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क्या इजराइल और ईरान के बीच युद्ध होने वाला है?

इजराइल

इजरायल-ईरान तनाव के बीच अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया है कि 2 दिन में ईरान इजरायल पर हमला कर सकता है| अमेरिका की खुफिया विभाग के हवाले से ये जानकारी दी गई है|

इस रिपोर्ट की माने तो हमले अगले 24 से 48 घंटे के भीतर हो सकते हैं| ईरान से जुड़े विशेष सूत्रों ने बताया है कि हमले की योजना पर चर्चा की जा रही है, हालांकि कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया| सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुए इजरायली हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है| ईरान ने इजराइल पर हमले की चेतावनी दी है|

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई के पास इजराइल हमले से जुड़ी सूचनए पहुंच चुकी हैं| गुरुवार को ब्रिटेन के विदेश मंत्री एनालेना बेयरबाक और डेविड कैमरन ने ईरानी समकक्ष होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन से बात की|

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इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू दे चुके हैं चेतावनी

बीते दिनों इजराइल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को सीधी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कोई हमें नुकसान पहुंचाएगा, तो उसका जवाब देंगे| उन्होंने कहा, कि इजराइल ने सुरक्षा को लेकर सभी अलर्ट जारी कर रखा है| हम रक्षात्मक हैं और आक्रामक रूप से भी पूरी तरह तैयार है|

अलर्ट पर इजरायल

ईरानी धमकी के बाद इजरायल हाई अलर्ट पर है| उसने अपने सभी सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं| अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को और मजबूत और अलर्ट पर किया है| हथियारों को तैनात कर दिया है और हर स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है|

इजराइल

फ्रांस की नागरिकों को यात्रा न करने की सलाह

फ्रांस ने ईरान के हमले की आशंका को देखते हुए अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वह इस क्षेत्र की यात्रा न करें| ईरान, फिलिस्तीन, और इजरायल की यात्रा से बचने को कहा है| ईरान की धमकी के बाद फ्रांसीसी विदेश मंत्री स्टीफन सेजर्न ने यह सिफारिश की है|

एक और युद्ध की आशंका

अरब दुनिया में तनाव बढ़ता जा रहा है| इजराइल तो पहले से ही आक्रामकता की सीमा लांघता जा रहा है और अब उसके मुकाबले में ईरान भी उतनी ही आक्रामक मुद्रा अख्तियार कर ली है| विशेषज्ञों की मानें, तो ईरान किसी भी वक्त इजरायल के किसी भी ठिकाने को निशाना बना सकता है| इधर इजरायल भी जवाब देने के लिए पूरी तरह चौकस मुद्रा में है| ईरान और इजरायल के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया है कि 1 दिन के अंदर ही अमेरिकी विदेश मंत्री अंटोनी ब्लिंकेन ने तुर्किये, चीन और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से बात की|

अमेरिकी विदेश मंत्री यह समझाने की कोशिश में लगे हैं कि मध्य-पूर्व में तनाव में वृद्धि किसी के हित में नहीं है| यहाँ यह कहना जरूरी है कि अमेरिका कमजोर दिख रहा है, उसका ईरान के साथ वर्षों से तनाव है और वह सीधे ईरान को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है| तो वह उन देशों के नेताओं की मदद ले रहा है, जो ईरान पर खास प्रभाव रखते हैं|

यहाँ अमेरिका को जरूर सोचना चाहिए कि आखिर यह नौबत क्यों आई? इजरायल की स्वतंत्रता अपनी जगह है, लेकिन उसकी बेलगाम आक्रामकता का बचाव कैसे किया जा सकता है| ग़ाज़ा को तबाह करने के बावजूद इजराइल संघर्ष विराम के लिए तैयार नहीं है| फिलिस्तीन पर बम बरसाते हुए छह महीने से ज्यादा वक्त बीत गया है| सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले की जिम्मेदारी भले उसने न ली हो, पर ईरान के संदेह को दूर करने के लिए भी उसने कुछ खास नहीं किया है| ईरान 1 अप्रैल को दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के लिए इजराइल को लगातार दोषी ठहरा रहा है, जिसमें ‘इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ के वरिष्ठ सदस्य मारे गए थे|

