क्या संभल से मुसलमान पलायन कर रहे हैं? घरों के बाहर क्यों लटके हैं ताले?

क्या संभल से मुसलमान पलायन कर रहे हैं? घरों के बाहर क्यों लटके हैं ताले?

संभल

भूमिका

संभल, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला, हाल ही में सुर्खियों में आया है। खबरें आईं कि यहां के कुछ मुस्लिम परिवार डर के माहौल में अपना घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें कई घरों के बाहर ताले लटके हुए दिख रहे हैं। इस स्थिति को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी चिंता जताई और इसे सरकारी दमन बताया। लेकिन पुलिस प्रशासन ने इन दावों का खंडन किया है।

तो आखिर सच क्या है? क्या वाकई मुसलमान डर की वजह से अपने घर छोड़कर जा रहे हैं, या इसके पीछे कोई और वजह है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

संभल में हालात कैसे बिगड़े?

यह मामला 2024 के नवंबर महीने से जुड़ा है, जब संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर एक एडवोकेट कमिश्नर सर्वे किया जा रहा था। इस सर्वे का विरोध करते हुए कुछ लोगों ने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया।

हिंसा में क्या हुआ?

  • पथराव किया गया
  • पुलिस पर हमले हुए
  • कई वाहनों में आग लगा दी गई
  • सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया

इस हिंसा के बाद प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू की और पुलिस ने कई लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करना शुरू किया।

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क्या मुसलमानों का पलायन हो रहा है?

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि पुलिस की दमनकारी नीति से डरकर संभल के मुसलमान पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन एकतरफा कार्रवाई कर रहा है और निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।

लेकिन पुलिस प्रशासन इस दावे को पूरी तरह नकार रहा है। संभल के पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत जानकारी फैलाई जा रही है।

SP का बयान:

  • “संभल से कोई भी सामूहिक पलायन नहीं हो रहा है।”
  • “जिन घरों पर ताले लगे हैं, वे उन लोगों के हैं जो हिंसा में शामिल थे और पुलिस से बचने के लिए भाग गए हैं।”
  • “अब तक 79 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 74 अन्य की तलाश जारी है।”

घरों के बाहर ताले क्यों लगे हैं?

यदि मुसलमान पलायन नहीं कर रहे, तो आखिर इतनी बड़ी संख्या में घरों के बाहर ताले क्यों लगे हैं?

संभावित कारण:

  1. पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए फरारी
    • जिन लोगों पर हिंसा में शामिल होने का आरोप है, वे गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने घरों को छोड़कर भाग गए हैं।
    • उनके घरों के बाहर ताले इसलिए लगे हैं, क्योंकि वे फिलहाल अपने रिश्तेदारों या अन्य सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं।
  2. परिवारों का अस्थायी पलायन
    • कुछ परिवार अपने बच्चों और महिलाओं को लेकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि पुलिस की छापेमारी में किसी निर्दोष को भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
  3. सामान्य प्रवासन भी एक कारण
    • कुछ घरों के ताले उनकी पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से भी लगे हो सकते हैं, जैसे कि काम के सिलसिले में बाहर जाना या शादी-ब्याह के लिए गांव से बाहर जाना

संभल

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

संभल का यह मुद्दा सिर्फ कानून-व्यवस्था का मामला नहीं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी संवेदनशील है।

1. राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

  • AIMIM और कुछ अन्य मुस्लिम नेता इसे “मुसलमानों पर अत्याचार” बता रहे हैं।
  • भाजपा और प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था की सामान्य कार्रवाई मान रहे हैं।
  • समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अब तक इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है।

2. सामाजिक ध्रुवीकरण

  • इस मामले को लेकर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति हो रही है।
  • मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इसे पुलिस उत्पीड़न मान रहे हैं, तो कुछ हिंदू संगठनों का कहना है कि “जो दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।”

