ट्रंप ने कांग्रेस में कैंसर सर्वाइवर डी.जे. डैनियल को सम्मानित किया

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ट्रंप ने कांग्रेस में कैंसर सर्वाइवर डी.जे. डैनियल को सम्मानित किया

कैंसर

5 मार्च, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले संयुक्त सत्र भाषण के दौरान एक भावनात्मक और प्रेरणादायक क्षण प्रस्तुत किया, जब उन्होंने 13 साल के कैंसर सर्वाइवर डी.जे. डैनियल को सम्मानित किया। यह घटना अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में हुई, जहां ट्रंप ने डी.जे. को न केवल उनकी बहादुरी के लिए सराहा, बल्कि उन्हें यूएस सीक्रेट सर्विस का मानद एजेंट भी बनाया। यह पल न सिर्फ डी.जे. और उनके परिवार के लिए खास था, बल्कि पूरे अमेरिका और दुनिया भर में लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया। इस ब्लॉग में हम इस घटना के बारे में विस्तार से बात करेंगे और डी.जे. की अद्भुत कहानी को जानेंगे।

डी.जे. डैनियल कौन हैं?

डी.जे. डैनियल, जिनका पूरा नाम डेवार्जये “डी.जे.” डैनियल है, एक 13 साल का लड़का है जो टेक्सास से आता है। उनकी कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। साल 2018 में, जब डी.जे. केवल छह साल के थे, उन्हें ब्रेन कैंसर का निदान हुआ। डॉक्टरों ने उनके परिवार को बताया कि उनके पास जीने के लिए सिर्फ पांच महीने बचे हैं। यह खबर किसी भी परिवार के लिए विनाशकारी हो सकती थी, लेकिन डी.जे. और उनके पिता थियोडिस डैनियल ने हार नहीं मानी।

छह साल बाद, डी.जे. आज भी जिंदा हैं और अपनी कैंसर बीमारी से लड़ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने 13 ब्रेन सर्जरी का सामना किया और हर बार अपनी हिम्मत और जीवटता से सबको हैरान किया। लेकिन डी.जे. की कहानी सिर्फ कैंसर से लड़ाई की नहीं है; यह उनके सपनों और जुनून की कहानी भी है। डी.जे. का हमेशा से सपना रहा है कि वह बड़ा होकर पुलिस ऑफिसर बने। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने और उनके पिता ने एक अनोखी यात्रा शुरू की।

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एक सपने की शुरुआत

डी.जे. ने अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए एक मिशन शुरू किया – वह चाहते थे कि उन्हें देश भर की अलग-अलग लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों द्वारा मानद पुलिस ऑफिसर के रूप में शपथ दिलाई जाए। उनकी यह यात्रा तब शुरू हुई जब उनकी कहानी को लोगों ने सुना और उनका समर्थन करना शुरू किया। साल 2022 तक, डी.जे. को 230 से अधिक पुलिस विभागों ने मानद अधिकारी के रूप में शपथ दिलाई थी। उनकी इस कोशिश का उद्देश्य केवल अपने सपने को पूरा करना ही नहीं था, बल्कि बच्चों में होने वाले कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना भी था।

डी.जे. की प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत अबीगैल एरियस भी थीं, जो सात साल की उम्र में फेफड़ों के कैंसर से जूझ रही थीं और 2019 में उनकी मृत्यु हो गई थी। अबीगैल को फ्रीपोर्ट पुलिस डिपार्टमेंट ने मानद अधिकारी बनाया था, और उनकी कहानी ने डी.जे. को अपने मिशन के लिए प्रेरित किया। डी.जे. ने न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अबीगैल जैसे अन्य बच्चों की विरासत को सम्मान देने के लिए यह कदम उठाया।

ट्रंप का भावनात्मक सम्मान

5 मार्च, 2025 को वाशिंगटन डीसी में यूएस कैपिटल में हुए संयुक्त सत्र के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने डी.जे. की कहानी को पूरे देश के सामने प्रस्तुत किया। अपने भाषण में ट्रंप ने कहा, “हमारे साथ गैलरी में एक युवा लड़का मौजूद है जो सचमुच हमारे पुलिस को प्यार करता है। उसका नाम डी.जे. डैनियल है। वह 13 साल का है और उसका हमेशा से सपना रहा है कि वह पुलिस ऑफिसर बने। लेकिन 2018 में डी.जे. को ब्रेन कैंसर का पता चला। डॉक्टरों ने कहा कि उसके पास सिर्फ पांच महीने हैं। यह छह साल पहले की बात है।”

