1970 के जमाने का 500 रुपये का नोट वायरल, सोशल मीडिया पर आते ही छिड़ गई बहस

1970 के जमाने का 500 रुपये का नोट वायरल, सोशल मीडिया पर आते ही छिड़ गई बहस

1970

हाल ही में सोशल मीडिया पर 500 रुपये के एक पुराने नोट की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इस नोट को 1970 के दशक का बताया जा रहा है, और इसे लेकर लोगों के बीच एक दिलचस्प बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे ऐतिहासिक धरोहर मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि 1970 के दशक में 500 रुपये के नोट प्रचलन में नहीं थे। इस लेख में हम इस नोट से जुड़ी सभी जानकारियों को विस्तार से समझेंगे और इसकी प्रामाणिकता की पड़ताल करेंगे।

500 रुपये के नोट की वायरल तस्वीर

सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर में एक पुराना और जर्जर 500 रुपये का नोट देखा जा सकता है। इसे एक उपयोगकर्ता ने रेडिट पर साझा किया और दावा किया कि यह नोट उनके पिता के पुराने सामान में मिला। इसके बाद यह तस्वीर तेजी से वायरल हो गई और लोगों ने इसे लेकर अलग-अलग राय देना शुरू कर दिया।

इस नोट पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का चिह्न और तत्कालीन गवर्नर के हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। हालांकि, कुछ लोगों ने तुरंत इस दावे पर सवाल उठाए और इसकी प्रामाणिकता को लेकर बहस छेड़ दी।

क्या 1970 के दशक में 500 रुपये का नोट मौजूद था?

यह बहस इस तथ्य से उपजी कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहली बार 500 रुपये का नोट 1987 में जारी किया था। इससे पहले, भारतीय मुद्रा प्रणाली में 500 रुपये का कोई नोट प्रचलन में नहीं था। 1970 के दशक में सबसे बड़े मूल्य के नोट 100 रुपये तक सीमित थे। इस तथ्य को देखते हुए, यह स्पष्ट होता है कि यह नोट 1970 के दशक का नहीं हो सकता।

इसके अलावा, नोट पर देखे गए हस्ताक्षर तत्कालीन गवर्नर सी. रंगराजन के थे, जो 1992 से 1997 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे। इसका अर्थ यह हुआ कि यह नोट 1990 के दशक का है, न कि 1970 के दशक का।

1970

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ

इस वायरल नोट को लेकर सोशल मीडिया पर लोग दो धड़ों में बंट गए। कुछ लोगों ने इसे ऐतिहासिक विरासत मानते हुए इसकी महत्ता पर जोर दिया, तो कुछ ने इसे पूरी तरह से नकली करार दिया।

समर्थन में राय

  1. ऐतिहासिक मूल्य: कुछ उपयोगकर्ताओं ने कहा कि भले ही यह नोट 1970 का न हो, लेकिन यह एक ऐतिहासिक वस्तु है और इसे संग्रहणीय (collectible) माना जा सकता है।
  2. पुराने नोटों में दिलचस्पी: नोटों और सिक्कों के कलेक्टर्स ने इस नोट में रुचि दिखाई और इसकी संभावित कीमत को लेकर अटकलें लगाईं।
  3. गलत जानकारी का फैलाव: कुछ लोगों ने यह भी कहा कि भले ही यह नोट 1970 का न हो, लेकिन इसे गलत जानकारी के साथ वायरल किया गया।

विरोध में राय

  1. झूठा दावा: कई उपयोगकर्ताओं ने तर्क दिया कि 1970 के दशक में 500 रुपये का नोट था ही नहीं, तो यह दावा गलत है।
  2. मूल्यहीन नोट: नोटबंदी के बाद पुराने 500 रुपये के नोट का कोई मौद्रिक मूल्य नहीं रह गया, इसलिए इसे बेकार बताया गया।
  3. फर्जीवाड़े की संभावना: कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई कि यह नोट मॉडिफाइड हो सकता है या इसे गलत तरीके से प्रचारित किया गया।

क्या इस नोट का कोई कलेक्टर्स मूल्य है?

पुराने नोट और सिक्कों का एक बड़ा बाजार होता है, जहाँ दुर्लभ और ऐतिहासिक नोट ऊँचे दामों पर बेचे जाते हैं। लेकिन इस वायरल नोट की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यह फटा हुआ है और इसका एक हिस्सा गायब भी है, जिससे इसका कलेक्टर्स मूल्य कम हो जाता है। आमतौर पर, अच्छे संरक्षण में रखे गए नोटों की कीमत अधिक होती है।

इसके अतिरिक्त, 500 रुपये के इस नोट का ऐतिहासिक महत्व भी सीमित है क्योंकि यह 1970 के दशक का नहीं, बल्कि 1990 के दशक का है। इस कारण इसे अत्यधिक दुर्लभ नोटों में नहीं गिना जाता।

1970

भारतीय रिज़र्व बैंक की नीतियाँ और पुराने नोट

भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर नए नोट जारी करता है और पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर करता है। 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य कर दिया गया था। इसके स्थान पर नए 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट जारी किए गए थे।

आरबीआई की नीति के अनुसार, पुराने और अमान्य नोटों का कोई कानूनी मूल्य नहीं होता, लेकिन कलेक्टरों और इतिहासकारों के लिए ये महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

निष्कर्ष

वायरल हुआ यह 500 रुपये का नोट निश्चित रूप से 1970 के दशक का नहीं है, बल्कि 1990 के दशक का है। इस गलत जानकारी के बावजूद, इसने सोशल मीडिया पर लोगों की उत्सुकता को बढ़ाया और मुद्रा इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए चर्चा का विषय बन गया।

हालाँकि, कलेक्टर्स के लिए इसकी बहुत अधिक कीमत नहीं है, लेकिन फिर भी यह एक दिलचस्प वस्तु हो सकती है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे सोशल मीडिया पर फैली जानकारी को सत्यापित करना जरूरी है, खासकर जब वह इतिहास से जुड़ी हो।