संभल मामले पर आम जनता की राय

इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के विचार बंटे हुए हैं

1. मुसलमानों का पक्ष

  • कुछ मुस्लिम परिवारों का कहना है कि पुलिस बेकसूर लोगों को भी परेशान कर रही है
  • उन्हें डर है कि अगर वे यहीं रहे तो गलत तरीके से फंसाए जा सकते हैं

2. पुलिस और प्रशासन का पक्ष

  • पुलिस का कहना है कि “केवल अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।”
  • प्रशासन का दावा है कि किसी निर्दोष को नहीं पकड़ा जा रहा और कानून का पालन किया जा रहा है

3. हिंदू संगठनों की राय

  • कुछ हिंदू संगठन इसे न्यायिक कार्रवाई बता रहे हैं और कह रहे हैं कि “जो भी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।”

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अब आगे क्या होगा?

संभल में पुलिस कार्रवाई अभी जारी है। ऐसे में आने वाले दिनों में कुछ संभावित घटनाक्रम हो सकते हैं:

  1. पुलिस और अधिक गिरफ्तारियां कर सकती है
    • फरार लोगों की तलाश तेज होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई बढ़ सकती है।
  2. राजनीतिक विवाद और बढ़ सकता है
    • आने वाले चुनावों को देखते हुए इस मुद्दे को और उछाला जा सकता है।
  3. सामाजिक शांति बहाल करने के प्रयास
    • प्रशासन और सामाजिक संगठन मिलकर माहौल शांत करने की कोशिश कर सकते हैं।

संभल में जो कुछ भी हो रहा है, उसे पूरी तरह से “मुसलमानों का पलायन” कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी

क्या मुसलमान डर से भाग रहे हैं? – नहीं, बल्कि ज्यादातर फरार वे लोग हैं, जिन पर हिंसा में शामिल होने का आरोप है।
क्या घरों के बाहर ताले लगे हैं? – हां, लेकिन इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें पुलिस कार्रवाई से बचाव भी शामिल है।
क्या यह राजनीति से जुड़ा मुद्दा है? – हां, कई दल इसे अपने एजेंडे के अनुसार इस्तेमाल कर रहे हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में संभल में शांति बहाल होती है या मामला और बढ़ता है

आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि पुलिस की कार्रवाई सही है, या फिर किसी खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है? अपनी राय कमेंट में बताइए!

MPPSC PCS 2022 Topper: Father drives an auto, daughter Ayesha Ansari passed the PCS exam without coaching, became SDM

MPPSC PCS 2022 Topper: Father drives an auto, daughter Ayesha Ansari passed the PCS exam without coaching, became SDM

 PCS

MPPSC PCS 2022 Topper: Ayesha Ansari has secured 12th rank in MP State Service, PCS 2022. She has been selected for the post of SDM. Her father is an auto-driver. In the absence of facilities, she prepared and achieved success.

The final result of MP State Service, PCS 2022 was declared by the Madhya Pradesh Public Service Commission. Along with this, the commission also released the topper list. The results were declared on 18 January. The topper also includes 6 girls who have been selected for the post of SDM. One of them is Ayesha Ansari of Rewa. She passed the exam without coaching and became SDM by securing 12th rank in the state. Let us know the story of her struggle.

Ayesha is a resident of Amhiya Mohalla of Rewa. Earlier, she had taken the PCS exam twice but did not succeed. In the third attempt, she passed the MP State Service Examination with 12th rank and was selected for the post of SDM.

Ayesha’s father drives an auto, and the family survives on that. Due to the poor financial condition of the house, instead of going to expensive coaching, Ayesha prepared for the State Service Examination on her own and achieved this success. She studied in the absence of facilities and set an example of success.

 PCS

Ayesha Ansari Profile: Started preparation after graduation

Initial studies were completed by the government at of Praveen Kumari Higher Secondary School. After that, she graduated and then started preparing for the PCS examination. Her parents inspired her to prepare for the State Service Examination. In an interview, she said that her parents did not get the opportunity to study much, but they wanted us to study and move forward.