ईरान पर दबाव है कि वह अपने लोगों की मौत का बदला ले और अगर ऐसा होता है, तो अरब दुनिया में एक नया युद्ध छिड़ जाएगा या युद्ध का विस्तार हो जाएगा| यह दुनिया के लिए एक बड़े दुर्भाग्य की बात है की इजराइल भी ग़ाज़ा के अलावा अन्य जगहों पर भी जंग के लिए तैयार है और उससे भी दुखद यह है कि अमेरिका किसी भी सूरत में इजरायल की सुरक्षा से समझौता करने को तैयार नहीं होगा| यह भी चिंता बढ़ाने वाली बात है कि अमेरिका ने इजराइल में अपने नागरिकों को सावधान रहने के लिए कहा है|

इजराइल

किसी नए मोर्चे पर अगर युद्ध भड़कता है, तो उसका व्यापक असर होगा| मिशाल के लिए, इजरायली सरकार ने घोषणा की है कि श्रमिकों की कमी से निपटने और देश के निर्माण उद्योग की सहायता के लिए 6000 से अधिक भारतीय श्रमिक अप्रैल मई के बीच इजराइल आएंगे| मतलब, युद्ध के भड़कने से भारतीयों की चिंता में भी इजाफा होगा| रूस-यूक्रेन युद्ध में भी भारतीयों को अनावश्यक रूप से तनाव का सामना करना पड़ रहा है|

युद्ध और युद्ध क्षेत्र से भारत का न्यूनतम संबंध रहे, तो ही अच्छा है| भारत अक्सर आक्रामक देश को समझता रहा है कि युद्ध किसी के हित में नहीं है, पर जाहिर है कि दुनिया के कई देशों के लिए अमन-चैन के खास मायने नहीं है| जहां इजरायल की तारीफ संभव नहीं है, वहीं ईरान की भी प्रशंसा नहीं की जा सकती| हमास और हिज्बुल्ला जैसे निर्मम-खूंखार आतंकी संगठनों के पक्ष में ईरान का होना बहुत दुखद और बहुत शर्मनाक है| सभ्य दुनिया में अपनी मांग रखने और उसके लिए संघर्ष करने के दूसरे तरीके भी हो सकते हैं, इसलिए सीधे आतंकवादियों की मदद भी अमानवीय परिपाटी उन सभी देशों को छोड़नी पड़ेगी, जो दुनिया में वाकई शांति चाहते हैं|

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पश्चिम बंगाल: भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की इज्जत का सवाल

पश्चिम बंगाल

लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 सीटें राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा के लिए नाक और साख का सवाल बन गई है| इन सीटों के लिए सात चरणों में मतदान होना है| इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों यानी कांग्रेस और वाम मोर्चा के साथ सीटों पर तालमेल के बजाय तृणमूल कांग्रेस बंगाल की तमाम सीटों पर अकेले ही लड़ रही है| कांग्रेस और वाम मोर्चा ने सीटों पर समझौता किया है, तो दूसरी ओर भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा भी तमाम सीटों पर चुनाव लड़ रही है|

इन दोनों दावेदारों ने, यानी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा पर इस बार अपनी पुरानी सीटों को बचाने और उनकी संख्या बढ़ाने की काफी बड़ी चुनौती है| यही वजह है कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने बेहद आक्रामक चुनाव अभियान शुरू कर दिया है| बीते 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 18 सीटें तो तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं| दो सीटें भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के खाते में गई थीं, जबकि वाम मोर्चा का खाता भी नहीं खुला था|

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पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

वैसे तो सीटों के लिहाज से पश्चिम बंगाल तीसरा सबसे बड़ा राज्य है, और यह तमाम राजनीतिक दलों के लिए हमेशा काफी अहम रहा है| पर इस बार दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों यानी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की लड़ाई के कारण इसकी अहमियत कहीं ज्यादा बढ़ गई है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चरण के मतदान से पहले ही आधा दर्जन चुनावी रैलियां कर चुके हैं| तो वहीँ दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पीछे नहीं हैं| भाजपा ने बंगाल में कम से कम 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है| तो वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने भी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के प्रयास में मैदान में 26 नए चेहरे उतारें है|

