मध्य प्रदेश: हिंदू लड़की से शादी के लिए कोर्ट पहुंचा मुस्लिम युवक, हिंदू संगठनों ने किया हंगामा
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक अंतरधार्मिक विवाह का मामला उस समय विवादों में घिर गया जब एक मुस्लिम युवक अपनी हिंदू प्रेमिका के साथ कोर्ट मैरिज के लिए जिला अदालत पहुंचा। जैसे ही इस घटना की जानकारी हिंदू संगठनों को लगी, उन्होंने अदालत परिसर में हंगामा कर दिया। इस दौरान युवक के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट भी की गई। मामले ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी बहस को जन्म दिया है।
क्या है पूरा मामला?
भोपाल निवासी शहजाद अहमद नामक युवक अपनी हिंदू प्रेमिका के साथ जिला अदालत पहुंचा था। दोनों शादी करने की योजना बना रहे थे और इसके लिए उन्होंने कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, हिंदू संगठनों को जब इस बारे में पता चला, तो वे मौके पर पहुंच गए और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, संगठन के सदस्यों ने युवक को घेर लिया और उसकी मंशा पर सवाल उठाते हुए उसे धमकाने लगे। बाद में, मामला बढ़ते-बढ़ते धक्का-मुक्की और हाथापाई तक पहुंच गया।
हिंदू संगठनों का आरोप: ‘लव जिहाद’ का मामला?
विरोध कर रहे हिंदू संगठनों ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया। संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने आरोप लगाया कि युवक पिछले तीन वर्षों से युवती के साथ संबंध में था, जब वह नाबालिग थी। उन्होंने दावा किया कि युवती को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा था।
तिवारी ने कहा,
“हम ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह लव जिहाद का एक और उदाहरण है, जिसमें हिंदू लड़कियों को झांसे में लेकर शादी के नाम पर उनके धर्म परिवर्तन की कोशिश की जाती है।”
हालांकि, युवती ने पुलिस को दिए अपने बयान में इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह अपनी मर्जी से शादी कर रही है।
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पुलिस की कार्रवाई
कोर्ट परिसर में बढ़ते हंगामे को देखते हुए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस ने युवक और युवती को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें हिरासत में ले लिया। दोनों से पूछताछ की गई और उनके परिवारों से संपर्क किया गया।
भोपाल पुलिस के एक अधिकारी ने बताया,
“हमने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं। शुरुआती जांच में युवती ने कहा है कि वह अपनी मर्जी से शादी कर रही है और उस पर कोई दबाव नहीं है। फिलहाल, मामले की गहन जांच की जा रही है।”
सोशल मीडिया पर मामला गर्माया
यह घटना सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गई। इस मुद्दे पर लोग दो धड़ों में बंटे नजर आए—कुछ लोगों ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया, जबकि अन्य ने इसे दो वयस्कों के निजी फैसले में बाहरी हस्तक्षेप करार दिया।
एक ट्विटर यूजर ने लिखा,
“अगर दो लोग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं, तो किसी को इसमें दखल देने का हक नहीं होना चाहिए। यह उनकी निजी जिंदगी का मामला है।”
वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा,
“लव जिहाद के मामलों को रोकना जरूरी है। सरकार को इस पर सख्त कानून लागू करना चाहिए।”
अंतरधार्मिक विवाह और कानून
भारत में विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act, 1954) के तहत विभिन्न धर्मों के लोग बिना धर्म बदले शादी कर सकते हैं। हालांकि, इस कानून के तहत शादी करने के लिए 30 दिन पहले विवाह का नोटिस देना होता है, ताकि अगर किसी को कोई आपत्ति हो, तो वह दर्ज की जा सके।
मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून लागू किया है, जिसे ‘मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2021’ कहा जाता है। इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति धोखे से, दबाव डालकर, या झांसा देकर किसी का धर्म परिवर्तन करवाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है।
इस मामले में भी पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या युवती पर किसी प्रकार का दबाव था या नहीं।
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रियाएँ आई हैं।
बीजेपी का रुख:
मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने कहा,
“हम प्रदेश में लव जिहाद को बढ़ावा नहीं देने देंगे। अगर कोई धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
वहीं, कांग्रेस ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला बताया और सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,
“अगर दो वयस्क सहमति से शादी कर रहे हैं, तो किसी को भी इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। बीजेपी सरकार बेवजह समाज में ध्रुवीकरण कर रही है।”
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएँ
यह कोई पहला मामला नहीं है जब अंतरधार्मिक विवाह को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें हिंदू संगठनों ने मुस्लिम युवकों पर हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी इसी तरह के मामले सामने आए थे, जहाँ पुलिस ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों से पूछताछ की थी।
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क्या कहता है समाज?
समाज में इस तरह के मामलों को लेकर दो तरह की राय देखी जाती है। एक वर्ग मानता है कि शादी पूरी तरह से व्यक्तिगत मामला है और इसमें किसी भी बाहरी संगठन या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का हक नहीं होना चाहिए।
वहीं, दूसरा वर्ग ‘लव जिहाद’ को गंभीर मुद्दा मानता है और इसे रोकने के लिए सख्त कानूनों की मांग करता है।
भोपाल विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर डॉ. अंजलि मिश्रा कहती हैं,
“समाज में विश्वास और आपसी समरसता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि धर्म और विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति न की जाए। हर व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है, लेकिन जबरदस्ती या धोखाधड़ी से हुए धर्म परिवर्तन पर कानून का सख्त होना जरूरी है।”
यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। अंतरधार्मिक विवाहों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि समाज में अभी भी धार्मिक आधार पर गहरे मतभेद मौजूद हैं।
आने वाले दिनों में पुलिस की जांच से स्पष्ट हो पाएगा कि यह वास्तव में एक प्रेम विवाह का मामला था या इसमें किसी प्रकार का दबाव था। लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने एक बार फिर ‘लव जिहाद’ और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बहस को हवा दे दी है।