स्कूलों में बम की सूचना सही या गलत

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बुधवार सुबह राजधानी क्षेत्र में करीब 100 स्कूलों में बम की सूचना ने सबको चिंता में डाल दिया | बड़े पैमाने पर स्कूलों के जरिए दहशत फैलाने की साजिश हुई | हालांकि ज्यादातर स्कूलों में सुरक्षा चाक चौबंद रही है, बाहरी लोगों के स्कूल में जाने नहीं दिया जाता है | फिर भी स्कूलों में सुरक्षा की ज्यादा चिंता होनी चाहिए और सभी को नए सिरे से सचेत हो जाना चाहिए|

वैसे, अगर हम गौर करें, तो शायद ही कभी ऐसा होता है, जब दहशतकर बढ़ाकर हमले करते हैं | 9/11 का हमला हो या 26/11 का हमला,दशहतगर्द ने घातक हमले पहले बात कर यह धमकाकर नहीं किए थे | आमतौर पर हमला होने के बाद कोई आतंकी संगठन इसकी जिम्मेदारी लेता है | फिलहाल, स्कूलों में बम की धमकी से कोई खास दम नहीं दिखता है | पर इसका मतलब यह नहीं कि हम हाथ पैर हाथ डरे बैठ जाएं|

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ऐसी धमकियों को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि हम बच्चों की सुरक्षा का सवाल शामिल है | जांच पूरी होनी चाहिए, जहां-जहां बम की आशंका बताई गई, वहां वहां घेराबंदी करके पुलिस को स्थापित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए|

स्कूलों में बम: दहशतगर्दो की घटिया हरकत

दशतगर्दो की मानसिकता को समझने की जरूरत है, वह अपने किसी भी कार्यसतानि का बड़ा प्रभाव देखना चाहते हैं | ऐसे में तत्व भीड़ भरे बाजारों को चुनते हैं, ताकि छोटे धमाके का बड़ा असर हो | सके रेलवे स्टेशन, बाजार या बस अड्डे निशाने पर रहते थे, कि ज्यादा से ज्यादा को नुकसान पहुंचा कर समाज में बड़े पैमाने पर दहशत फैल सकेंगे | कभी दिल्ली में ट्रांजिस्टर की मदद से बसो में विस्फोट की साजिश होती थी, खिलौने का भी इस्तेमाल होता था |

अब भीड़ भरे इलाकों की संख्या बढ़ती जा रही है | जैसे ऊंची ऊंची इमारतें बन गई, अनेक माल खड़े हो गए हैं, उसी हिसाब से चिंता भी बढ़ गई है | अगर ऐसी जगह पर विस्फोट हो और भगदड़ मचे, तो बड़े पैमाने पर क्षति पहुंच सकती है, अराजक स्थिति बन सकती है | मतलब ऐसी तमाम भीड़ भरी जगह की सुरक्षा व्यवस्था को चाक – चौबंद रखने चाहिए ताकि किसी भी जगह की हिंसक या गलत गतिविधियां ऐसी जगह पर जाल ना बिछा सकें |

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भीड़ भरी जगह की संख्या दिनों दिन बढ़ती चली जाएगी और इसे बचा नहीं जा सकता | मिसाल के लिए इस पहले इतनी संख्या में स्कूल नहीं थे पर अब जगह-जगह पर स्कूल हो गए हैं, तो चुनौतियां भी बढ़ गई हैं | छोटे शहरों में भी भीड़ बढ़ रही है, पर बड़े शहरों में ज्यादा खतरा है | बड़े शहरों में जब आतंकी घटना होती है, तो देश दुनिया में ज्यादा चर्चा होती है |

राज्य सरकार और पुलिस की सजगता

दहशतगर्दों का मकसद ही यही होता है कि ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो सके | जब वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमला होता है या मुंबई जैसी व्यावसायिक राजधानी या दिल्ली में सीधे संसद पर, तब दहशत तेजी से फैलती है | इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश में के सभी आर्थिक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों की चिंता हमें होनी चाहिए |

तमाम स्कूलो, भीड़ भरी जगहो, भावनाओं के लिए विशेष रूप से सोचना होगा | दुर्घटना होने की स्थिति में लोग कैसे निकले ? हर भवन के पास भगदड़ से बचने की योजना होनी चाहिए | लोगों को भी जागरूक होना चाहिए | जैसे सिनेमा हॉल है वहां जगह-जगह बाहर निकालने के आपात रास्ते बारे में सूचना हो दर्ज होती है, पर उसे पर लोगों का ध्यान कम होता है ऐसा आपात योजनाओं के बारे में भी सभी लोगों को जानकारी होनी चाहिए, ताकि सुरक्षा और सावधानी के साथ लोग समय रहते अपनी जान बचाकर भवन से बाहर निकल जाएं |

इसी तरह स्कूलों की बात करें, तो स्कूलों में पहले रिहर्सल किया जाता था कि आपात स्थिति में किस कक्षा की छात्रा किस दिशा में होते हुए किस दरवाजे में बाहर निकलेंगे, सारे लोग आपात स्थिति में एक ही दरवाजे की ओर नहीं भागेंगे, कक्षाओं से निकल भागने के अधिक से अधिक या पर्याप्त रास्ते होंगे |

छात्रों के आप बताना होगा कि आपात स्थिति होने पर किसी रास्ते से भाग कर जाना है या कैसी स्कूल के मैदान में आना है | स्कूलों के पास बचाव की योजना होनी चाहिए | आपातकालीन व्यवस्था का रिहर्सल समय-समय पर किया जाना चाहिए, इससे लोगों को सजग रहने में मदद मिलती है समझ में लापरवाही भी घटती है |

