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राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीद, अमेठी छोड़ी

रायबरेली

रायबरेली और अमेठी सीट को लेकर कायम सस्पेंस बीते शुक्रवार को सुबह खत्म हो चुका है| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे| वही अमेठी से कांग्रेस ने राजीव, सोनिया गाँधी और राहुल गांधी के प्रतिनिधि रह चुके किशोरी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है|

25 वर्षों में यह पहला मौका है जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य अमेठी से चुनाव नहीं लड़ रहा है| वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गाँधी को करीब 55 हजार वोटो के मार्जिन से पराजित किया था| राहुल गांधी ने शुक्रवार को दोपहर अपना परचा रायबरेली सीट से दाखिल किया| नामांकन के समय राहुल के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी समेत इंडी गठबंधन के कई सहयोगी दलों के नेता भी थे|

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राहुल के नामांकन में शामिल होने से पूर्व प्रियंका गांधी कुछ देर के लिए अमेठी से नामांकन दाखिल करने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा से मिलने पहुंची| राहुल गाँधी सुबह करीब 10:30 बजे फुरसतगंज एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी समेत अन्य नेता नामांकन में शामिल हुए|

कांग्रेस के हिसाब से फैसला सही

कांग्रेस ने राहुल गांधी के रायबरेली सीट से लड़ने के फैसले को सही बताते हुए कहा कि रायबरेली से चुनाव लड़ना उनके लिए भावनात्मक मामला था| क्योंकि इसका नेतृत्व उसके दादा फिरोज गांधी, उसकी दादी इंदिरा गांधी और बाद में उसकी मां सोनिया गांधी ने किया था| सोनिया ने स्वास्थ्य के चलते रायबरेली से इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने को राजी नहीं थी और राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुई थी|

रायबरेली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल पर कसा तंज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर राहुल गांधी पर तंज कसा| उन्होंने कहा कि वायनाड से हार सुनिश्चित देख उन्होंने तीसरा ठिकाना ढूंढ लिया है|

बर्धमान और दुर्गापुर में शुक्रवार को विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डरो मत! भागो मत! प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने पहले ही बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हारने वाले है| हार के डर से जैसे ही मतदान समाप्त होगा, वह तीसरी सीट खोजने लग जाएंगे|

अमेठी से भी इतना डर गए हैं की वहां से भागकर रायबरेली में ठिकाना खोज रहे हैं| कांग्रेस के लोग घूम-घूम कर कहते हैं कि डरो मत! डरो मत! मैं भी इन्हें कहता हूं कि अरे डरो मत! भागो मत! प्रधानमंत्री मोदी ने सोनिया गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि मैंने संसद भवन में बहुत पहले कांग्रेस की हार की बात कही थी| जब उनके वरिष्ठ नेता सीट छोड़ राज्यसभा जा रहे हैं इससे यह सबूत मिलता है कि उन्होंने अपनी हार भांप ली है|

रायबरेली सीट का जातीय समीकरण

रायबरेली सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सर्वाधिक संख्या दलित मतदाताओं की है| यह आंकड़ा 32 फ़ीसदी से अधिक है| करीब 11 फीसदी ब्राह्मण है, लगभग 9 फीसदी राजपूत है, 7 फ़ीसदी यादव वर्ग के मतदाता है| यहाँ मुसलमान और लोघ मतदाता करीब 6 फ़ीसदी है और कुर्मी 4 फीसदी के करीब है| ओबीसी मतदाताओं की तादाद भी करीब 23 फ़ीसदी है|

रायबरेली

कांग्रेस को अपना किला बचाने की कड़ी चुनौती

रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रही है| रायबरेली ने 2014 और 2019 की विशाल मोदी लहर में भी कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा| अब राहुल गाँधी के कंधों पर परिवार की विरासत संभाले की जिम्मेदारी है| इसी के साथ राहुल गाँधी को यूपी के इस एकमात्र कांग्रेस के दुर्ग को बचाने की भी चुनौती है|

रायबरेली लोकसभा सीट का गठन वर्ष 1952 में हुआ था| 1952 व 1957 में फिरोज गांधी यहाँ चुनाव जीते थे| 1960 के उपचुनाव में कांग्रेस के बैजनाथ कुरील जीते थे| फिर 1962 में कांग्रेस के बैजनाथ कुरील जीते थे| 1968, 1971 और 1980 में इंदिरा गांधी यहां से सांसद बनी थी| 1977 में राजनारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था| 1980 के उपचुनाव व 1984 में अरुण नेहरू चुनाव जीते थे| 1989 व 1991 में इंदिरा गाँधी की मामी शीला कौल सांसद बनी थी| 1996 व 1998 में भाजपा के अशोक सिंह चुनाव जीते थे| वर्ष 2004, 2006 के उपचुनाव और 2009, 2014 और 2019 में सोनिया गाँधी चुनाव जीती थी|

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Political discussion of development versus justice

Political

In any democracy, elections are not a means of winning or losing, forming or bringing down a government, they are actually a medium of inspiring political consciousness. Elections are a medium to inspire discussions on dialogue, development, and nation-building in society. During election days, those debates are basically shaped by the speeches and statements given by the leaders in the manifesto and rally issued by the political parties.

Actually, I believe that this election is an election of clashes of images, due to which the images of the political leaders, which have deteriorated over a long period, have more impact than the words said during this election. In this election, people are voting more on the memories and influence of ‘doing’ than on words.

Elections and promises of various political parties

Some election debates are aimed at long-term change, while others are of an immediate popular nature. What are the debates in this election that are inspired by this strategy of gaining popularity for immediate political gains? Consideration of all these issues is necessary not only in the context of this election but also for the development, expansion and deepening of the entire democracy.

There are two types of debates in this election. On one hand, India is making the goal of becoming the country’s third-largest economy a topic of discussion. There, the state is promoting schemes for the distribution of resources in Indian society by keeping the four economic classes—poor, youth, women, and farmers—at the center.

Political

On the other hand, Congress is promoting the social welfare program as populism by combining it with the concept of reservation-based caste-centric social justice along with other promises in its manifestos. For this, she is also using caste census in the entire country as a populist slogan in her election discussions.

If we look at the process of framing the debates of this election, it seems clear that BJP wants to base this election around the image of Prime Minister Narendra Modi, the concept of a developed India focused on all social welfare programmes.

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Election manifestos of political parties

In this election, leaving aside the indirect caste additions and subtractions in the ticket distribution, it has tried to distance itself from the politics of caste identity in the speeches of its manifesto leaders. At the same time, Congress has tried to make the issue of caste-based social injustice in Indian society a popular debate on the issue of reservation-based social justice from the very beginning of its election discourse.