ट्रंप ने आगे कहा, “आज रात, डी.जे., हम आपको सबसे बड़ा सम्मान देने जा रहे हैं। मैं अपने नए सीक्रेट सर्विस डायरेक्टर सीन कुरेन से कह रहा हूं कि वह आपको आधिकारिक रूप से यूनाइटेड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस का एजेंट बनाएं।” जैसे ही ट्रंप ने यह घोषणा की, पूरे हाउस चैंबर में “डी-जे! डी-जे!” के नारे गूंजने लगे। डी.जे., जो ह्यूस्टन पुलिस की वर्दी में अपने पिता के साथ गैलरी में बैठे थे, के चेहरे पर आश्चर्य और खुशी साफ झलक रही थी। सीन कुरेन ने उन्हें मानद बैज सौंपा, और डी.जे. ने इसे गर्व से ऊपर उठाकर दिखाया।

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एकजुटता का क्षण

यह क्षण न केवल डी.जे. के लिए खास था, बल्कि यह अमेरिकी राजनीति में एक दुर्लभ एकजुटता का प्रतीक भी बना। आमतौर पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच गहरे मतभेद देखने को मिलते हैं, लेकिन डी.जे. की कहानी ने दोनों पक्षों को एक साथ खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया। जब ट्रंप ने डी.जे. को सम्मानित किया, तो हाउस चैंबर में मौजूद अधिकांश लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे। न्यूयॉर्क की डेमोक्रेट प्रतिनिधि लॉरा गिलेन ने भी इस पल की सराहना में खड़े होकर ताली बजाई, जो एक असामान्य लेकिन स्वागत योग्य दृश्य था।

हालांकि, कुछ डेमोक्रेट्स ने इस मौके पर भी तालियां नहीं बजाईं, जिसकी सोशल मीडिया पर आलोचना हुई। पूर्व व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी एरी फ्लेशर ने ट्वीट किया, “अगर डेमोक्रेट्स एक 13 साल के खूबसूरत लड़के के लिए ताली नहीं बजा सकते, जो पुलिस ऑफिसर बनना चाहता है, तो उनके साथ कुछ गलत है।”

विवाद और आलोचना

जहां ज्यादातर लोगों ने इस घटना को दिल को छू लेने वाला माना, वहीं कुछ आलोचकों ने इसे राजनीतिक नाटक करार दिया। एमएसएनबीसी की होस्ट रेचल मैडो और निकोल वॉलेस ने ट्रंप के इस कदम की आलोचना की। मैडो ने कहा, “यह घृणित है कि राष्ट्रपति ने एक युवा लड़के की कैंसर से लड़ाई को तमाशा बनाया, जैसे कि इसका श्रेय उन्हें जाता हो।” वॉलेस ने इसे 6 जनवरी, 2021 के कैपिटल दंगों से जोड़ने की कोशिश की, जो कई लोगों को अतार्किक लगा।

लेकिन इन आलोचनाओं के बावजूद, डी.जे. की कहानी और ट्रंप का यह कदम लोगों के दिलों तक पहुंचा। यह पल राजनीति से परे था – यह एक बच्चे की हिम्मत, सपनों और जीवटता की जीत का जश्न था।

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डी.जे. का संदेश

डी.जे. डैनियल की कहानी हमें सिखाती है कि सपने कभी छोटे नहीं होते, और मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों, हिम्मत और विश्वास के साथ उन्हें पार किया जा सकता है। ट्रंप द्वारा दिया गया यह सम्मान न सिर्फ डी.जे. के लिए एक उपलब्धि है, बल्कि उन सभी बच्चों के लिए एक प्रेरणा है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

आज डी.जे. न केवल एक कैंसर सर्वाइवर हैं, बल्कि अमेरिका के सबसे कम उम्र के मानद सीक्रेट सर्विस एजेंट भी हैं। उनकी यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि जिंदगी की हर लड़ाई में उम्मीद और साहस सबसे बड़े हथियार हैं।

पश्चिम बंगाल: भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की इज्जत का सवाल

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पश्चिम बंगाल

लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 सीटें राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा के लिए नाक और साख का सवाल बन गई है| इन सीटों के लिए सात चरणों में मतदान होना है| इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों यानी कांग्रेस और वाम मोर्चा के साथ सीटों पर तालमेल के बजाय तृणमूल कांग्रेस बंगाल की तमाम सीटों पर अकेले ही लड़ रही है| कांग्रेस और वाम मोर्चा ने सीटों पर समझौता किया है, तो दूसरी ओर भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा भी तमाम सीटों पर चुनाव लड़ रही है|

इन दोनों दावेदारों ने, यानी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा पर इस बार अपनी पुरानी सीटों को बचाने और उनकी संख्या बढ़ाने की काफी बड़ी चुनौती है| यही वजह है कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने बेहद आक्रामक चुनाव अभियान शुरू कर दिया है| बीते 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 18 सीटें तो तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं| दो सीटें भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के खाते में गई थीं, जबकि वाम मोर्चा का खाता भी नहीं खुला था|