 PCS

Ayesha Ansari: Father inspired her; daughter became SDM

According to media reports, Ayesha’s mother said that she never asked for anything, and her father always motivated her to study. She was always alert towards her studies and used to prepare without wasting time. Ayesha’s mother said that she has achieved this success by working hard.

“Vivo Y38 5G: शानदार बैटरी, दमदार परफॉर्मेंस और आकर्षक डिज़ाइन – पूरी जानकारी!”

“Vivo Y38 5G: शानदार बैटरी, दमदार परफॉर्मेंस और आकर्षक डिज़ाइन – पूरी जानकारी!”

Vivo Y38 5G

परिचय

Vivo Y38 5G, Vivo का नवीनतम स्मार्टफोन है, जिसे मई 2024 में ताइवान में लॉन्च किया गया था। यह डिवाइस उच्च-रिफ्रेश रेट डिस्प्ले, शक्तिशाली प्रोसेसर, और बड़ी बैटरी के साथ आता है, जो उपयोगकर्ताओं को उत्कृष्ट प्रदर्शन और लंबी बैटरी लाइफ प्रदान करता है।

डिज़ाइन और निर्माण

  • आयाम: 165.7 x 76 x 7.99 मिमी
  • वजन: 199 ग्राम
  • बॉडी: पतला और हल्का डिज़ाइन, जो उपयोग में आरामदायक है
  • रंग विकल्प: डार्क ग्रीन ब्लैक और ओशन ब्लू
  • प्रोटेक्शन: IP64 रेटिंग, जो डस्ट और वाटर रेजिस्टेंस प्रदान करता है

Vivo Y38 5G का डिज़ाइन आधुनिक और आकर्षक है, जो उपयोगकर्ताओं को प्रीमियम फील देता है। पतला प्रोफाइल और हल्का वजन इसे लंबे समय तक उपयोग के लिए आरामदायक बनाते हैं। IP64 रेटिंग के साथ, यह डिवाइस धूल और पानी से सुरक्षा प्रदान करता है, जो दैनिक उपयोग में अतिरिक्त भरोसा देता है।

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डिस्प्ले

  • स्क्रीन साइज: 6.68 इंच
  • प्रकार: IPS LCD
  • रिज़ॉल्यूशन: 1612 x 720 पिक्सल (HD+)
  • रिफ्रेश रेट: 120Hz
  • पिक्सल डेंसिटी: 264 पीपीआई
  • ब्राइटनेस: 1000 निट्स तक

Vivo Y38 5G का 6.68 इंच का IPS LCD डिस्प्ले 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ आता है, जो स्मूथ और रिस्पॉन्सिव अनुभव प्रदान करता है। हालांकि, HD+ रिज़ॉल्यूशन (1612 x 720 पिक्सल) और 264 पीपीआई पिक्सल डेंसिटी के कारण, डिस्प्ले की शार्पनेस फुल HD डिस्प्ले की तुलना में थोड़ी कम हो सकती है। 1000 निट्स की पीक ब्राइटनेस सुनिश्चित करती है कि स्क्रीन बाहरी रोशनी में भी स्पष्ट और पढ़ने योग्य रहे।

प्रोसेसर और मेमोरी

  • चिपसेट: क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 4 जेन 2
  • रैम: 8GB LPDDR4X
  • स्टोरेज: 256GB UFS 2.2 इंटरनल स्टोरेज
  • एक्सपेंडेबल स्टोरेज: 1TB तक माइक्रोएसडी कार्ड के माध्यम से

क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 4 जेन 2 चिपसेट के साथ, Vivo Y38 5G दैनिक कार्यों और मल्टीटास्किंग के लिए पर्याप्त प्रदर्शन प्रदान करता है। 8GB रैम और 256GB इंटरनल स्टोरेज के साथ, उपयोगकर्ताओं को पर्याप्त मेमोरी और स्टोरेज स्पेस मिलता है। इसके अलावा, माइक्रोएसडी कार्ड के माध्यम से 1TB तक स्टोरेज विस्तार की सुविधा उपलब्ध है, जो बड़ी फाइलों और मीडिया संग्रहण के लिए उपयोगी है।