This time, religious identity in the context of minorities and caste identity in the context of social justice remain the central elements of the Congress manifesto. Congress leader Rahul Gandhi has repeatedly raised this issue of caste and religious identity with terms like justice and injustice.

Congress has raised many fear- and anxiety inducing discussions, like the Constitution will be changed under BJP rule, whether elections will not be held, etc. This strategy of Congress’ election discussion has hindered BJP from changing its election discussion strategy.

To respond to these conventional political weapons of Congress, BJP has fired its conventional weapon of doing politics of demonization on Congress along with its discussion of development, pride of India and developed India.

In this discussion of appeasement, along with castes, the discussion of religious identity has also started coming to the fore. BJP has intelligently linked this discourse of appeasement with the discourse of social justice. Started this propaganda that, in order to satisfy the people of one religion, Congress wants to snatch the rights of the backward, scheduled caste, and tribal poor and distribute them among a particular religious community.

Political

At the same time, he has woven the intention of Congress to conduct a survey of gold and property in the narrative of a threat to the privileges of Indian women and the “mangalsutra” of middle-class women.

Political parties’ own caste promises

This should be considered a master stroke of Prime Minister Modi in the politics of narratives in the Indian elections, in which he not only shook the mind of the middle class but also took the identity of the poor, backward and Dalits out of the framework of traditional caste-based social justice politics, Hindutva, A balanced mix of social justice and development aspirations has been prepared. There is such a deadly attack in politics, it remains to be seen how Congress’s discourse will be able to face it.

It is seen again and again that caste is sometimes helpful as a unit of distribution of social justice, but later on it gives rise to many types of social injustice. The Congress will have to understand that it is extremely difficult to separate caste from caste in Indian society.

We have seen that many such experiments have failed so far. After independence, the politics of social justice have seen Kashiram, a unique experimenter, eventually weaken after initial successes. It has to be understood that the edge of caste in Indian society can be blunted only through the process of economic development.

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न्याय का राजनीतिक विचार-विमर्श बनाम विकास

राजनीतिक

किसी भी जनतंत्र में चुनाव मात्रा जीत हार, सरकार बनाने-गिराने का माध्यम नहीं होते है , यह वस्तुतः राजनीतिक चेतना को प्रेरित करने का माध्यम होते हैं | चुनाव समाज में संवाद, विकास एवं राष्ट्र निर्माण के विमर्शों को प्रेरित करने का माध्यम होता है | चुनाव के दिनों में वे बहसे मूलतः राजनीतिक दलों द्वारा जारी किए गए घोषणा पत्र रेैलिया में नेताओं के दिए गए भाषणों और बयानों से बनती बिगड़ती है|

वैसे तो मानना है कि यह चुनाव छवियो के टकराव का चुनाव है, जिससे इस चुनाव के दौरान राजनीतिक नेताओं द्वारा कही गई बातों से ज्यादा एक लंबे कालखंड में बनी बिगड़ी उनकी छवियों का असर है | इस चुनाव में कथनी से ज्यादा ‘करनी’ की स्मृतियों एवं प्रभाव में जनता वोट डाल रही है|

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चुनाव और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के वादे

चुनाव के कुछ बहसे दीर्घकालिक परिवर्तन की दृष्टि से होती है, तो कुछ बहसे तात्कालिक लोकप्रिय प्रकृति की होती है | इस चुनाव में ऐसी कौन सी बहसे ऎसी हैं जो तात्कालिक राजनीतिक लाभ का यह लोकप्रियता पाने की रणनीति से प्रेरित है | इन तमाम मुद्दों पर विचार इस चुनाव के संदर्भ में ही नहीं वरन पूरे लोकतंत्र के विकास एवं विस्तार एवं उसे गहरा बनाने के लिए जरूरी है |

इस चुनाव में दो प्रकार की बहसे होती हैं | एक तरफ, भारत देश की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को विमर्श करने का विषय बना रही है| वहां भारतीय समाज में राज्य एवं संसाधनों के वितरण के लिए गरीब, युवा, नारी एवं किसान, चार आर्थिक वर्गों को केंद्र में रखकर योजनाओं को प्रचारीत कर रही है|

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दूसरी तरफ, कांग्रेस अपनी घोषणा पत्रों में अन्य वादों के साथ समाज कल्याण कार्यक्रम को आरक्षण आधारित जाती केंद्रित सामाजिक न्याय की अवधारणा के साथ मिलाकर लोकप्रियवादे के रूप में प्रचारित कर रही है | इसके लिए वह पूरे देश में जातीय जनगणना करने का भी एक लोकप्रियता वादी नारे के बारे में अपने चुनाव विमर्श में इस्तेमाल कर रही है|

अगर इस चुनाव की बहसों के निर्माण की प्रक्रिया को देख, तो साफ लगता है कि भाजपा इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि,सभी सामाजिक कल्याण की कार्यक्रमों पर केंद्रित एवं विकसित भारत की संकल्पना की ईद-गिर्द रखना चाहती है | इस चुनाव में टिकट बंटवारे में परोक्ष जातीय जोड़ घटाव की ओर छोड़ दे, तो अपने उसने घोषणा पत्र के नेताओं के भाषणों में जातीय अस्मिता की राजनीति से दूरी बनाने की कोशिश की है |

चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की घोषणा-पत्र

वहीं कांग्रेस ने अपने चुनावी विमर्श में शुरू से ही भारतीय समाज में जातीय आधारित सामाजिक अन्याय को मुद्दा बनाने बनाते हुए पारंसपरिक ढंग की आरक्षण आधारित सामाजिक न्याय को लोकप्रिय बहस बनाने की कोशिश की है | इस बार अल्पसंख्यकों के संदर्भ में धार्मिक अस्मिता एवं सामाजिक न्याय के संदर्भ में जातीय अस्मिता कांग्रेस के घोषणा पत्र के केंद्रीय तत्व बने हुए हैं | कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस जातीय एवं धार्मिक अस्मिता को न्याय अन्याय जैसी शब्दावली के बारे में बार-बार उठाया है |

कांग्रेस ने भाजपा के शासन में आने वाले संविधान बदल दिया जाएगा, चुनाव नहीं होंगे आदि अनेक भय व चिन्ता जगाने वाली विमर्श खड़े किए हैं | कांग्रेस के चुनावी विमर्श को इसी रणनीति ने भाजपा को अपने चुनावी विमर्श की रणनीति में परिवर्तन के लिए बाधित किया है | कांग्रेस के इन पारंसपरिक राजनीतिक अस्त्रों का जवाब देने के लिए भाजपा ने अपने विकास, भारत गर्व एवं विकसित भारत के विमर्श के साथ ही कांग्रेस पर तुदृष्टीकरण की राजनीति करने का पारंसपरिकअस्त्र चला दिया है |

