ट्रम्प के टैरिफ़ विराम से बाज़ार में हेरफेर के दावे उभरे: एक गहरा विश्लेषण

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ट्रम्प के टैरिफ़ विराम से बाज़ार में हेरफेर के दावे उभरे: एक गहरा विश्लेषण

ट्रम्प

10 अप्रैल 2025 को, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर सुर्खियों में जगह बनाई। इस बार मामला उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर की गई एक पोस्ट और उसके बाद की गई एक बड़ी नीतिगत घोषणा से जुड़ा है। बुधवार को, ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि निवेशकों के लिए यह “खरीदारी करने का एक बढ़िया समय” है। उनकी यह पोस्ट अपने आप में सामान्य लग सकती थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उन्होंने उच्च टैरिफ़ पर 90 दिनों के विराम की घोषणा की।

इस घोषणा का असर तत्काल देखने को मिला—शेयर बाज़ार में उल्लेखनीय तेजी आई। लेकिन इस तेजी के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया। आलोचकों, जिनमें कुछ डेमोक्रेटिक नेता भी शामिल हैं, ने ट्रम्प पर बाज़ार में हेरफेर और संभावित अंदरूनी व्यापार (इनसाइडर ट्रेडिंग) का आरोप लगाया। इन आरोपों ने न केवल ट्रम्प की मंशा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इस मामले की गहन जांच की मांग को भी तेज कर दिया है। आइए, इस घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।

ट्रम्प की पोस्ट और टैरिफ़ विराम की घोषणा

ट्रम्प का ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करना कोई नई बात नहीं है। वह अक्सर इस मंच का उपयोग अपने विचारों, नीतियों और समर्थकों से संवाद करने के लिए करते हैं। बुधवार को उनकी पोस्ट में निवेशकों को शेयर बाज़ार में खरीदारी करने की सलाह दी गई थी। यह संदेश अपने आप में अस्पष्ट था—इसमें कोई विशिष्ट स्टॉक या सेक्टर का उल्लेख नहीं था। लेकिन कुछ ही घंटों बाद, ट्रम्प ने घोषणा की कि वह उच्च टैरिफ़, जो वैश्विक व्यापार और बाज़ारों पर दबाव डाल रहे थे, को 90 दिनों के लिए स्थगित कर रहे हैं। यह घोषणा अप्रत्याशित थी, क्योंकि हाल के महीनों में ट्रम्प अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत टैरिफ़ को बढ़ाने की वकालत करते रहे थे।

इस घोषणा का असर तुरंत शेयर बाज़ार पर दिखा। अमेरिकी बाज़ारों में तेजी आई, और कई प्रमुख सूचकांकों ने दिन के अंत तक उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। निवेशकों ने इस कदम को सकारात्मक माना, क्योंकि टैरिफ़ का स्थगन वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता को कम करने वाला कदम था। लेकिन इस तेजी के पीछे की कहानी इतनी साधारण नहीं थी।

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बाज़ार में हेरफेर और अंदरूनी व्यापार के आरोप

ट्रम्प की पोस्ट और टैरिफ़ विराम की घोषणा के बीच का समय अंतर—महज कुछ घंटे—आलोचकों के लिए संदेह का मुख्य कारण बना। उनका तर्क है कि ट्रम्प ने अपनी पोस्ट के जरिए निवेशकों को एक संकेत दिया, जिसके बाद उनकी घोषणा ने बाज़ार को ऊपर की ओर धकेल दिया। कुछ आलोचकों ने इसे बाज़ार में हेरफेर का एक स्पष्ट उदाहरण बताया। डेमोक्रेटिक नेताओं और वित्तीय विश्लेषकों के एक वर्ग ने दावा किया कि यह संभव है कि ट्रम्प या उनके करीबी सहयोगियों ने इस जानकारी का उपयोग निजी लाभ के लिए किया हो।

