चुनावी बांड: सियासी चंदे की दुनिया में विवाद और वफादारी
चुनावी बांड: दुनिया भर के लगभग सभी लोकतंत्र में राजनीति में पैसे की बढ़ती भूमिका और इससे जुड़ी समस्याएं समाचारों में आती रहती हैंI आजकल भारत में भी चर्चा है इलेक्टोरल बांड को लेकर रोज़ कोई ना कोई खुलासा सामने आ रहा है आंकड़ों का अध्ययन करें तो अभी भी जारी है कि खासकर बड़े कॉर्पोरेट पर नजर है और यह देखा जा रहा है कि कौन किसका वफादार है क्या हम आने वाले समय में चांदी की व्यवस्था में सुधार कर सकते हैं?
भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एक से अधिक बार चुनावी बांड खरीदने वाला अधिकांश कंपनियां किसी एक पार्टी के प्रति वफादार नहीं है भारतीय जनता पार्टी के पास 43 वफादार कॉर्पोरेट जान दानदाता है जो दूसरी पार्टियों की तुलना में सबसे अधिक थे भाजपा के बाद ममता बनर्जी की अखिल भारतीय ट्राईमुर्ग कांग्रेस के पास 16 वरदान देता हैयह विश्लेषण वफादार दानदाताओं को उन कंपनियों के रूप में परिभाषित करता हैI
जिन्होंने एक से अधिक बार दान दिया है और हर बार एक ही पार्टी को दिया है ऐसे दानदाताओं में सबसे अधिक खरीदारी करने वाली कंपनी कोलकाता स्थित रिप्ले और कंपनीऔर हैंडलिंग प्राइवेट लिमिटेड थी जिसके सावधान त्रिमूल का दौरान बनाई गईमूल्य के हिसाब से डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स द्वारा भाजपा को दिए गए पांच दम शीर्ष पर हैं जिन की कीमत 130 करोड रुपए हैI
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चुनावी बांड: एक से अधिक बार चुनावी बाद खरीदने वाली 91 कंपनियों ने एक ही पार्टी को कई बार चुनावी बांड चंदा दिया था चुनाव आयोग की ओर से जारी चुनावी बांध के आंकड़ों का विश्लेषण अभी भी जारी हैगौर करने की बात है कि 263 कंपनियों ने कई बार चुनौती है विश्लेषण के अनुसार 762 कॉर्पोरेट दानदाताओं में से 263 ने निर्धारित समय सीमा के भीतर एक से अधिक बार चुनावी बाद खरीदे हैं मेगा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे अधिक बार बंद खरीदने वाली कंपनियां छत्तीसगढ़ बैंड खरीदे हैं और नौ अलग-अलग पार्टियों को चंदा दिया हैI
भाजपा सबसे बड़ी लाभार्थी (चुनावी बांड)
सबसे बड़ी लाभार्थी भाजपा को 362 अलग-अलग कॉर्पोरेट दानदाताओं ने चंदा दिया था जिसमें से 43 वफादार दानदाता थे इसके बाद कांग्रेस को 177 दानदाताओं ने चंदा दिया पर केवल आठ दानदाताओं ने ही बार-बार चंदा दियाI
बड़ी पार्टी के साथ ही सत्ताधारी पार्टी को भी इलेक्टोरल बांड के मामले में फायदा हुआअपने देश में अभी भाजपा अकेली पार्टी जिसके पास सारे 300 से ज्यादा दानदाता है इसके बाद कांग्रेस बरस तृणमूल का स्थान हैइन प्रमुख चार परियों के पास ही 100 से ज्यादा कॉर्पोरेट दानदाता है कॉर्पोरेट उन पार्टियों को जी देते हैं जो सत्ता में है इन कंपनियों की नीति को सहज ही समझाया जा सकता है I
चुनावी बांड: हालांकि कॉर्पोरेट की ओर से किए जाने वाले दान अक्षर विवाद में भी रहता हैऔर जिन पार्टियों को दान मिलता है वह निशाने पर रहती हैं अपने यहां प्रदर्शित का यह स्टार नहीं है जैसा होना चाहिए हम यह देख पा रहे हैं कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग ने आखिरी जारी करके पारदर्शिता सुनिश्चित करने की कोशिश की है पर राजनीतिक पार्टी ने सुप्रीम से इस दिशा में कुछ भी नहीं दिया है दरअसल अपने देश में कोई भी राजनीतिक पार्टी ऐसी नहीं है जो अपने खजाने में पूरी तरह से सफेद धन होने का दावा कर सके|
क्या सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में राजनीतिक चंदा (चुनावी बांड) पारदर्शी है?
