंधन के कई सहयोगी दलों के नेता भी थे|

यह भी पढ़ें: न्याय का राजनीतिक विचार-विमर्श बनाम विकास

राहुल के नामांकन में शामिल होने से पूर्व प्रियंका गांधी कुछ देर के लिए अमेठी से नामांकन दाखिल करने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा से मिलने पहुंची| राहुल गाँधी सुबह करीब 10:30 बजे फुरसतगंज एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी समेत अन्य नेता नामांकन में शामिल हुए|

कांग्रेस के हिसाब से फैसला सही

कांग्रेस ने राहुल गांधी के रायबरेली सीट से लड़ने के फैसले को सही बताते हुए कहा कि रायबरेली से चुनाव लड़ना उनके लिए भावनात्मक मामला था| क्योंकि इसका नेतृत्व उसके दादा फिरोज गांधी, उसकी दादी इंदिरा गांधी और बाद में उसकी मां सोनिया गांधी ने किया था| सोनिया ने स्वास्थ्य के चलते रायबरेली से इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने को राजी नहीं थी और राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुई थी|

रायबरेली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल पर कसा तंज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर राहुल गांधी पर तंज कसा| उन्होंने कहा कि वायनाड से हार सुनिश्चित देख उन्होंने तीसरा ठिकाना ढूंढ लिया है|

बर्धमान और दुर्गापुर में शुक्रवार को विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डरो मत! भागो मत! प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने पहले ही बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हारने वाले है| हार के डर से जैसे ही मतदान समाप्त होगा, वह तीसरी सीट खोजने लग जाएंगे|

अमेठी से भी इतना डर गए हैं की वहां से भागकर रायबरेली में ठिकाना खोज रहे हैं| कांग्रेस के लोग घूम-घूम कर कहते हैं कि डरो मत! डरो मत! मैं भी इन्हें कहता हूं कि अरे डरो मत! भागो मत! प्रधानमंत्री मोदी ने सोनिया गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि मैंने संसद भवन में बहुत पहले कांग्रेस की हार की बात कही थी| जब उनके वरिष्ठ नेता सीट छोड़ राज्यसभा जा रहे हैं इससे यह सबूत मिलता है कि उन्होंने अपनी हार भांप ली है|

रायबरेली सीट का जातीय समीकरण

रायबरेली सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सर्वाधिक संख्या दलित मतदाताओं की है| यह आंकड़ा 32 फ़ीसदी से अधिक है| करीब 11 फीसदी ब्राह्मण है, लगभग 9 फीसदी राजपूत है, 7 फ़ीसदी यादव वर्ग के मतदाता है| यहाँ मुसलमान और लोघ मतदाता करीब 6 फ़ीसदी है और कुर्मी 4 फीसदी के करीब है| ओबीसी मतदाताओं की तादाद भी करीब 23 फ़ीसदी है|

रायबरेली

कांग्रेस को अपना किला बचाने की कड़ी चुनौती

रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रही है| रायबरेली ने 2014 और 2019 की विशाल मोदी लहर में भी कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा| अब राहुल गाँधी के कंधों पर परिवार की विरासत संभाले की जिम्मेदारी है| इसी के साथ राहुल गाँधी को यूपी के इस एकमात्र कांग्रेस के दुर्ग को बचाने की भी चुनौती है|

रायबरेली लोकसभा सीट का गठन वर्ष 1952 में हुआ था| 1952 व 1957 में फिरोज गांधी यहाँ चुनाव जीते थे| 1960 के उपचुनाव में कांग्रेस के बैजनाथ कुरील जीते थे| फिर 1962 में कांग्रेस के बैजनाथ कुरील जीते थे| 1968, 1971 और 1980 में इंदिरा गांधी यहां से सांसद बनी थी| 1977 में राजनारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था| 1980 के उपचुनाव व 1984 में अरुण नेहरू चुनाव जीते थे| 1989 व 1991 में इंदिरा गाँधी की मामी शीला कौल सांसद बनी थी| 1996 व 1998 में भाजपा के अशोक सिंह चुनाव जीते थे| वर्ष 2004, 2006 के उपचुनाव और 2009, 2014 और 2019 में सोनिया गाँधी चुनाव जीती थी|

और पढ़ें: रायबरेली से क्यों उतरे राहुल गांधी?