अंदरूनी व्यापार का आरोप गंभीर है। यह एक ऐसी प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसमें कोई व्यक्ति गोपनीय, गैर-सार्वजनिक जानकारी का उपयोग करके शेयर बाज़ार में व्यापार करता है। यदि ट्रम्प या उनके सहयोगियों ने टैरिफ़ विराम की घोषणा से पहले स्टॉक खरीदे और फिर घोषणा के बाद उन्हें बेचकर मुनाफा कमाया, तो यह कानूनी रूप से अंदरूनी व्यापार माना जा सकता है। हालांकि, अभी तक इस तरह का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है। फिर भी, सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने दावा किया कि ट्रम्प के करीबी कॉर्पोरेट दोस्तों ने इस छोटे समय अंतराल में लाखों गुना मुनाफा कमाया। ये दावे अभी सत्यापित नहीं हुए हैं, लेकिन इनसे विवाद और गहरा गया है।

शेयर बाज़ार पर प्रभाव

टैरिफ़ नीतियों का शेयर बाज़ार पर सीधा असर पड़ता है। पिछले कुछ महीनों में, ट्रम्प की आक्रामक टैरिफ़ नीतियों ने वैश्विक बाज़ारों में अस्थिरता पैदा की थी। एशियाई और यूरोपीय बाज़ारों में गिरावट देखी गई थी, और अमेरिकी बाज़ार भी दबाव में थे। लेकिन 90 दिनों के टैरिफ़ विराम की घोषणा ने इस माहौल को अचानक बदल दिया। निवेशकों ने राहत की सांस ली, और स्टॉक की कीमतों में तेजी देखी गई। विशेष रूप से उन कंपनियों के शेयरों में उछाल आया जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर हैं, जैसे कि टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल सेक्टर।

हालांकि, यह तेजी सभी के लिए सकारात्मक नहीं थी। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह एक अस्थायी उछाल हो सकता है। टैरिफ़ नीति में बार-बार बदलाव बाज़ार में अनिश्चितता को बढ़ा सकता है, और निवेशकों का भरोसा लंबे समय तक बना रहना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, यदि अंदरूनी व्यापार के आरोपों की जांच शुरू होती है, तो यह बाज़ार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा सकता है।

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आलोचकों का पक्ष

आलोचकों का कहना है कि ट्रम्प का यह कदम उनकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है—अप्रत्याशित बयानों और नीतियों के जरिए बाज़ार और जनता का ध्यान अपनी ओर खींचना। डेमोक्रेटिक नेताओं ने इसे “अनैतिक और संभावित रूप से अवैध” करार दिया। एक वरिष्ठ डेमोक्रेटिक सांसद ने कहा, “ट्रम्प ने पहले भी अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया है, और यह उसी का एक और उदाहरण है। हमें इसकी जांच करनी चाहिए कि क्या उन्होंने या उनके सहयोगियों ने इस घोषणा से पहले बाज़ार में कोई असामान्य गतिविधि की।” कुछ स्वतंत्र विश्लेषकों ने भी इस बात पर सहमति जताई कि समय संदिग्ध है और इसकी पारदर्शी जांच जरूरी है।

ट्रम्प का मौन

इन सभी आरोपों के बावजूद, ट्रम्प ने अभी तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। यह उनके लिए असामान्य नहीं है—वह अक्सर विवादों के बीच चुप्पी साध लेते हैं और बाद में अपने समर्थकों के बीच अपनी बात रखते हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि यह आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और डेमोक्रेट्स ट्रम्प को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। एक समर्थक ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ट्रम्प ने बाज़ार को बचाया, और अब वामपंथी उन्हें इसके लिए सजा देना चाहते हैं। यह हास्यास्पद है।”

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आगे की राह

इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े किए हैं। पहला, क्या वास्तव में अंदरूनी व्यापार हुआ था? इसके लिए अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) को ट्रम्प की घोषणा से पहले और बाद के बाज़ार के लेनदेन की जांच करनी होगी। दूसरा, क्या यह बाज़ार में हेरफेर का मामला है? यह साबित करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लिए ट्रम्प की मंशा को स्पष्ट रूप से स्थापित करना होगा। तीसरा, इस घटना का लंबे समय तक बाज़ार और ट्रम्प की विश्वसनीयता पर क्या असर होगा?