Vivo Y38 5G

कैमरा

  • रियर कैमरा:
    • मुख्य सेंसर: 50 मेगापिक्सल
    • सेकेंडरी सेंसर: 2 मेगापिक्सल
    • फ्लैश: रिंग LED फ्लैश
  • फ्रंट कैमरा: 8 मेगापिक्सल

Vivo Y38 5G का 50 मेगापिक्सल का मुख्य रियर कैमरा स्पष्ट और विस्तृत तस्वीरें कैप्चर करता है। 2 मेगापिक्सल का सेकेंडरी सेंसर पोर्ट्रेट मोड और डेप्थ इफेक्ट्स के लिए सहायक है। रिंग LED फ्लैश कम रोशनी में भी अच्छी रोशनी प्रदान करता है। 8 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए पर्याप्त है, हालांकि उच्च रिज़ॉल्यूशन की उम्मीद करने वाले उपयोगकर्ताओं को यह थोड़ा सीमित लग सकता है।

बैटरी

  • क्षमता: 6000 mAh
  • चार्जिंग: 44W फास्ट चार्जिंग

6000 mAh की बड़ी बैटरी Vivo Y38 5G को लंबे समय तक चलने वाली बैटरी लाइफ प्रदान करती है, जो भारी उपयोगकर्ताओं के लिए भी पर्याप्त है। 44W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ, डिवाइस जल्दी चार्ज होता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को लंबे समय तक चार्जिंग का इंतजार नहीं करना पड़ता।

सॉफ़्टवेयर

  • ऑपरेटिंग सिस्टम: Android 14 आधारित Funtouch OS 14

Vivo Y38 5G Android 14 पर आधारित Funtouch OS 14 के साथ आता है, जो उपयोगकर्ताओं को नवीनतम सॉफ़्टवेयर सुविधाएँ और सुरक्षा अपडेट प्रदान करता है। Funtouch OS 14 का यूज़र इंटरफ़ेस सहज और उपयोग में आसान है, जो उपयोगकर्ताओं को एक समृद्ध अनुभव देता है।

Vivo Y38 5G

कनेक्टिविटी

  • नेटवर्क: 5G, 4G LTE
  • वाई-फाई: वाई-फाई 5 (802.11 a/b/g/n/ac)
  • ब्लूटूथ: v5.1
  • NFC: हां
  • USB: टाइप-C पोर्ट
  • ऑडियो जैक: 3.5 मिमी जैक नहीं है

सेंसर

  • फिंगरप्रिंट सेंसर: साइड-माउंटेड
  • अन्य सेंसर: एक्सेलेरोमीटर, एंबियंट लाइट सेंसर, कंपास/मैग्नेटोमीटर, जायरोस्कोप, प्रॉक्सिमिटी सेंसर

मूल्य और उपलब्धता

Vivo Y38 5G की कीमत और उपलब्धता के बारे में आधिकारिक जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। यह डिवाइस ताइवान में डार्क ग्रीन ब्लैक और ओशन ब्लू रंग विकल्पों में उपलब्ध है।

Vivo Y38 5G एक संतुलित स्मार्टफोन है, जो उच्च रिफ्रेश रेट डिस्प्ले, शक्तिशाली प्रोसेसर, बड़ी बैटरी, और नवीनतम सॉफ़्टवेयर के साथ आता है। यदि आप एक ऐसे डिवाइस की तलाश में हैं जो दैनिक उपयोग के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन और लंबी बैटरी लाइफ प्रदान करे, तो Vivo Y38 5G एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