राजनीतिक

इसी तुष्टीकरण के विमर्श में जातियों के साथ ही धार्मिक अस्मिता का विमर्श भी सामने आने लगा है | भाजपा ने साक्षमता से इस तुष्टीकरण के विमर्श को सामाजिक न्याय की विमर्श से जोड़ दिया है | यह प्रचार शुरू कर दिया कि कांग्रेस के एक धर्म के लोगों को संतुष्ट करने के लिए पिछड़ों, अनुसूचित जाति, जनजाति के गरीबों का हक छीनकर एक खास धार्मिक समुदाय में बांट देना चाहती है | साथ ही, उसने कांग्रेस द्वारा स्वर्ण एवं संपत्ति के सर्वे की मंशा को भारतीय स्त्रियों की विशेषाधिकार मध्यम वर्गीय स्त्रियों के “मंगलसूत्र” पर खतरे की वृत्तांत में पिरो दिया है |

राजनीतिक पार्टियों की अपनी जातीये वादे

भारतीय चुनाव में वृतांतों या नरेटिवेस की राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी का यह मास्टर स्टोक माना जाना चाहिए, जिसमें उन्होंने मध्यमवर्गीय मानस को झकझोरा ही, गरीबों, पिछड़ो एवं दलितों की अस्मिता को भी पारंपरिक जाति आधारित सामाजिक न्याय की राजनीति के खाचे से बाहर निकाल हिंदुत्व, सामाजिक न्याय और विकास की आकांक्षा का संतुलित मिश्रण तैयार किया है | राजनीति में एक ऐसा मारक आक्रमण है, जिसका सामना कांग्रेस के विमर्श कार कैसे कर पाते हैं, यह देखना होगा |

यह बार-बार देखने में आता है की जाति कई बार सामाजिक न्याय के वितरण की एक इकाई के रूप में मददगार होती है, किंतु आगे चलकर अनेक प्रकार के सामाजिक अन्याय को जन्म देती है | कांग्रेस को यह समझना होगा की जाति से जाति को काटना भारतीय समाज में अत्यंत मुश्किल है | हमने देखा हैकि ऐसे अनेक प्रयोग अब तक विफल हुए है |

आजादी के बाद सामाजिक न्याय की राजनीति एक अनोखे प्रयोगकर्ता काशीराम शुरुआती सफलताओं के बाद अंतत कमजोर पड़ती देखे गए हैं | समझना होगा कि भारतीय समाज में जाति की धार को आर्थिक विकास की प्रक्रिया से ही कुंद किया जा सकता है|

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स्कूलों में बम की सूचना सही या गलत

स्कूलों

बुधवार सुबह राजधानी क्षेत्र में करीब 100 स्कूलों में बम की सूचना ने सबको चिंता में डाल दिया | बड़े पैमाने पर स्कूलों के जरिए दहशत फैलाने की साजिश हुई | हालांकि ज्यादातर स्कूलों में सुरक्षा चाक चौबंद रही है, बाहरी लोगों के स्कूल में जाने नहीं दिया जाता है | फिर भी स्कूलों में सुरक्षा की ज्यादा चिंता होनी चाहिए और सभी को नए सिरे से सचेत हो जाना चाहिए|

वैसे, अगर हम गौर करें, तो शायद ही कभी ऐसा होता है, जब दहशतकर बढ़ाकर हमले करते हैं | 9/11 का हमला हो या 26/11 का हमला,दशहतगर्द ने घातक हमले पहले बात कर यह धमकाकर नहीं किए थे | आमतौर पर हमला होने के बाद कोई आतंकी संगठन इसकी जिम्मेदारी लेता है | फिलहाल, स्कूलों में बम की धमकी से कोई खास दम नहीं दिखता है | पर इसका मतलब यह नहीं कि हम हाथ पैर हाथ डरे बैठ जाएं|

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ऐसी धमकियों को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि हम बच्चों की सुरक्षा का सवाल शामिल है | जांच पूरी होनी चाहिए, जहां-जहां बम की आशंका बताई गई, वहां वहां घेराबंदी करके पुलिस को स्थापित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए|

स्कूलों में बम: दहशतगर्दो की घटिया हरकत

दशतगर्दो की मानसिकता को समझने की जरूरत है, वह अपने किसी भी कार्यसतानि का बड़ा प्रभाव देखना चाहते हैं | ऐसे में तत्व भीड़ भरे बाजारों को चुनते हैं, ताकि छोटे धमाके का बड़ा असर हो | सके रेलवे स्टेशन, बाजार या बस अड्डे निशाने पर रहते थे, कि ज्यादा से ज्यादा को नुकसान पहुंचा कर समाज में बड़े पैमाने पर दहशत फैल सकेंगे | कभी दिल्ली में ट्रांजिस्टर की मदद से बसो में विस्फोट की साजिश होती थी, खिलौने का भी इस्तेमाल होता था |

अब भीड़ भरे इलाकों की संख्या बढ़ती जा रही है | जैसे ऊंची ऊंची इमारतें बन गई, अनेक माल खड़े हो गए हैं, उसी हिसाब से चिंता भी बढ़ गई है | अगर ऐसी जगह पर विस्फोट हो और भगदड़ मचे, तो बड़े पैमाने पर क्षति पहुंच सकती है, अराजक स्थिति बन सकती है | मतलब ऐसी तमाम भीड़ भरी जगह की सुरक्षा व्यवस्था को चाक – चौबंद रखने चाहिए ताकि किसी भी जगह की हिंसक या गलत गतिविधियां ऐसी जगह पर जाल ना बिछा सकें |

स्कूलों

भीड़ भरी जगह की संख्या दिनों दिन बढ़ती चली जाएगी और इसे बचा नहीं जा सकता | मिसाल के लिए इस पहले इतनी संख्या में स्कूल नहीं थे पर अब जगह-जगह पर स्कूल हो गए हैं, तो चुनौतियां भी बढ़ गई हैं | छोटे शहरों में भी भीड़ बढ़ रही है, पर बड़े शहरों में ज्यादा खतरा है | बड़े शहरों में जब आतंकी घटना होती है, तो देश दुनिया में ज्यादा चर्चा होती है |

