Operation Sindoor: भारत की पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोगों की जान चली गई। आतंकियों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए पुरुषों को महिलाओं से अलग किया, पुरुषों की हत्या की और महिलाओं को यह संदेश देने के लिए छोड़ा कि वे “मोदी को बता दें”। इस जघन्य घटना के ठीक 14 दिन बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाया, जिसे ‘Operation Sindoor’ के नाम से जाना गया। यह ब्लॉग पोस्ट ऑपरेशन सिंदूर के विभिन्न पहलुओं, इसके महत्व, योजना, और प्रभावों पर प्रकाश डालता है।
Operation Sindoor क्या है?
Operation Sindoor भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 6-7 मई 2025 की रात को शुरू किया गया एक सटीक और सुनियोजित सैन्य अभियान था। इस अभियान का उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, जहां से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की साजिश रची और अंजाम दी जा रही थी। भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना की संयुक्त ताकत ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें से 4 ठिकाने पाकिस्तान के अंदर और 5 PoK में थे।
इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT), और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के ठिकाने शामिल थे। ऑपरेशन में राफेल, मिराज-2000, तेजस, और सुखोई-30 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों के साथ-साथ SCALP और Hammer जैसी मिसाइलों का उपयोग किया गया।
ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ क्यों?
‘Operation Sindoor’ का नामकरण अपने आप में एक गहरा संदेश लिए हुए है। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन का नाम स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुना। पहलगाम हमले में आतंकियों ने कई नवविवाहित पुरुषों को निशाना बनाया, जिससे उनकी पत्नियों का सुहाग उजड़ गया। हिंदू संस्कृति में सिंदूर विवाहित महिलाओं के लिए सुहाग का प्रतीक है। इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखकर भारत ने उन महिलाओं के दर्द और बलिदान को सम्मान दिया, जिन्होंने अपने पतियों को खोया। यह नाम न केवल भावनात्मक रूप से शक्तिशाली है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है।

ऑपरेशन की योजना और निष्पादन
Operation Sindoor की योजना अत्यंत गोपनीय और सटीक थी। भारतीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान और PoK में मौजूद आतंकी ठिकाने भारत में और हमले की साजिश रच रहे हैं। इस जानकारी के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के नेतृत्व में इस ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार की गई।
7 मई की रात करीब 1 बजे, जब दुनिया सो रही थी, भारतीय सशस्त्र बलों ने 25 मिनट के भीतर 24 सटीक मिसाइल हमले किए। इन हमलों में बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय ‘मार्कज सुभान अल्लाह’ और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा का आधार पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में 80 से 100 आतंकवादी मारे गए, जिनमें जैश और लश्कर के कई बड़े कमांडर शामिल थे
Operation Sindoor की खास बात यह थी कि इसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकी ढांचे तक सीमित रहे, ताकि यह युद्ध की स्थिति न बने।
प्रेस ब्रीफिंग और महिला सैन्य अधिकारियों की भूमिका
Operation Sindoor की सफलता के बाद, भारत ने एक ऐतिहासिक प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ दो महिला सैन्य अधिकारियों—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—ने हिस्सा लिया। यह पहली बार था जब भारतीय सैन्य अभियान की ब्रीफिंग में महिला अधिकारियों ने इतनी प्रमुख भूमिका निभाई। दोनों अधिकारियों ने ऑपरेशन के निष्पादन और इसके पीछे की रणनीति को विस्तार से बताया, साथ ही हमलों के वीडियो साक्ष्य भी प्रस्तुत किए|

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है और पहलगाम हमला कश्मीर में शांति भंग करने की साजिश थी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भारत भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयों के लिए तैयार है, यदि आतंकी खतरे बने रहे।
भारत और वैश्विक प्रतिक्रिया
Operation Sindoor को भारत में व्यापक समर्थन मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात भर इस ऑपरेशन की निगरानी की और कैबिनेट बैठक में इसे एक गर्व का क्षण बताया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, और कई अन्य नेताओं ने इसे ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारे के साथ सराहा। विपक्षी नेताओं, जैसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, ने भी सेना की इस कार्रवाई की प्रशंसा की|
वैश्विक स्तर पर, Operation Sindoor को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे भारत-पाकिस्तान तनाव में ‘बड़ी वृद्धि’ बताया, लेकिन भारत के संयमित दृष्टिकोण की सराहना की। सीएनएन और वाशिंगटन पोस्ट ने ऑपरेशन की तकनीकी परिशुद्धता और भारत के उन्नत हथियारों पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, अल जजीरा ने पाकिस्तान के दृष्टिकोण को अधिक तवज्जो दी और नागरिक हताहतों के दावों को उजागर किया। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से अधिकतम सैन्य संयम बरतने की अपील की|
ऑपरेशन का महत्व
ऑपरेशन सिंदूर न केवल पहलगाम हमले का जवाब था, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति का प्रतीक है। यह ऑपरेशन भारत की सैन्य क्षमता, खुफिया तंत्र, और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसके साथ ही, यह एक मजबूत संदेश देता है कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

Operation Sindoor ने यह भी साबित किया कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी बात को प्रभावी ढंग से रख सकता है। एनएसए अजीत डोभाल ने अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, और जापान जैसे देशों के अपने समकक्षों को ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी, जिससे भारत की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला।
ऑपरेशन सिंदूर भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक सैन्य जीत है, बल्कि उन परिवारों के लिए न्याय का प्रतीक है, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने प्रियजनों को खोया। ‘सिंदूर’ का नाम इस ऑपरेशन को एक भावनात्मक और सांस्कृतिक गहराई देता है, जो भारत की एकता और संकल्प को दर्शाता है।
हालांकि, इस ऑपरेशन ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, और भविष्य में शांति बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। फिर भी, ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। जय हिंद!
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