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कितना सजग है प्रशासन और स्कूल व्यवस्था

बरहाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जिन स्कूलों को धमकी मिली है, वहां पुलिस को स्कूलों पर पूरा मौका मुयाना करना चाहिए और लगे हाथ स्कूलों की बचाव व्यवस्था की भी समीक्षा होनी चाहिए | ऐसा नहीं मानना चाहिए की धमकी में कोई शहर नहीं है ऐसी धमकी से भी एक सबक है कि हम पहले की तुलना में ज्यादा सचेत हो और बचाव संबंधी अपनी योजनाओं को पुनः परख कर चुस्त-दुरुस्त कर ले |

पुलिस को स्कूल प्रबंधन के पास बैठकर देखना चाहिए कि ऐसी स्थिति पर स्कूल कैसे अपना या अपने बच्चों का बचाव करेगी जिन स्कूलों के पास बचाव करेगा जिन स्कूलों के पास बचाव की योजना नहीं है, उनकी मदद पुलिस कर सकती है |

ऐसी ही तैयारी हर सोसाइटी, हर ऊंची इमारत, कार्यालय, बाजार, मॉल में भी होनी चाहिए | हवाई अड्डा और बस अड्डो की सुरक्षा की भी समीक्षा के दायरे में आना चाहिए | बचाव की स्थिति में पानी, बिजली की व्यवस्था, आपात चिकित्सा सुविधा को मुकम्मल करना चाहिए | आस-पास कौन से अस्पताल हैं? बचाव के लिए किधर जाना है, उनकी पूरी योजना लोगों को ध्यान में रखनी चाहिए |

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Bomb in Schools: Information is true or false

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On Wednesday morning, the news of bombs in about 100 schools in the capital region worried everyone. There was a conspiracy to spread terror through schools on a large scale. Although security is tight in most schools, outsiders are not allowed to enter the school. Still, there should be more concern about security in schools, and everyone should become aware again.

Well, if we notice, it rarely happens that attacks are carried out out of fear. Be it the 9/11 attacks or the 26/11 attacks, the terrorists did not carry out the deadly attacks by talking or threatening them. Usually, after an attack, a terrorist organization takes responsibility for it. At present, bomb threats in schools do not seem to have much effect. But this does not mean that we should sit in fear.

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Such threats also need to be taken seriously because we are concerned about the safety of children. The investigation should be completed, and wherever there was a threat of a bomb, the police should cordon off the place and follow the established procedure.

Bomb in Schools: Bad actions by terrorist

There is a need to understand the mentality of Dashatgardas, they want to see a big impact in any of their actions. In such a situation, elements choose crowded markets so that small explosions can have a big impact. Railway stations, markets, or bus stands were the targets, so that by causing harm to as many people as possible, they would be able to spread panic in society on a large scale.

Sometimes in Delhi, there was a conspiracy to explode buses with the help of transistors, toys were also used. Now the number of crowded areas is increasing. As tall buildings have been built and many buildings have been erected, anxiety has also increased accordingly.

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If there is an explosion at such a place and a stampede occurs, it can cause massive damage and create a chaotic situation. Meaning, the security arrangements of all such crowded places should be kept tight so that violent or wrong activities at any place cannot lay a trap in such a place. The number of crowded places will increase day by day, and it cannot be avoided.

Vigilance of state government and police

For example, earlier there were not so many schools, but now there are schools at different places, so the challenges have also increased. Crowding is increasing even in small cities, but there is more danger in big cities. When a terrorist incident occurs in a big city, it is discussed more in the country and the world. The only aim of terrorists is to get maximum publicity.

When there is an attack on the World Trade Tower or directly on the Parliament in a commercial capital like Mumbai or Delhi, panic spreads rapidly. There is no doubt that we should be concerned about all the economically and politically important cities in the country.

Particular consideration will have to be given to all schools, crowded places, and emotions. How did people evacuate in case of an accident? Every building should have a stampede prevention plan. People should also be aware.

Like in a cinema hall, information about emergency evacuation routes is recorded at various places, but people pay less attention to it. Similarly, everyone should be aware of the emergency plans so that they can act with safety and caution. People should get out of the building in time to save their lives.

Similarly, if we talk about schools, earlier rehearsals were done in schools so that, in case of an emergency, the students of which class would go in which direction and through which door. In case of an emergency, all the people would not run towards the same door; they would come out of the classrooms. There will be more and more than enough ways of escaping.

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How alert are the administration and school system?

Students will have to tell you whether, in case of an emergency, they should run away through some route or come to the school grounds. Schools should have a safety plan. Rehearsal of emergency arrangements should be done from time to time; this helps people to remain alert and also reduces carelessness in understanding.

However, in the schools of the National Capital Region where threats have been received, the police should inspect the schools at full opportunity, and the security arrangements of the schools should also be reviewed. It should not be believed that there is no city under threat.

There is also a lesson from such a threat: we should be more alert than before and re-examine and fine-tune our rescue plans. The police should sit with the school management and see how the school will defend itself or its children in such a situation. In those schools that have a rescue plan, the police can help those schools that do not have a rescue plan.

Similar preparations should be made in every society, every high-rise building, office, market, and mall. The security of airports and bus terminals should also come under review. In case of rescue, arrangements for water, electricity, and emergency medical facilities should be made. Which hospitals are nearby? People should keep in mind their complete planning of where to go for rescue.

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