इजराइल-ईरान युद्ध: 300 बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागने के बावजूद ईरान को मिली असफलता

मिसाइल

ईरान ने रविवार तड़के इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइलें और क्रूज मिसाइलें दाग दी है| इजराइली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि दागी गयी सभी मिसाइलों और ड्रोन में से 99% को हवा में ही नष्ट कर दिया गया है|

हमले के बाद ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं| अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम देशों और संयुक्त राष्ट्र ने हमले की कड़ी निंदा की है|

यह भी पढ़ें: अमेरिका ने इजरायल की तरफ बढ़ाया हाथ, ईरान ने कब्जा किया पोत जिस पर 17 भारतीय मौजूद

हमले का बदला लेगा ईरान

सीरिया में 1 अप्रैल को हुए हवाई हमले में ईरानी वाणिज्य दूतावास में दो ईरानी जनरल के मारे जाने के बाद ईरान ने बदला लेने का प्रण लिया था| ईरान ने हमले के पीछे इजराइल का हाथ होने का आरोप लगाया थ|

ईरान दोगुनी ताकत से हमला करेगा

ईरान ने बयान जारी कर कहा कि अगर इजराइल ने हमले का जवाब दिया तो उस पर दोगुनी ताकत से वार करेंगे| ईरान ने अमेरिका को भी मदद नहीं करने की चेतावनी दी है| ईरान ने 1969 की इस्लामी क्रांति के बाद शुरू हुई, दशकों पुरानी दुश्मनी के बाद इजरायल पर पहली बार सीधे तौर पर हमला किया है|

इजराइल ने कहा कि हमला अभी समाप्त नहीं हुआ है

इजरायली सेवा के प्रवक्ता हैगारी ने कहा कि इजराइली नागरिकों की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक है, सेना वह करेगी| उन्होंने कहा कि हमला अभी समाप्त नहीं हुआ है, दर्जनों इजरायल के युद्धक विमान आकाश में चक्कर लगा रहे हैं|

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान

उन्होंने रविवार को कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष से बने हालात चिंताजनक है| उन्होंने तत्काल तनाव कम करने का आह्वान किया| उन्होंने कहा कि अभी हमने लोगों को इजराइल या ईरान की यात्रा न करने की सलाह दी है| साथ ही उन देशों में पहले से मौजूद भारतीय लोगों से अत्यधिक सावधानी बरतने को कहा है|

भारतीय लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

इजराइल में भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है| यह नंबर हैं- +989128109115, +98993179567, +989932179359, +98-21-88755103-5, इन नंबर पर लोगों को सहायता मिलेगी|

मिसाइल

इजराइल के मजबूत रक्षा कवच को भेद नहीं पाई ईरानी मिसाइलें

ईरान ने दे-दनादन इजराइल पर 300 मिसाइलें और ड्रोन दागकर दहशत पैदा तो कर दी लेकिन इजराइल के अभेद्य तीन स्तरीय सुरक्षा कवच की वजह से नुकसान ज्यादा नहीं हो पाया| इजरायल के ऐरो एरियल डिफेंस सिस्टम ने ईरान के हथियारों को धराशाई कर दिया|

रक्षा सूत्रों के अनुसार, इजरायल की सेना तीन स्तरीय हथियार आयरन ड्रोन, डेविड स्लिंग और ऐरो डिफेंस सिस्टम की वजह से 99 फीसदी ड्रोन और मिसाइल को नष्ट करने में सफल रही है| इन हथियारों में पेट्रियट और आयरन बीम भी प्रमुख रूप से शामिल है| यह भी जान लीजिये कि पिछले साल हमास के ड्रोन और मिसाइल हमले के दौरान भी इन सभी हथियारों की मदद से इजरायल ने हमास के हथियारों को मार गिराया था और खुद की सीमा को सुरक्षित कर लिया था|

तेहरान में मनाया गया जश्न

इजराइल पर ईरान की ओर से किए गए हमले के बाद ईरान की राजधानी तेहरान में जश्न मनाया गया| देर रात मध्य तेहरान में कई लोग जुटे और मार्च निकाला| उसी के साथ-साथ हमास ने भी रविवार को इजराइल पर ईरान के हमले का स्वागत किया फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ने बयान में कहा कि हमास में ईरान के इस्लामी गणराज्य द्वारा किए गए सैन्य अभियान को एक प्राकृतिक अधिकार मानते हैं|

ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस, नाम रखा

इजराइल पर हमले को ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’ कोडनाम दिया है| इस ऑपरेशन से इजराइल में दहशत की स्थिति पैदा हो गई है| हमले की वजह से अचानक भयावह स्थिति हो गई और लोग भागने लगे| इस घटना में 10 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है|

भारतीय दूतावास के संपर्क में है सभी भारतीय

इजराइल में भारतीय दूतावास ने ईरान के हमले के बाद अपने नागरिकों के लिए रविवार को एक नया महत्वपूर्ण परामर्श जारी करा जिसमें उन्हें शांतचित्त रहने और सुरक्षा प्रोटोकॉल के पालन करने की सलाह दी है| भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया के पोस्ट में कहा कि वह इजराइल के अधिकारियों तथा भारतीय समुदाय के सदस्यों के संपर्क में हैं|

इसी घटना के साथ एयर इंडिया की फ्लाइट अस्थाई तौर पर निलंबित कर दी गई है| ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के चलते रविवार को एयर इंडिया ने इसरायली राजधानी तेल अवीव के लिए उड़ाने अस्थाई रूप से निलंबित करने का फैसला किया|

मिलिट्री में ईरान और इजरायल के बीच कौन किस पर भारी?