राज्य सरकार और पुलिस की सजगता

दहशतगर्दों का मकसद ही यही होता है कि ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो सके | जब वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमला होता है या मुंबई जैसी व्यावसायिक राजधानी या दिल्ली में सीधे संसद पर, तब दहशत तेजी से फैलती है | इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश में के सभी आर्थिक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों की चिंता हमें होनी चाहिए |

तमाम स्कूलो, भीड़ भरी जगहो, भावनाओं के लिए विशेष रूप से सोचना होगा | दुर्घटना होने की स्थिति में लोग कैसे निकले ? हर भवन के पास भगदड़ से बचने की योजना होनी चाहिए | लोगों को भी जागरूक होना चाहिए | जैसे सिनेमा हॉल है वहां जगह-जगह बाहर निकालने के आपात रास्ते बारे में सूचना हो दर्ज होती है, पर उसे पर लोगों का ध्यान कम होता है ऐसा आपात योजनाओं के बारे में भी सभी लोगों को जानकारी होनी चाहिए, ताकि सुरक्षा और सावधानी के साथ लोग समय रहते अपनी जान बचाकर भवन से बाहर निकल जाएं |

इसी तरह स्कूलों की बात करें, तो स्कूलों में पहले रिहर्सल किया जाता था कि आपात स्थिति में किस कक्षा की छात्रा किस दिशा में होते हुए किस दरवाजे में बाहर निकलेंगे, सारे लोग आपात स्थिति में एक ही दरवाजे की ओर नहीं भागेंगे, कक्षाओं से निकल भागने के अधिक से अधिक या पर्याप्त रास्ते होंगे |

छात्रों के आप बताना होगा कि आपात स्थिति होने पर किसी रास्ते से भाग कर जाना है या कैसी स्कूल के मैदान में आना है | स्कूलों के पास बचाव की योजना होनी चाहिए | आपातकालीन व्यवस्था का रिहर्सल समय-समय पर किया जाना चाहिए, इससे लोगों को सजग रहने में मदद मिलती है समझ में लापरवाही भी घटती है |

स्कूलों

कितना सजग है प्रशासन और स्कूल व्यवस्था

बरहाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जिन स्कूलों को धमकी मिली है, वहां पुलिस को स्कूलों पर पूरा मौका मुयाना करना चाहिए और लगे हाथ स्कूलों की बचाव व्यवस्था की भी समीक्षा होनी चाहिए | ऐसा नहीं मानना चाहिए की धमकी में कोई शहर नहीं है ऐसी धमकी से भी एक सबक है कि हम पहले की तुलना में ज्यादा सचेत हो और बचाव संबंधी अपनी योजनाओं को पुनः परख कर चुस्त-दुरुस्त कर ले |

पुलिस को स्कूल प्रबंधन के पास बैठकर देखना चाहिए कि ऐसी स्थिति पर स्कूल कैसे अपना या अपने बच्चों का बचाव करेगी जिन स्कूलों के पास बचाव करेगा जिन स्कूलों के पास बचाव की योजना नहीं है, उनकी मदद पुलिस कर सकती है |

ऐसी ही तैयारी हर सोसाइटी, हर ऊंची इमारत, कार्यालय, बाजार, मॉल में भी होनी चाहिए | हवाई अड्डा और बस अड्डो की सुरक्षा की भी समीक्षा के दायरे में आना चाहिए | बचाव की स्थिति में पानी, बिजली की व्यवस्था, आपात चिकित्सा सुविधा को मुकम्मल करना चाहिए | आस-पास कौन से अस्पताल हैं? बचाव के लिए किधर जाना है, उनकी पूरी योजना लोगों को ध्यान में रखनी चाहिए |

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Bomb in Schools: Information is true or false

schools

On Wednesday morning, the news of bombs in about 100 schools in the capital region worried everyone. There was a conspiracy to spread terror through schools on a large scale. Although security is tight in most schools, outsiders are not allowed to enter the school. Still, there should be more concern about security in schools, and everyone should become aware again.

Well, if we notice, it rarely happens that attacks are carried out out of fear. Be it the 9/11 attacks or the 26/11 attacks, the terrorists did not carry out the deadly attacks by talking or threatening them. Usually, after an attack, a terrorist organization takes responsibility for it. At present, bomb threats in schools do not seem to have much effect. But this does not mean that we should sit in fear.

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Such threats also need to be taken seriously because we are concerned about the safety of children. The investigation should be completed, and wherever there was a threat of a bomb, the police should cordon off the place and follow the established procedure.

Bomb in Schools: Bad actions by terrorist

There is a need to understand the mentality of Dashatgardas, they want to see a big impact in any of their actions. In such a situation, elements choose crowded markets so that small explosions can have a big impact. Railway stations, markets, or bus stands were the targets, so that by causing harm to as many people as possible, they would be able to spread panic in society on a large scale.

Sometimes in Delhi, there was a conspiracy to explode buses with the help of transistors, toys were also used. Now the number of crowded areas is increasing. As tall buildings have been built and many buildings have been erected, anxiety has also increased accordingly.

schools

If there is an explosion at such a place and a stampede occurs, it can cause massive damage and create a chaotic situation. Meaning, the security arrangements of all such crowded places should be kept tight so that violent or wrong activities at any place cannot lay a trap in such a place. The number of crowded places will increase day by day, and it cannot be avoided.

Vigilance of state government and police

For example, earlier there were not so many schools, but now there are schools at different places, so the challenges have also increased. Crowding is increasing even in small cities, but there is more danger in big cities. When a terrorist incident occurs in a big city, it is discussed more in the country and the world. The only aim of terrorists is to get maximum publicity.

When there is an attack on the World Trade Tower or directly on the Parliament in a commercial capital like Mumbai or Delhi, panic spreads rapidly. There is no doubt that we should be concerned about all the economically and politically important cities in the country.

Particular consideration will have to be given to all schools, crowded places, and emotions. How did people evacuate in case of an accident? Every building should have a stampede prevention plan. People should also be aware.

Like in a cinema hall, information about emergency evacuation routes is recorded at various places, but people pay less attention to it. Similarly, everyone should be aware of the emergency plans so that they can act with safety and caution. People should get out of the building in time to save their lives.

Similarly, if we talk about schools, earlier rehearsals were done in schools so that, in case of an emergency, the students of which class would go in which direction and through which door. In case of an emergency, all the people would not run towards the same door; they would come out of the classrooms. There will be more and more than enough ways of escaping.

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How alert are the administration and school system?

Students will have to tell you whether, in case of an emergency, they should run away through some route or come to the school grounds. Schools should have a safety plan. Rehearsal of emergency arrangements should be done from time to time; this helps people to remain alert and also reduces carelessness in understanding.