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पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

वैसे तो सीटों के लिहाज से पश्चिम बंगाल तीसरा सबसे बड़ा राज्य है, और यह तमाम राजनीतिक दलों के लिए हमेशा काफी अहम रहा है| पर इस बार दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों यानी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की लड़ाई के कारण इसकी अहमियत कहीं ज्यादा बढ़ गई है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चरण के मतदान से पहले ही आधा दर्जन चुनावी रैलियां कर चुके हैं| तो वहीँ दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पीछे नहीं हैं| भाजपा ने बंगाल में कम से कम 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है| तो वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने भी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के प्रयास में मैदान में 26 नए चेहरे उतारें है|

पश्चिम बंगाल

बड़े राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा को नागरिक संशोधन कानून और संदेशखाली कांड का फायदा मिल सकता है| भाजपा नागरिकता संशोधन कानून के जरिए बंगाल की एक करोड़ से ऊपर की मतुवा आबादी को अपने पाले में खींचना चाहती है| इसी तरह संदेशखाली कार्ड के जरिए पार्टी के तमाम नेता राज्य में महिलाओं की स्थिति का प्रचार कर रहे हैं| बंगाल में कम से कम पांच सीटों पर मतुवा वोटर निर्णायक हैं|

इनमें तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोईत्रा की कृष्णानगर सीट भी है, पर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी लगातार भ्रम फैला रही है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत आवेदन करते ही नागरिकता छीन ली जाएगी| ममता इस कानून को एनआरसी से भी जोड़ रही है| ऐसे में, फिलहाल इस कानून का चुनावी फायदा या नुकसान किसे होगा, यह बताना मुश्किल है| भाजपा के लिए तृणमूल कांग्रेस द्वारा किये गए शिक्षक भर्ती घोटाला और राशन घोटाला भी एक प्रमुख मुद्दा है|

चुनाव में महिलाओं की काफी बड़ी भूमिका

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक इस्तेमाल का झूठा आरोप लगा रहे हैं| साथ ही, केंद्रीय योजनाओं के मद में कोई पैसा नहीं देने का भी आरोप भी लगा रहे हैं| ममता और पार्टी के नेता राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री, युवाश्री और सबुज साथी के अलावा बुजुर्ग और विधवा पेंशन जैसी कई योजनाओं का जमकर प्रचार कर रहे हैं| बंगाल राज्य के 7.5 करोड़ वोटरों में से 3.59 करोड़ महिलाएं वोटर शामिल हैं|

2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में इन योजनाओं ने महिलाओं के करीब 55% वोट तृणमूल कांग्रेस को दिलाया था| उसके बाद लक्ष्मी भंडार योजना शुरू की गई| केंद्रीय योजनाओं की काट के तौर पर राज्य सरकार व तृणमूल कांग्रेस अपने मजबूत तंत्र के जरिए अपनी योजनाओं का बड़े स्तर तक प्रचार करने में सफल रही हैं| लेकिन इन योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ में विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रहीं, जो कि कहीं हद तक सही है| लेकिन पार्टी के नेता ये सब जानते हुए भी कहते हैं कि इसका कोई असर नहीं होगा|

पश्चिम बंगाल

संदेशखाली कांड और कई घोटालों ने खराब की पार्टी की छवि

उत्तर 24-परगना जिले में विभिन्न घोटालों में तृणमूल कांग्रेस के मजबूत नेताओं की गिरफ्तारी ने भी पार्टी की चिंता बढ़ा दी है| वहां संगठन संभालने वाले मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक राशन घोटाले के कारण जेल में है| वहीं कोलकाता और हुगली जिलों में चुनावी जिम्मा संभालने वाले पार्थ चटर्जी भी शिक्षक भर्ती घोटाले के कारण जेल में है| संदेशखाली की भयावह घटना और उस मामले में दोषी शाहजहां शेख समेत पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी भी तृणमूल कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया है| संदेशखाली इलाका बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के तहत है|

पार्टी ने इसी सीट से पिछली बार जीतने वाली अभिनेत्री नुसरत जहां को टिकट नहीं दिया है| संदेशखाली कांड के दौरान वहाँ की महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को नज़रअंदाज़ करने के कारण नुसरत जहाँ की काफी बेइज्जती हुई है| इसी तरह बीरभूम और आस पास के जिलों में पार्टी के चुनाव अभियान की जिम्मेदारी उठाने वाले बाहुबली नेता अणुव्रत मंडल भी पशु तस्करी के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में है| पिछले चुनाव में पार्टी का मजबूत स्तंभ रहे पार्थ चटर्जी जेल में है, तो शुभेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं| पार्टी में जाने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने जमीनी स्तर पर भाजपा को काफी मजबूती प्रदान की है|

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