दुनिया के 145 देशों में ताकतवर मिलिट्री के मामले में ईरान 14वें स्थान पर है, जबकि इजराइल 17वें स्थान पर है| हालांकि, सेना के मामले में ईरान से आगे इजराइल नजर आ रहा है|

मिसाइल

ईरान के पास जहां 42,000 वायु सैनिक है, तो दूसरी तरफ इजरायल के पास 89,000 वायु सैनिक मौजूद हैं| 3.50 लाख थल सैनिक है ईरान के पास, तो वही इजरायल के पास 5.26 लाख थल सैनिक है| 18,500 नौसैनिक हैं इस समय ईरान के पास, तो वही इजरायल के पास इस समय 19,500 नौसैनिक हैं|

इसी के साथ-साथ इजरायल द्वारा विकसित आयरन डोम मिसाइल डिफेंस प्रणाली कम दूरी के रोकटों को मार गिराने में माहिर है| यह एक एयर डिफेंस शील्ड है, जिसका पूरा नाम आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है| इस प्रणाली की सफलता दर 90% से अधिक है| इसमें एक इंटरसेप्टर लगा होता है, जो सभी मौसम में कार्य करने में सक्षम है|

और पढ़ें: इजराइल पर अटैक से पहले 48 घंटे का नोटिस दिया, तुर्किये ने अमेरिका को बताया था

महाराष्ट्र में अन्य दलों से सीट बंटवारे में बड़ी बेचैनी

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों का सीट बंटवारा

महाराष्ट्र में 2019 के बाद से सब कुछ बदल गया है| शिवसेना और एनसीपी के 2 समूहों में बांटने के बाद, 2024 के चुनाव में चार स्थानीय दल अपने वर्चस्व के लिए लड़ रहे हैं| लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में लगभग 2 सप्ताह पहले महाराष्ट्र में सियासी हलचल अप्रत्याशित मोड़ों से भरी हुई है|

दोनों पक्षों के गठबंधन सहयोगियों के बीच आंतरिक कलह की भरमार हो गई हैI लेकिन साप्ताहिक में तेजी से या अफवाह फैली कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जनता की नजरों से गायब हो गए हैं| एक क्षेत्रीय समाचार चैनल ने तो यहां तक दावा कर दिया कि भाजपा नेता की साथ विवाद के बाद वह 36 घंटे से अधिक समय तक उपलब्ध नहीं थे |

Read also: 2024 में सीखें डिजिटल उत्पाद को संवारने का हुनर

महाराष्ट्र सत्तारुढ़ गठबंधन में ही विपक्षी गठबंधन में ही नहीं, विपक्षी गठबंधन में ही नहीं, विपक्षी गठबन्धन में भी तनातनी का दौर चल रहा है| शिवसेना यूबीटी गुट के नेता उद्धव ठाकरे ने अचानक अपने 17 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए, तो कांग्रेस ने कहा कि पार्टी इस घोषणा से स्तब्ध है, किउसे इस बारे में ठीक से सलाह नहीं ली गई थी| अधिकांश पर्यवेक्षकों को महाराष्ट्र की गठबंधन के बीच ऐसी उथल-पुथल उम्मीद नहीं थी, क्योंकि कुछ हफ्ते पहले ही गठबंधन सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे के फार्मूले को बिना किसी विवाद के लगभग अंतिम रूप देने के साथ सब कुछ ठीक लग रहा था पर अब तनाव व्याप्त है|

निःसंदेह महाराष्ट्र की राजनीति में साल 2019 के बाद से सब कुछ बदल गया है और शिवसेना के साथ-साथ शरद पवार की एनसीपी के भी दो समूहों में विभाजित होने के बाद, अब 2024 की चुनावी लड़ाई में चार दल या चार समूह अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए लड़ रहे हैं| इनके अलावा, राज्य में पिछले दो चुनाओं में छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का भी उदय हुआ है, जो जोश के साथ लड़ रहे हैं| यह चुनावी लड़ाई बहुरंगी बन गई है|

महाराष्ट्र

एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र सरकार में सीट बंटवारे से चिंतित

बेशक महाराष्ट्र, विधानसभा में अधिकतम सीटों के साथ भाजपा राज्य की सबसे बड़ी खिलाड़ी है, कांग्रेस अभी दूसरे स्थान पर पहुंच गई है, क्योंकि शिवसेना और राकापा का दो समूह में बट गई है| उधर प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी के उद्धव ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कई निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 4 प्रतिशत वोट हासिल किए थे और निर्दलीय के साथ-साथ असदुद्दीन ओवैसी की एआई एमआईम ने भी अनिश्चिता बढ़ा है|