However, in the schools of the National Capital Region where threats have been received, the police should inspect the schools at full opportunity, and the security arrangements of the schools should also be reviewed. It should not be believed that there is no city under threat.

There is also a lesson from such a threat: we should be more alert than before and re-examine and fine-tune our rescue plans. The police should sit with the school management and see how the school will defend itself or its children in such a situation. In those schools that have a rescue plan, the police can help those schools that do not have a rescue plan.

Similar preparations should be made in every society, every high-rise building, office, market, and mall. The security of airports and bus terminals should also come under review. In case of rescue, arrangements for water, electricity, and emergency medical facilities should be made. Which hospitals are nearby? People should keep in mind their complete planning of where to go for rescue.

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Home Minister Amit Shah said Congress is behind the fake video

Amit Shah

Union Home Minister Amit Shah has come under attack for his edited video being circulated on social media advocating the abolition of reservations for SC, ST, and OBC. He said that the Congress party is behind my fake video.

In a press conference in Guwahati, Amit Shah said that Congress’s frustration has reached such a level that it is spreading fake videos of me and many other BJP leaders. Not only this, but the minister, state president, and other people are also promoting some fake videos.

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Today, a criminal case is going on against a prominent Congress leader. This action is a sign of their frustration and disappointment. Regarding this matter, he also targeted Congress leader Rahul Gandhi and accused him of taking politics to a new low. He said that the attempt to gain public support by releasing fake videos of Home Minister Amit Shah is condemnable. Any big party should never do this.

Delhi Police sent notice to 12 more people related to Home Minister Amit Shah’s fake video

Delhi Police’s Intelligence Fusion and Strategic Operations Unit has sent notices to 12 more people in the fake video case of Home Minister Amit Shah.

Earlier, notices were sent to 6 people, including Telangana Chief Minister Revanth Reddy, to join the investigation. IFSO has so far sent notices to a total of 18 people in the case. The IFSO unit has formed several different teams to investigate the case related to Home Minister Amit Shah’s fake video and arrest the criminals. Most of the people who have been hit by the notice are those who shared the edited video of Home Minister Amit Shah on social media.

Details of sharers found

By interrogating these people, the police want to know the real source of the edited video. It is also important to know whether the sharers know who made it and how this video reached these people in Delhi. The police had sought the details of those who shared the videos by writing letters to various social media platforms, some of which were also obtained by the police during its own investigation. Due to lack of information about some, detailed information has been sought. The police are struggling to find out who first shared the video of Home Minister Amit Shah online.

Amit Shah

Two Congress-AAP leaders arrested for sharing fake video

Gujarat Police arrested a Congress leader and an official of the Aam Admi Party for sharing a fake video of Amit Shah. They have been identified as Satish Vanshoa, a resident of Palanpur in Banaskantha, and Rakesh Baria, from Limkheda town in Dahod district. It said that preliminary investigation revealed that Vanshola has been working as a personal assistant (PA) of Congress MLA Jignesh Mewari for the last 6 years, while Baria has been the President of your Dahod unit for the last 4 years.

Prime Minister Modi said fake video in love shop

Prime Minister Narendra Modi held election rallies in Maharashtra and Telangana on Tuesday. Taking aim at the Congress, he said that the BJP is not able to compete with the policy government, and its rivals are misusing technology to circulate fake videos on social media. He is selling fake videos in his ‘Mohabbat Ki Dukaan’ using my voice through artificial intelligence. This shop of lies should be closed. As said, the current election is now for the honor of the country.

Amit Shah

In Maharashtra’s Dhara Shiv, he said that the opposition is continuously criticizing me. Sometimes it is said that Modi will take away reservations and abolish the Constitution. The only identity of Congress is betrayal. He has betrayed Maharashtra. He also mentioned his government’s emphasis on popularizing millets across the world. He said, I know that fat has reached the dining tables all over the world. In Malsiras, Solapur district of Maharashtra, Modi targeted Sharad Pawar and said that there is a wandering soul in Maharashtra. If she does not achieve success, then she will spoil the good work of others.

Narendra Modi said in the meeting held in Mendak, Telangana, that till now the reservation of SC, ST, and OBC will not be given to Muslims on the basis of religion. He said that if Congress comes to power, it will inherit it. Will take a 55% share of their ancestors’ property. Attacking CM Revanth Reddy, he said that the money collected through Double R Tax in the state is being sent to Delhi.

Narendra Modi said in Letur that during the Congress rule, newspaper headlines used to be that another dossier was handed over to Pakistan on terrorist activities in India. Now that India does not send the dossier, it directly enters the house and kills. He said that the India Alliance prepared a formula, under which the parties involved would get the post of Prime Minister for one year each if they came to power. Taking aim at Rahul Gandhi, Modi said, When I talk about a better India, he gets fever.

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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा फर्जी वीडियो के पीछे कांग्रेस

अमित शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण खत्म करने की वकालत करते हुए सोशल मीडिया पर प्रसारित अपने एडिटेड वीडियो को लेकर हमला बोला है | उन्होंने कहा कि मेरे फर्जी वीडियो के पीछे कांग्रेस पार्टी है |

गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस को हताशा इस स्तर तक पहुंच गई है कि वह मेरे और कई अन्य भाजपा नेताओं के फर्जी वीडियो फैला रही है | यही नहीं, मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और अन्य लोग भी किसी फर्जी वीडियो को आगे बढ़ा रहे हैं |

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आज कांग्रेस के एक प्रमुख नेता पर आपराधिक मामला चल रहा है | यह कार्रवाई उनकी हताशा और निराशा को संकेत है | इस मामले को लेकर उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना सदा औरउन पर राजनीति को नए निचले स्तर पर ले जाने का आरोप लगाया | उन्होंने कहा, कि फर्जी वीडियो जारी करके जनता समर्थन हासिल करने का प्रयास निंदनीय है| किसी भी बड़ी पार्टी को ऐसा कभी नहीं करना चाहिए |

अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस ने 12 और लोगों को नोटिस भेजा

गृहमंत्री अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने 12 और लोगों को नोटिस भेजा है |

इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवत रेड्डी समेत 6 लोगों को जांच से में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा था | मामले में अब तक कुल 18 लोगों को आईफएसओ नोटिस भेज चुकी है | मामले की जांच करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए आईएफएसओ यूनिट ने कई अलग अलग टीमें बनाई है | नोटिस को जद में आने वाले लोगों में ज्यादातर वे लोग हैं जिन्होंने एडिटेड वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया | इन लोगों से पूछताछ कर पुलिस एडिटेड वीडियो का असली स्रोत जानना चाहती है |

