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पहलगाम हमला: PM मोदी ने सेना को दी ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ के बाद अगले दिन बुलाई CCS बैठक

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पहलगाम हमला: PM मोदी ने सेना को दी ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ के बाद अगले दिन बुलाई CCS बैठक

पहलगाम हमला

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला देश के लिए एक गहरा आघात था। इस हमले में 26 लोग, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, अपनी जान गंवा बैठे। पहलगाम हमला न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया तनाव भी पैदा करता है।

पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 29 अप्रैल को सेना को “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” दी, जिसका मतलब है कि सेना को हमले का जवाब देने के लिए तरीका, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी छूट है। इसके अगले ही दिन, 30 अप्रैल को, पीएम मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक बुलाई, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस हमले, सरकार की प्रतिक्रिया, और सीसीएस बैठक के महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

पहलगाम हमला: एक क्रूर साजिश

पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए जाना जाता है, 22 अप्रैल को आतंकवादियों के निशाने पर आया। बाइसारन मीडो में पांच से छह आतंकवादियों ने पर्यटकों के एक समूह पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई। यह हमला जम्मू-कश्मीर में पिछले दो दशकों में नागरिकों पर सबसे घातक हमलों में से एक था। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जिसे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले को “आतंकवाद के संरक्षकों की हताशा और कायरता” का प्रतीक बताया। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन्होंने कहा कि जब कश्मीर में शांति और समृद्धि लौट रही थी, आतंकवादियों और उनके आकाओं को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस हमले के पीछे की साजिश को बेनकाब किया जाएगा और दोषियों को कठोरतम सजा दी जाएगी।

भारत की त्वरित प्रतिक्रिया

पहलगाम हमला

पहलगाम हमले के तुरंत बाद, भारत सरकार ने कई कड़े कदम उठाए। 23 अप्रैल को सीसीएस की पहली बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई गैर-सैन्य उपायों की घोषणा की गई, जिनमें शामिल हैं:

  • इंडस वाटर ट्रीटी का निलंबन: भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की इस संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जिसे पाकिस्तान ने “युद्ध की कार्रवाई” के रूप में देखा।c6e78344 b83a 47c8 a870 a5b3f337bd03
  • अटारी सीमा बंद करना: भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र सक्रिय स्थलीय सीमा को बंद कर दिया गया।
  • पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना: भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए।a4e10521 1bb0 4e30 a98e 97ef669b1c82

पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसमें भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करना और भारत के साथ सभी व्यापार को निलंबित करना शामिल है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने हमले को “झूठा फ्लैग ऑपरेशन” करार देते हुए तटस्थ जांच की पेशकश की, लेकिन भारत ने इन दावों को खारिज कर दिया।

सेना को ‘पूर्ण स्वतंत्रता’

29 अप्रैल को पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की। इस बैठक में उन्होंने सेना को “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” देने की घोषणा की। इसका मतलब है कि सेना अब हमले का जवाब देने के लिए समय, स्थान, और तरीके का चयन स्वयं कर सकती है। यह निर्णय 2019 के पुलवामा हमले के बाद की स्थिति की याद दिलाता है, जब भारत ने बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हवाई हमला किया था।

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सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने इस बैठक में सेना की पेशेवर क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास जताया और आतंकवाद को कुचलने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। यह कदम भारत की “शून्य सहिष्णुता” नीति को दर्शाता है, जो आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर जोर देती है।

सीसीएस बैठक: रणनीति और सुरक्षा पर चर्चा

30 अप्रैल को, पीएम मोदी ने अपने लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर सीसीएस की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल थे। बैठक का मुख्य एजेंडा जम्मू-कश्मीर में समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करना और पहलगाम हमले के जवाब में संभावित कार्रवाइयों पर विचार-विमर्श करना था।

सीसीएस, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, ने इस बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की:

  1. सैन्य रणनीति: सेना को दी गई स्वतंत्रता के तहत संभावित सैन्य कार्रवाइयों की योजना। सूत्रों का कहना है कि सरकार हमले से संबंधित वीडियो और सबूतों को विश्व समुदाय के सामने पेश करने की तैयारी कर रही है।7b7c6ce8 a5bd 4f47 bc57 fec422221ac8
  2. कूटनीतिक कदम: भारत ने पहले ही कई देशों से समर्थन प्राप्त किया है। यूएई, यूके, और फिलिस्तीन जैसे देशों ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की।ebb7d615 7795 45eb bec7 abb3d3291ee8
  3. आंतरिक सुरक्षा: गृह मंत्रालय ने दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में संदिग्ध आतंकवादियों के घरों को ध्वस्त करने और 1,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई की गई है।82bfee1b fad7 40c6 ab1c 845a88f5e4bb48d132eb 55f2 43a8 b40a bd55fb53aea8

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

पहलगाम हमले ने देश में व्यापक आक्रोश पैदा किया है। विपक्षी दलों ने सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की है, हालांकि कुछ नेताओं, जैसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, ने सुरक्षा चूक का मुद्दा उठाया और पीएम मोदी की अनुपस्थिति की आलोचना की। दूसरी ओर, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सरकार के कदमों का समर्थन किया और पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने की बात कही।

सामाजिक स्तर पर, हिंदू दक्षिणपंथी समूहों ने 1 मई को बाजार बंद करने का आह्वान किया है, और लंदन में भारतीय समुदाय ने पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

चुनौतियां और भविष्य

पहलगाम हमला

पहलगाम हमला भारत के लिए कई चुनौतियां पेश करता है। पहली चुनौती है कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने की सरकार की नीति पर पुनर्विचार। 2024 में 35 लाख पर्यटकों ने कश्मीर का दौरा किया था, जिसे सरकार ने सामान्य स्थिति का सबूत बताया था। लेकिन इस हमले ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दूसरी चुनौती है भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ता तनाव। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने भारत की किसी भी कार्रवाई को “सर्व-आउट युद्ध” की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।

निष्कर्ष

पहलगाम हमला भारत की सुरक्षा और कूटनीति के लिए एक गंभीर चुनौती है। पीएम मोदी द्वारा सेना को दी गई “पूर्ण स्वतंत्रता” और सीसीएस की बैठकें दर्शाती हैं कि सरकार इस हमले का जवाब देने के लिए कटिबद्ध है। यह समय देश के लिए एकजुट होने और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का है। जैसा कि पीएम मोदी ने कहा, “राष्ट्र की एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।” यह एकता और दृढ़ संकल्प ही भारत को इस संकट से उबार सकता है

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