एकनाथ शिंदे की शिवसेना को लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा के साथ किसी बड़े विवाद की आशंका नहीं थी, क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा के शीर्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने 2 साल पहले महायुति सरकार बनाने के बाद से शिंदे से अच्छे रिश्ते साझा किए हैं| हालांकि, पिछले साल जुलाई में सत्तारुढ़ गठबंधन में अजीत पवार के अचानक प्रवेश में स्थिति को स्थिर कर दिया है| जब से अजीत पवार व उनके विधायकों ने सरकार के फैसलों पर दबदबा बनाना शुरू किया है| तब से एकनाथ शिंदे नाराज नजर आ रहे हैं|

महाराष्ट्र
 
शिंदे की बड़ी चिंता यह है कि वह उन सभी 13 लोकसभा सदस्यों को कैसे समांयोजित करेंगे, जो उद्धव ठाकरे को छोड़कर उनके साथ आ गए और इसमें भी बड़ी चिंता यह है कि अगर भविष्य में भी यही सिलसिला रहा, तो क्या होगा? उन्हें तो अपने 40 विधायकों में से हर किसी का सम्मान करना है, जो उनके साथ आए हैं| 

 वह बहरहाल, कुछ सीटे  शिंदे और भाजपा में विवाद की वजह बनी रहेगी|  लगभग 1 महीने पहले से अचानक भाजपा ने शिंदे  पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह मुंबई उत्तर पश्चिम में गजानन की कीर्तिकर को मैदान में न उतारे|  शिंदे और कीर्तिकर करीबी हैं, जो शिंदे के लिए मुश्किल खड़ी हो गई|  इसी तरह, पिछले हफ्ते अचानक शिंदे  को यह बताया गया कि उनकी पार्टी में बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा को शामिल किया जाना चाहिए | 

अब शिंदे समूह गोविंद को उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से लड़वा सकता है|  वैसे, मुंबई एकमात्र ऐसी जगह नहीं है जहां एकनाथ शिंदे को बेचैनी का सामना करना पड़ रहा है|  उम्मीदवारों को लेकर भी असहमति अब गंभीर स्तर पर पहुंचने लगी है|  भाजपा की तरफ से शिंदे की शिवसेना के सभी सदस्यों को यह संदेश दिया जा रहा है कि उम्मीदवार के साथ-साथ चुनाव चिन्ह के बारे में भी अंतिम फैसला भाजपा कर रही है| 

    यह स्पष्ट है कि शिंदे के ज्यादातर सांसद और विधायक इस बात से बहुत चिंतित हैं कि भाजपा लोकसभा चुनाव में हर छोटी चीज पर भी हावी होती जा रही है और सूक्ष्म प्रबधन कर रही है, ऐसा विदर्भ क्षेत्र में भी दिखने लगा है|  कुछ अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि शिंदे  सार्वजनिक रूप में शांत दिखते हैं पर बहुत बेचैन और परेशान हैं| अब यह देखना बाकी है कि क्या उनकी बेचैनी किसी कार्यवाही में तब्दील होगी या वह भाजपा के साथ गठबंधन में मिलकर काम करते रहेंगे| 

वैसे कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है|  कांग्रेस दक्षिण मध्य मुंबई में अपने उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री वर्षा गायकवाड़ और सांगली में विशाल पाटिल के नाम की घोषणा के लिए तैयार थी, जो 2014 में मोदी लहर से पहले कांग्रेस का गढ़ था|  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने भी उद्धव गुट  द्वारा अचानक दक्षिण मध्य मुंबई से पूर्व राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई की उम्मीदवारी और सांगली से पहलवान चंद्रहार पाटिल की उम्मीदवारी की घोषणा पर आश्चर्य व्यक्त किया| 

कथित तौर पर राज्य के शीर्ष नेतृत्व में सांगली व दक्षिण मध्य मुंबई में भी अपनेउम्मीदवार खड़े करने की संभावना के बारे में कांग्रेस आलाकमान  से परामर्श किया|  स्पष्ट है, उद्धव दक्षिण मुंबई, दक्षिण मध्य मुंबई और उत्तर पश्चिम मुंबई से चुनाव लड़कर मुंबई में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं, जबकि अन्य दो गठबंधन सहयोगियों, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के लिए केवल तीन सीटे छोड़ रहे हैं|  जाहिर है, उद्धव इस साल के अंत में और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ शहर के नगर निगम चुनाव के लिए पार्टी के हितों को ध्यान में रख लेते हैं| 

Read more: Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे पर फंसा पेंच

Seraphinite AcceleratorOptimized by Seraphinite Accelerator
Turns on site high speed to be attractive for people and search engines.