यह भी जानना आवश्यक है कि क्या साझा करने वाले जानते हैं कि गृहमंत्री अमित शाह की फर्जी वीडियो को किसने बनाया था और यह वीडियो आखिर इन लोगों तक कैसे पहुंचा दिल्ली |

साझा करने वालों का ब्योरा मिला

पुलिस ने गृहमंत्री अमित शाह की फर्जी वीडियो को वीडियो साझा करने वालों का जो ब्यौरा सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों को पत्र लिखकर मांगा था, उसमें से कुछ का ब्यौरा पुलिस को खुद की जांच के दौरान भी मिल गया है | कुछ के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण विस्तृत जानकारी मांगी है | पुलिस यह पता लगाने में झूठी है कि आखिर सबसे पहली बार गृहमंत्री अमित शाह की फर्जी वीडियो को किसने ऑनलाइन साझा किया|

अमित शाह

फर्जी वीडियो साझा करने में कांग्रेस-आप के दो नेता बंदी

गुजरात पुलिस ने अमित शाह का फर्जी वीडियो साझा करने के आरोप में कांग्रेस के एक नेता और आम आदि पार्टी की एक पदाधिकारी को गिरफ्तार किया |

इनकी पहचान बनासकांठा के पालनपुर निवासी सतीश वंशोला और दाहोद जिले के लिमखेड़ा शहर से राकेश बारिया के रूप में हुई है | इसमें कहा गया कि प्रारंभिक जान से पता चला कि वंशोला पिछले 6 वर्षों से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाड़ी की निजी सहायक यानी पीए के रूप में काम कर रहे हैं, जबकि बारिया पिछले 4 वर्ष से आपके दाहोद इकाई के अध्यक्ष हैं |

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मोहब्बत की दुकान में फर्जी वीडियो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को महाराष्ट्र और तेलंगाना में चुनावी रैली की | उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नीति सरकार से मुकाबला नहीं कर पा रही है प्रतिद्वेंदी सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो प्रसारित करने के लिए तकनीकी का दुरुपयोग कर रहे हैं| वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एआई जरिए मेरे आवाज का उपयोग कर अपनी ‘मोहब्बत की दुकान’ में फर्जी वीडियो बेच रहे हैं | झूठ की यह दुकान बंद होनी चाहिए | कहा, मौजूदा चुनाव देश के अब सम्मान के लिए है |

अमित शाह

महाराष्ट्र के धारा शिव में उन्होंने कहा, कि वह विपक्ष मेरे लगातार आलोचना कर रहे हैं | कभी कहते हैं मोदी आरक्षण छीन लेगा, संविधान खत्म कर देगा | कांग्रेस की केवल एक ही पहचान विश्वासघात | ईसने महाराष्ट्र को धोखा दिया है | दुनिया भर में मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने पर उनकी सरकार जोर का भी जिक्र किया | वह बोले, मैं जानता हूं मोटा आना दुनिया भर में डाइनिंग टेबल तक पहुंचे | महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मालसिरस में मोदी ने शरद पवार पर निशाना साधते हुए बोले महाराष्ट्र में एक भटकती आत्मा है | यदि उसे सफलता हासिल नहीं होती तो वह दूसरों के अच्छे काम को खराब करती है |

नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना की मेंडक में हुई सभा में कहा, कि अब तक वह है एससी एसटी और ओबीसी का आरक्षण धर्म के आधार पर मुसलमान को नहीं देंगे | बोले, कांग्रेस सत्ता में आए तो विरासत कर लेगी | उनके पूर्वजों की संपत्ति का 55% हिस्सा ले लेगी | सीएम रेवंत रेड्डी पर हमला कर कहा, राज्य में डबल आर टैक्स से जूटाया धन दिल्ली भेजा जा रहा है |

नरेंद्र मोदी ने लेतुर में कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान अखबारों की सुर्खियां होती थी कि भारत में आतंकी गतिविधियों पर पाकिस्तान को एक और डोजियर सौपा | अब भारत डोजियर नहीं भेजता, सीधे घर में घुसकर मारता है | उन्होंने कहा, कि इंडिया गठबंधन ने एक फार्मूला तैयारकिया, जिसके तहत शामिल दलों को सत्ता में आने पर एक-एक साल के लिए प्रधानमंत्री पद मिलेगा | राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, जब मैं एक श्रेष्ठ भारत का बात करता हूं तो उनको बुखार आ जाता है|

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा ईवीएम ने बूथ कैपचरिंग को खत्म किया

ईवीएम

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की आशंका व संदेश को निराधार बताया है और कहा कि दोबारा से मतपत्र से मतदान करने की प्रणाली पर वापस लौटने से पिछले कुछ समय में चुनाव की स्थिति पहले जैसे हो जाएगी | शीर्ष अदालत ने कहा कि ईवीएम की जगह मत पत्र पर वापस लौटना उस दौर में जाना होगा जब भूथ कैपचरिंग होती थी |

सिर्फ अदालत ने ईवीएम में दर्ज 100 फ़ीसदी मतों को वीवीपैट से मिलान करने और फिर से मत पत्र से चुनाव कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज करते हुई यह टिप्पणी की है |

जस्टिस संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की पीठ ने गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म औरअन्य की यचिकाओं को खारिज करते हुए सहमति वाले दो अलग-अलग फैसले दिए | जस्टिस खन्ना ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने ईवीएम में हेर फेर या किसी भी तरह से बदलाव किए जाने का अंदेशा जताया है लेकिन इसे अस्वीकार करने में के लिए कोई समुचित आदर नहीं होने के कारण इस मांग की दावे की को खारिज किया जाता है |

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ईवीएम में छेड़छाड़ के पहलू पर जस्टिस खन्ना ने अपने फैसले में लिखा कि चुनाव परिणाम को बेहतर बनाने के लिए जली हुई मेमोरी में अगेये वादी फर्मवेयर को हैक करने या इसके साथ छेड़छाड़ करने की संभावना निराधार है | उन्होंने कहा याचिकाओं कर्त्ता कि इस संदेह को खारिज कर देना चाहिए कि ईवीएम को बार-बार गलत तरीके से प्रोग्राम करके किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग रिकॉर्ड किया जा सकता है | एवीएम और मतदान प्रक्रियाविश्वसनीयता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त जाच की जाती है