फिलहाल, यह स्पष्ट है कि ट्रम्प का टैरिफ़ विराम एक साधारण नीतिगत निर्णय से कहीं अधिक है। यह एक ऐसा कदम है जिसने आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी बहस को जन्म दिया है। यदि जांच शुरू होती है और आरोप सिद्ध होते हैं, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। दूसरी ओर, यदि यह केवल एक संयोग साबित होता है, तो ट्रम्प के समर्थक इसे उनकी आर्थिक कुशलता के प्रमाण के रूप में पेश करेंगे।

https://twitter.com/i/status/1910220382067384825

ट्रम्प के टैरिफ़ विराम और उससे पहले की उनकी पोस्ट ने शेयर बाज़ार को एक नई दिशा दी, लेकिन साथ ही विवादों को भी हवा दी। बाज़ार में हेरफेर और अंदरूनी व्यापार के आरोप गंभीर हैं, और इनका सच सामने आने में समय लगेगा। तब तक, यह घटना ट्रम्प के अप्रत्याशित और प्रभावशाली व्यक्तित्व का एक और उदाहरण बनी रहेगी। निवेशकों, आलोचकों और समर्थकों की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि यह कहानी आगे कैसे बढ़ती है। क्या यह एक सुनियोजित चाल थी, या महज एक संयोग? इसका जवाब भविष्य में ही मिलेगा।

लोकसभा चुनाव 2024: अमित शाह, प्रियंका गांधी और सीएम योगी में सत्ता संग्राम

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प्रियंका गांधी

भ्रष्टाचार करोगे तो जेल जाने से कोई नहीं रोक पायेगा; अमित शाह का प्रहार

गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि राहुल बाबा कहते हैं की धारा 370 वापस ले लेंगे, ट्रिपल तलाक बिल वापस करेंगे| अमित शाह ने कहा कि अखिलेश यादव ने 2021 में सरदार पटेल की प्रतिमा के उद्घाटन के समय पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को महान नेता बताया था| वोट बैंक के लिए जो जिन्ना को महान बताता है उसे वोट देना चाहिए क्या? अखिलेश इतिहास ढंग से पढ़ ले| भारत माता के दो टुकड़े करवाने वाला जिन्ना ही था|

कन्नौज, हरदोई और लखीमपुर खीरी में उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन के समय में साढ़े 12 लाख करोड रुपए के घपले-घोटाले हुए हैं| झारखंड में कांग्रेस सांसद के घर से साढे तीन सौ करोड़ रुपये, ममता बनर्जी के मंत्री के घर से 50 करोड़ रूपए कैश पकड़ा जाता है और फिर वह ईडी और सीबीआई को भला-बुरा कहते हैं| मैं राहुल गांधी और अखिलेश यादव से यही कहना चाहूंगा कि भ्रष्टाचार करोगे तो पकड़े भी जाओगे और जेल भी जाओगे| कोई रोक नहीं सकता है| उन्होंने आगे कहा कि 23 साल तक सीएम और आज तक पीएम रहने के बावजूद 25 पैसे का भी आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नहीं है|

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अमित शाह ने आगे कहा कि वोट बैंक के डर से श्री राम मंदिर के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अखिलेश यादव, डिंपल यादव, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी नहीं गए थे| उन्होंने कहा कि एक और इंडी गठबंधन है जिसके राज में रोज बम धमाके होते थे| पाकिस्तान से आलिया, मालिया, जमालिया घुस जाते थे और बम धमाके करते थे| दूसरी तरफ मोदी जी हैं जिन्होंने पुलवामा में हमला हुआ तो पाकिस्तान के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकियों का सफाया कर दिया|