आज 14 फरवरी, 2025 को पुलवामा हमले की छठी बरसी, लेथपोरा में बढ़ाई गई सुरक्षा

आज 14 फरवरी, 2025 को पुलवामा हमले की छठी बरसी, लेथपोरा में बढ़ाई गई सुरक्षा

पुलवामा

आज, 14 फरवरी 2025, देश पुलवामा आतंकी हमले की छठी बरसी मना रहा है। यह वही दिन है जब 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के लेथपोरा क्षेत्र में सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कई अहम फैसले भी लिए गए थे। इस दुखद घटना की बरसी पर लेथपोरा में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया गया है।

लेथपोरा में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

पुलवामा हमले की बरसी के अवसर पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सुरक्षा बलों ने लेथपोरा सहित अन्य संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया है। सुरक्षाबलों की अतिरिक्त टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं और हर आने-जाने वाले व्यक्ति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

सुरक्षा उपायों में शामिल हैं:

  • सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त गश्त
  • ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
  • हाईवे और अन्य महत्वपूर्ण रास्तों पर बैरिकेडिंग
  • संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों की सघन तलाशी

खुफिया एजेंसियों ने पहले ही सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी किया था, जिसके चलते किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं।

हमले की यादें और शहीदों को श्रद्धांजलि

पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों को आज पूरे देश में याद किया जा रहा है। लेथपोरा स्थित सीआरपीएफ स्मारक पर एक विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय और राज्य के आला अधिकारी, सुरक्षाबल और शहीदों के परिजन शामिल हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। सीआरपीएफ के महानिदेशक ने अपने संबोधन में कहा कि जवानों का यह बलिदान हमेशा देश की रक्षा में प्रेरणा स्रोत रहेगा।

पुलवामा

हमले के बाद की कार्रवाई और आतंकवाद विरोधी कदम

पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन ने ली थी, जिसका सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में मौजूद है।

हमले के जवाब में भारत ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर बमबारी कर कई आतंकियों को मार गिराया गया। इसके अलावा, सरकार ने कई कड़े कदम उठाए:

  • जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, जिससे राज्य को विशेष दर्जा समाप्त हुआ
  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरने की कोशिशें की गईं
  • एनआईए (NIA) और सुरक्षा बलों ने कई आतंकवादियों को मार गिराया और आतंकी संगठनों के नेटवर्क को कमजोर किया

शहीदों के परिवारों की भावनाएँ

आज के दिन शहीदों के परिवारों की भावनाएँ एक बार फिर उमड़ आई हैं। कई परिजनों ने सरकार से यह अपील की है कि आतंकवाद के खिलाफ और कड़े कदम उठाए जाएँ ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।

एक शहीद के पिता ने कहा, “मेरा बेटा चला गया, लेकिन मैं चाहता हूँ कि कोई और माँ-बाप अपने बेटे को न खोएँ। सरकार को आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए और ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।”

आगे की रणनीति और सुरक्षा उपाय

पुलवामा हमले जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार सतर्क हैं। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही हैं, जिससे हाल के वर्षों में आतंकी गतिविधियों में कमी आई है।

सरकार ने भी सुरक्षाबलों को और अधिक आधुनिक उपकरणों और तकनीक से लैस किया है ताकि आतंकी हमलों को पहले ही नाकाम किया जा सके।

पुलवामा हमले की छठी बरसी पर पूरा देश शहीद जवानों को नमन कर रहा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे जवान देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं हटते। सरकार और सुरक्षाबल इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो और देश सुरक्षित रहे।

आज, लेथपोरा में कड़ी सुरक्षा के बीच जब देश अपने वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दे रहा है, तो यह भी एक संकल्प का दिन है—आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने का, ताकि देश के हर नागरिक को सुरक्षित माहौल मिल सके।

वैलेंटाइन डे 2025: लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप वाले लोग इस तरह सेलिब्रेट करें

वैलेंटाइन डे 2025: लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप वाले लोग इस तरह सेलिब्रेट करें

वैलेंटाइन डे

वैलेंटाइन डे प्यार का त्योहार है, लेकिन लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में होने पर इसे खास बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, कुछ खास तरीकों से आप अपने पार्टनर के साथ इस वैलेंटाइन डे को यादगार बना सकते हैं, भले ही आप मीलों दूर हों।