ईवीएम में वोटिंग प्रक्रिया का जिक्र

जस्टिस खन्ना ने फैसले में मतदान से लेकर मतगणना तक की पूरी प्रक्रिया का जिक्र किया और कहां की हर मतदाता को गुप्त रूप से मतदान करने की अनुमति है | किसी भी मतदाता को मतदान कक्ष में प्रवेश की तब अनुमति नहीं है, जब कोई अन्य मतदाता पहले से वहां मौजूद हो | साथ ही, मतदाता पारदर्शी खिड़की से मुद्रित वीवीपैट पर्ची देखने का हकदार है, जिसमें इस प्रत्याशी का क्रमांक और नाम चिन्ह होता है, जिसे मतदान किया है |

स्याही लगाने के बाद वोट ना दें तो वजह लिखें

फॉर्म 17 ए में विवरण दर्ज करने और उसे पर हस्ताक्षर या अंगूठी का निशान लगाने के बाद भी यदि कोई निर्वाचक वोट नहीं देता, तो पीठासीन अधिकारी को फॉर्म 17a में एक टिप्पणी करनी होगी उसके खिलाफ निर्वाचन के हस्ताक्षर या अंगूठी के निशान लेना होगा | साथ ही कहा है कि पीठासीन अधिकारी को समय-समय पर फॉर्म 17 ए में दर्ज आंकड़ों के साथ नियंत्रण इकाई में दर्ज किए गए वोटो की कुल संख्या की जांच करने की आवश्यकता होती है|

मतदान समाप्ति पर पीठ चिन्ह अधिकारी द्वारा फॉर्म 17 सी में दर्ज वोटो का लेखा-जोखा तैयार करना जरूरी होता है | गिनती मतदान उम्मीदवारों की उपस्थिति में नियंत्रण इकाई पर परिणाम बटन दबाकर की जाती है |

ईवीएम

पांच केन्द्रो की रेंडम गिनती

संसदीय क्षेत्र के प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चिओ पर किया को रेंडम तरीके से चुना जाता है और पर्चियां को ईवीएम के मतों से मिलान किया जाता है और फिर परिणाम का मिलान नियंत्रण इकाई के इलेक्ट्रॉनिक परिणाम से किया जाता है |

साथ ही कहा गया कि आयोग की दिशा निर्देश के मुताबिक यदि मॉक पोल डेटा या वीवीपैट पर्चियां की मंजूरी न होने के कारण नियंत्रण इकाई फॉर्म 17 सी में दर्ज वोटो की कुल संख्या के बीच में कोई अंतर होता है, तो संबंधित को मुद्रित वीवीपैट पर्चियां यदि जीत के अंतर ऐसे मतदान केदो पर पड़े कुछ वोटो के बराबर या उससे काम है, तो मतदान केदो को दोबारा से गिनती की जाती है | साथ ही कहा कि ईवीएम को समय-समय पर तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा परीक्षण किया गया और इसमें कोई गलती नहीं मिली |

बार-बार संदेह चुनाव में जनता के भरोसे को काम करता है

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव प्रणाली पर बार-बार संदेह और निराधार चुनौतियां यहां तक की सबूत के अभाव में भी, चुनाव मतदाताओं की विश्वास और भागीदारी को कमजोर कर सकती है| पीठ ने कहा कि बार-बार और लगातार संदेह और निशान, यहां तक की बिना सबूत के भी, विश्वास पैदा करने की विपरीत प्रभाव डाल सकती |

इससे चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी और आत्मविश्वास कम हो सकता है, जो एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए आवश्यक है | बिना किसी ठोस आधार कीईवीएम को दी जा रही चुनौतियों वास्तव में धारणाओं और पूर्वाग्रहों को प्रकट कर सकती है |

ईवीएम

आशंका के आधार पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं

जस्टिस दीपंकर दत्ता ने अलग लिखे अपने फैसले में कहा कि शीर्ष अदालत ईवीएम की प्रभाव शीलता के बारे में याचिकाकर्त्ताओं और आशंकाओं और अटकलें के आधार पर आम चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाने और उसे प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकती | उन्होंने कहा, कि ईवीएम अपने काम पर खरी उतरी और मतदाताओं ने इस पर विश्वास व्यक्त किया |

देश की पिछले 70 सालों में स्वतंत्रता और निष्पक्ष चुनाव कराने पर गर्व रहा है, जिसका श्रेय काफी हद तक भारत की निर्वाचन आयोग और जनता द्वारा उसे पर जताए गए विश्वास को दिया जा सकता है | उन्होंने कहा कि याचिकाकर्त्ताओं ना तो कभी यह दिखा पाए कि चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल निष्पक्षस्वतन्त्र चुनाव के सिद्धांत के का कैसे उल्लंघन करता है और ना ही एवं में दर्ज सभी मतों को वीवीपैंट पर्चियो के शत- प्रतिशत मिलन के अधिकार को साबित कर सके |

देश की विभिन्न अदालतो में काम से कम 40 बार ईवीएम की विश्वसनीयता को चुनौती देने वाली अर्जियां खारिज़ की जा चुकी है | शुक्रवार को चुनाव आयुक्त ने यह जानकारी दी|

आयोग के अधिकारियों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार को उसे टिप्पणी को भी दोहराया जिसमें उन्होंने कहा कि ईवीएम शत – प्रतिशत सुरक्षित है और राजनीतिक दल भी दिल की गहराई से जानते हैं की मशीन सही है | इससे पहले 16 मार्च को राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए बताया कि करीब 40 बार ऐसी याचिका खारिज हो चुकी है |

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Supreme Court said EVM ended booth capturing

EVM

The Supreme Court on Friday termed the fear and message of tampering with electronic voting machines as baseless and said that by returning to the system of voting through ballot paper again, the situation of elections will become the same as in the past. The apex court said that going back to ballot papers instead of EVMs would be like going back to the era when ghost capturing took place.

Only the court has made this comment while rejecting the petition filed demanding matching of 100 percent votes recorded in EVMs with VVPAT and holding elections again through ballot papers. A bench of Justices Sanjiv Khanna and Dipankar Dutta gave two separate consent judgments, dismissing the petitions of NGO Association for Democratic Reform and others.

Justice Khanna said in his judgment that the petitioners have expressed apprehension that the EVMs may be tampered with or modified in any way, but due to a lack of due respect in denying the same, the claim of this demand is rejected.

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On the aspect of EVM tampering, Justice Khanna wrote in his judgment that the possibility of the plaintiff hacking or tampering with the firmware in the burned memory to improve the election result is baseless. He said that the petitioners should reject the suspicion that voting in favor of a candidate can be recorded by repeatedly misprogramming the EVMs. Adequate checks are carried out to ensure the reliability and integrity of EVMs and the voting process.