उत्तर प्रदेश ने पिछली बार भाजपा को 64 सीटें दी थी पर अब की बार 80 में से 80 सीटें भाजपा को मिल रहीं हैं| आगे उन्होंने कहा कि मोदी ने गरीबों का कल्याण, युवाओं का सम्मान, किसानों को सही स्थान, नारी शक्ति का गुणगान करने का काम किया है| एक तरफ विपक्षी बेटे-बेटी, पति-पत्नी, भतीजे को सीएम और पीएम बनना चाहते हैं तो दूसरी तरफ मोदी जी किसानों, युवाओं और गरीबों व कल्याण करना चाहते है|

अमित शाह ने कहा कि हरदोई अटल जी की कर्मभूमि रही है| सन 1962 में हरदोई ने दीपक जलाकर जनसंघ को आगे बढ़ने का काम किया था| वह निमंत्रण दे रहे हैं कि 6 जून को मिश्रिख वालों 400 लड्डू लेकर दिल्ली जरूर आइएगा| 409 नए सांसदों को लड्डू खिलाना है| उन्होंने वंदे मातरम व भारत माता की जय के उद्घोष के साथ भाषण का समापन किया|

प्रियंका गांधी

कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप; सीएम योगी का पलटवार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ों और भारत की सनातन आस्था के प्रति अन्याय पत्र है| यह मुस्लिम लीग के नए वर्जन के जैसा है| अगर देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल का घोषणा पत्र मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व करता हो तो इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता है|

बुधवार को चुनाव प्रचार के लिए निकलने से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर परिसर में मीडिया से बातचीत की| कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी द्वारा भाजपा पर नफरत की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जाने के सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने पलटवार किया| उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जानता है कि बांटो और राज करो की नीति कांग्रेस को विरासत में मिली है|

अंग्रेजों की कुटिल चाल को 1947 में कांग्रेस ने सफल होने दिया और देश का बंटवारा कर दिया| उन्होंने कहा कि अब कांग्रेसी जनता की आंखों में धूल झोंक सत्ता नहीं हथिया पाएंगे क्योंकि नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पूरा देश एकजुट है| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के बाद राजनीतिक स्वार्थ के कारण जाति, क्षेत्र और भाषा के नाम पर देश में वर्ग संघर्ष को कांग्रेस ने बढ़ावा दिया है|

जनता के सवालों पर मौन साध लेते हैं प्रधानमंत्री मोदी; प्रियंका गांधी का तंज

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को भाजपा पर गुमराह करने का आरोप लगाया है| कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी के प्रचार के लिए दो दिनों से रायबरेली में प्रवास कर रही प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोला| प्रियंका गांधी ने कहा कि मोदी जी जनता के सवालों पर मौन साध लेते हैं| जनता को 5 किलो राशन दे दो, लेकिन रोजगार नहीं देना है| सैम पित्रोदा के बयान पर प्रियंका गांधी ने कहा की अमेरिका में किसी ने उल्टा-सीधा बयान दे दिया तो उसको कहा जा रहा है कि यह कांग्रेस की नीति है|

प्रियंका गांधी

रायबरेली के बछरावां विधानसभा क्षेत्र में जनसम्पर्क एवं नुक्कड़ सभाओं में प्रियंका गांधी ने कहा कि पूरी बीजेपी मशीनरी राहुल गांधी के खिलाफ लगी है| उनकी संसद सदस्यता और घर को छीना गया है| तमाम अवरोधों के बाद भी राहुल गांधी ने अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखी है| प्रियंका ने कहा कि भाजपा ने आम जनता को गुमराह किया है| उनको लगता है कि 5 किलो अनाज देकर वे आपको आत्मनिर्भर बना देंगे, जबकि वह आपके सम्मान को छीनकर आपको सरकार के ऊपर निर्भर रहना सिखा रहे हैं|

प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार अंबानी-अडानी को सारी संपत्ति दे रही है| एयरपोर्ट, पोर्ट, कोयला खदान आदि सब उनको दिया जा रहा है| प्रियंका गांधी ने कहा कि कांग्रेस ही सिर्फ अडानी-अंबानी को लेकर बोलती है|

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