अमेरिका ने अपने अनुभव से सीखा है हालांकि वहां भी चंदा पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है वहां यदि आप सीधे किसी उम्मीदवार के अभियान के लिए $50 से अधिक कोई रसीदान करते हैं तो अभियान को डाटा की पहचान और राज के बारे में संघीय चुनाव आयोग को बताना पड़ता है कमी वहां है जहां गैर लाभकारी संगठन दानदाताओं का खुलासा किए बिना पैसे खर्च कर सकते हैं अमेरिका ने साल 2020 के चुनाव में अनुमान लगाया थकीला धन एक अरब डॉलर से अधिक का था
सियासी चंदे (चुनावी बांड) से दुनिया के ज्यादातर लोकतंत्रों पर पड़ा असर
राजनीति के लिए धन की जरूरत है और ज्यादातर देशों में यह चुनावी धन व्यवस्था पर असर डालता है उदाहरण के लिए जापान में भर्ती घोटाला या ब्रिटेन में सनसनी के वेस्ट मिस्टर घोटाला अमेरिका में प्रसिद्ध वॉटर गेट घोटाला ब्राजील में चुनावी भुगतान से संबंधित घोटाले की श्रृंखला हमेशा याद आती है लगभग सभी लोकतंत्र में वित्त की समस्या चिंताजनक है चुनाव आधारित राजनीतिक भ्रष्टाचार ने कई यूरोपीय लोकतंत्र जैसी इटली ग्रीस फ्रांस स्पेन और बेल्जियम को भी प्रभावित किया हैI
कंपनियां भी पसंद के हिसाब (चुनावी बांड) से चुनती है पार्टी
ध्यान देने की बात किया है कि इलेक्टरल बांध के अब तक के आंकड़ों के अनुसार 11 कंपनियों ने पार्टियों बदली है एक बार एक पार्टी को चंदा देने के बाद 11 कंपनियों ने अगली बार दूसरी पार्टी को दान देने का फैसला किया है इनमें से एक कंपनी अरबिंदो फार्मा भी है जिसकी खूब चर्चा हो रही है इन 11 मामलों में पांच मित्र अनमोल कांग्रेस लाभार्थी रही है भाजपा को केवल तीन मामलों में ही लाभ पहुंचा है कोई भी कंपनी किसी भी डाल से संबंध खराब नहीं करना चाहती है इसलिए भीएक अधिक दलों को दान देता हैI
अमेरिका में (चुनावी बांड) क्या होता है?
अमेरिका भले ही दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र हो पर यह दुनिया का सबसे महंगा लोकतंत्र भी है यदि आप अमेरिका में राष्ट्रपति या कांग्रेस का चुनाव लड़ना चाहते हैं तो श्रेष्ठ धन संचय करता बनने के लिए तैयार रहे पारदर्शिता मां डंडों को पूरा करने के लिए कुलसी के अनुरूप एक खाता ऑडिट और कानूनी टीम होनी चाहिए अमेरिका में हर लेन-देन पर कड़ी नजर रहती है और स्थापित व्यवस्था के तहत लोगों को फंडिंग संबंधी जरूरी सूचनाओं मिलती रहती हैं I
किसी भी लोकतंत्र में राजनीतिक फंडिंग के सवाल पर सीता जवाब दे ही स्वतंत्रता के कई सिद्धांतों और अपेक्षाकृत समान अवसर के बीच एक संतुलन की भी जरूरत होती है विशेष रूप से अमेरिकी न्यायपालिका नेअपने इतिहास और समझसे सीखा है ताकि राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने की संवैधानिक गारंटी के साथ राजनीतिक वित्त को संभाल जा सकेI
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