Mention of voting process in EVM

In the judgment, Justice Khanna mentioned the entire process, from voting to counting votes, and said that every voter is allowed to vote secretly. No voter is allowed to enter the polling booth when another voter is already there. Also, the voter is entitled to see the printed VVPAT slip through a transparent window, which contains the serial number and name symbol of the candidate for whom the vote has been cast.

EVM

If you don’t vote after applying ink, write the reason

If an elector does not vote even after entering the details in Form 17A and affixing his signature or ring mark, the presiding officer will have to make a remark in Form 17A and take the signature or ring mark of the elector against him. It is also said that the presiding officer is required to check, from time to time, the total number of votes recorded in the control unit with the data recorded in Form 17A.

At the end of voting, it is necessary for the Peeth Mark Officer to prepare an account of the votes recorded in Form 17C. The counting is done by pressing the result button on the control unit in the presence of the voting candidates.

Random counting of five centers

Votes on VVPAT slips from five polling stations per assembly constituency of a parliamentary constituency are selected at random, and the slips are matched with the EVM votes, and then the result is matched with the electronic result of the control unit.

It was also said that, as per the guidelines of the Commission, if there is any difference between the total number of votes recorded in the control unit Form 17C due to non-approval of mock poll data or VVPAT slips, then the printed VVPAT slips will be issued to the concerned person. If the margin of victory is equal to or less than the number of votes cast at such polling stations, the polling stations are recounted. It was also said that EVMs were tested by the technical expert committee from time to time, and no fault was found in them.

EVM

Repeated doubt erodes public confidence in elections

The Supreme Court said in its judgment that repeated doubts and baseless challenges to the election system, even in the absence of evidence, can undermine voter confidence and participation in elections. The bench said that repeated and persistent suspicions and insinuations, even without evidence, can have the adverse effect of creating confidence.

This may reduce voter participation and confidence in elections, which are essential for a healthy and strong democracy. Challenges being made to EVMs without any solid basis may actually reveal assumptions and prejudices.

No permission to raise questions based on apprehension

Justice Dipankar Dutta, in a separate judgment, said the top court cannot allow the petitioners to question and influence the entire process of general elections on the basis of apprehensions and speculations about the effectiveness of EVMs. He said that the EVMs were up to the task, and the voters expressed confidence in it.

The country has been proud of conducting free and fair elections in the last 70 years, the credit for which can be largely given to the confidence reposed in it by the Election Commission of India and the public. He said that the petitioners were neither able to show how the use of EVMs in elections violates the principle of free and fair elections nor could they prove their right to 100% matching of all the votes recorded in the VVPAT slips.

At least 40 applications challenging the reliability of EVMs have been rejected in various courts across the country. The Election Commissioner gave this information on Friday.

Commission officials also reiterated their comments to Chief Election Commissioner Rajeev Kumar, in which he said that EVMs are 100 percent safe and political parties also know deep in their hearts that the machine is correct. Earlier on March 16, while announcing the dates of Lok Sabha elections, Rajiv Kumar said that such petitions have been rejected about 40 times.

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Iran and Pakistan’s new friendship

pak

Iranian President Ebrahim Raisi’s three-day visit to Pakistan and the issuance of a joint statement after talks between the two countries do not mean that the friendship between the two has increased a lot. There are still tensions in the relationship between the two, which were not resolved before the joint statement.

Although there is coordination between the two countries on many issues, like religion, culture, and brotherhood, both are seen on the same platform, but there is fundamental disagreement on many issues. There is a Sunni majority in Pakistan and a Shia majority in Iran.

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Sunni fundamentalism is promoted in Pakistan, while Shia fundamentalism is promoted in Iran. In Pakistan, Shias are oppressed, and in Iran, Sunnis are oppressed. As far as political and diplomatic relations are concerned, there is no mutual agreement between the two countries.

Along with Iran, Saudi Arabia is also important for Pakistan

The thing to note is that at present, Saudi Arabia has made an agreement with Iran, but it is about 1500 years old between the two. This is the fight between Arabs and Ajam, and this is the fight between Shias and Sunnis; it will dominate Islam. It’s a fight. The war is not resolved merely by making a treaty.

The mention of Saudi Arabia is necessary here because the south asian country remains more dependent on Saudi Arabia. Pakistan’s relations with Iran deteriorated only when relations between Iran and Saudi Arabia deteriorated, and then Pakistan became a hunting ground. Because of this, Shia-Sunni conflicts also spread in Pakistan.

pak

Persia and Pakistan attacked each other

In January itself, the tension between Iran and Pakistan increased to such an extent that Iran fired missiles at Pakistan, and Pakistan also responded with missiles. Terrorists from Pakistan go to Iran and carry out attacks, and Iranian security forces have many times gone inside the Pakistan border and fought the terrorists.

Although earlier such matters were suppressed, this time what happened in January happened directly, both fired missiles at each other. Both countries felt that there should be no increase in the tension between themselves; there are already many issues of conflict between the countries.

The latest talks and joint statement between the two countries are an attempt to reduce tension, but this does not mean that there will be a strong friendship between the two as is being tried to be shown. Both countries have talked about how we should increase mutual trade. It was decided that in the next 5 years we will take mutual trade to 10 billion dollars, but how will this happen? What will both countries sell and buy from each other? This was not answered.

If there are American sanctions on Iran, then how much can the South Asian country increase its trade with Iran? One issue between the two countries is the gas pipeline. Earlier, India was also involved in the gas pipeline project, but due to a lack of wisdom, it withdrew from the agreement. Now it is just a pipeline between the South Asian country and Iran. The problem is that the South Asian country has no money. No one in the world will give money to Pakistan because there is a ban on Iran.

There will also be a doubt that, if the South Asian country is also banned for increasing relations with Iran, will the South Asian country’s economy bear the loss? Now Pakistan is trying to increase relations with Iran and also to keep America under illusion. It feels like some middle ground will be found. The South Asian country has also taken a very tough stance on the issue of Palestine. While most of the Arab countries are not so vocal, if the South Asian country directly intervenes against Iran in the matter of Palestine, then there will be a problem.

pak

After this comes the topic of terrorism. It was said in the joint statement that both countries will impose sanctions on terrorist groups. It is easy to say, but the question here is: if you consider any gang a terrorist,?

The South Asian country demands that many Baloch are freedom fighters; they have taken refuge in Iran. Will Iran ban this? In the coming days, Iran will probably tighten its reins a bit, but it will not drive it out of the country completely because Iran still does not completely trust the South Asian country.

Exactly the same thing is true for the South Asian country. Iran admits that it has many terrorist organizations that are operated by Pakistan; they have the support of the Pakistani government, and these organizations are also getting help from Israel and America.

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