पश्चिम बंगाल

बड़े राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा को नागरिक संशोधन कानून और संदेशखाली कांड का फायदा मिल सकता है| भाजपा नागरिकता संशोधन कानून के जरिए बंगाल की एक करोड़ से ऊपर की मतुवा आबादी को अपने पाले में खींचना चाहती है| इसी तरह संदेशखाली कार्ड के जरिए पार्टी के तमाम नेता राज्य में महिलाओं की स्थिति का प्रचार कर रहे हैं| बंगाल में कम से कम पांच सीटों पर मतुवा वोटर निर्णायक हैं|

इनमें तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोईत्रा की कृष्णानगर सीट भी है, पर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी लगातार भ्रम फैला रही है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत आवेदन करते ही नागरिकता छीन ली जाएगी| ममता इस कानून को एनआरसी से भी जोड़ रही है| ऐसे में, फिलहाल इस कानून का चुनावी फायदा या नुकसान किसे होगा, यह बताना मुश्किल है| भाजपा के लिए तृणमूल कांग्रेस द्वारा किये गए शिक्षक भर्ती घोटाला और राशन घोटाला भी एक प्रमुख मुद्दा है|

चुनाव में महिलाओं की काफी बड़ी भूमिका

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक इस्तेमाल का झूठा आरोप लगा रहे हैं| साथ ही, केंद्रीय योजनाओं के मद में कोई पैसा नहीं देने का भी आरोप भी लगा रहे हैं| ममता और पार्टी के नेता राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री, युवाश्री और सबुज साथी के अलावा बुजुर्ग और विधवा पेंशन जैसी कई योजनाओं का जमकर प्रचार कर रहे हैं| बंगाल राज्य के 7.5 करोड़ वोटरों में से 3.59 करोड़ महिलाएं वोटर शामिल हैं|

2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में इन योजनाओं ने महिलाओं के करीब 55% वोट तृणमूल कांग्रेस को दिलाया था| उसके बाद लक्ष्मी भंडार योजना शुरू की गई| केंद्रीय योजनाओं की काट के तौर पर राज्य सरकार व तृणमूल कांग्रेस अपने मजबूत तंत्र के जरिए अपनी योजनाओं का बड़े स्तर तक प्रचार करने में सफल रही हैं| लेकिन इन योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ में विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रहीं, जो कि कहीं हद तक सही है| लेकिन पार्टी के नेता ये सब जानते हुए भी कहते हैं कि इसका कोई असर नहीं होगा|

पश्चिम बंगाल

संदेशखाली कांड और कई घोटालों ने खराब की पार्टी की छवि

उत्तर 24-परगना जिले में विभिन्न घोटालों में तृणमूल कांग्रेस के मजबूत नेताओं की गिरफ्तारी ने भी पार्टी की चिंता बढ़ा दी है| वहां संगठन संभालने वाले मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक राशन घोटाले के कारण जेल में है| वहीं कोलकाता और हुगली जिलों में चुनावी जिम्मा संभालने वाले पार्थ चटर्जी भी शिक्षक भर्ती घोटाले के कारण जेल में है| संदेशखाली की भयावह घटना और उस मामले में दोषी शाहजहां शेख समेत पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी भी तृणमूल कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया है| संदेशखाली इलाका बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के तहत है|

पार्टी ने इसी सीट से पिछली बार जीतने वाली अभिनेत्री नुसरत जहां को टिकट नहीं दिया है| संदेशखाली कांड के दौरान वहाँ की महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को नज़रअंदाज़ करने के कारण नुसरत जहाँ की काफी बेइज्जती हुई है| इसी तरह बीरभूम और आस पास के जिलों में पार्टी के चुनाव अभियान की जिम्मेदारी उठाने वाले बाहुबली नेता अणुव्रत मंडल भी पशु तस्करी के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में है| पिछले चुनाव में पार्टी का मजबूत स्तंभ रहे पार्थ चटर्जी जेल में है, तो शुभेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं| पार्टी में जाने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने जमीनी स्तर पर भाजपा को काफी मजबूती प्रदान की है|

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