1. वैलेंटाइन डे पर वर्चुअल डेट प्लान करें

अगर आप और आपके पार्टनर एक-दूसरे से दूर हैं, तो वर्चुअल डेट नाइट प्लान करना एक बेहतरीन आइडिया हो सकता है।

  • वीडियो कॉल डिनर: दोनों अपने-अपने पसंदीदा खाने को ऑर्डर करें और वीडियो कॉल पर एक साथ डिनर करें।
  • नेटफ्लिक्स पार्टी: साथ में कोई रोमांटिक फिल्म देखें और रिएक्शन शेयर करें।
  • गेम नाइट: कुछ ऑनलाइन गेम खेलकर हंसी-मजाक करें और यादें बनाएं।

2. वैलेंटाइन डे पर प्यार भरा सरप्राइज़ भेजें

अगर आप अपने पार्टनर के लिए कुछ खास करना चाहते हैं, तो उन्हें एक प्यारा सा सरप्राइज़ भेज सकते हैं।

  • हैंडमेड गिफ्ट्स: अपने हाथों से बनाए गए कार्ड, फोटो कोलाज या स्क्रैपबुक उनके लिए बेहद खास होंगे।
  • कस्टमाइज्ड गिफ्ट्स: उनके नाम के साथ कस्टमाइज्ड मग, तकिया या फोटो फ्रेम भेजें।
  • डिजिटल गिफ्ट्स: ऑनलाइन गिफ्ट कार्ड, स्पॉटिफाई प्लेलिस्ट या एक प्यारा सा वीडियो मैसेज बनाकर भेज सकते हैं।

3. वैलेंटाइन डे पर लव लेटर या ई-मेल लिखें

आज के डिजिटल जमाने में हाथ से लिखा हुआ लव लेटर या लंबा ई-मेल बेहद रोमांटिक हो सकता है। इसमें अपने दिल की बातें, भविष्य की प्लानिंग और अपने प्यार का इज़हार करें।

4. वैलेंटाइन डे पर एक-दूसरे के लिए रोमांटिक गाने गाएं या कविता लिखें

अगर आप म्यूजिक में रुचि रखते हैं, तो अपने पार्टनर के लिए एक गाना गाएं और उन्हें भेजें। आप चाहें तो खुद की लिखी हुई कविता भी शेयर कर सकते हैं, जिससे वे खास महसूस करेंगे।

5. “ओपन व्हेन” लेटर्स भेजें

आप “ओपन व्हेन” (Open When) लेटर्स बना सकते हैं, जो अलग-अलग मौकों पर खोले जा सकते हैं। जैसे:

वैलेंटाइन डे

6. वैलेंटाइन डे पर भविष्य की योजनाओं पर बात करें

वैलेंटाइन डे एक अच्छा मौका होता है जब आप अपने रिश्ते के भविष्य के बारे में बात कर सकते हैं।

  • कब मिलना है: अगली मीटिंग की प्लानिंग करें और इसे लेकर एक्साइटेड महसूस करें।
  • लॉन्ग टर्म गोल्स: शादी, करियर, या साथ में रहने की प्लानिंग पर खुलकर बात करें।
  • एक साथ ट्रैवल प्लान: किसी खूबसूरत जगह पर साथ घूमने का सपना देखें।

7. वैलेंटाइन डे पर एक-दूसरे को सोशल मीडिया पर सरप्राइज़ दें

अगर आपका पार्टनर सोशल मीडिया एक्टिव है, तो आप वहां उनके लिए कुछ खास पोस्ट कर सकते हैं।

  • इंस्टाग्राम पर स्टोरी: उनके साथ बिताए गए यादगार पलों की तस्वीरें और वीडियो स्टोरी में लगाएं।
  • प्यार भरी पोस्ट: फेसबुक या ट्विटर पर उनके लिए एक स्पेशल मैसेज लिखें।

8. वैलेंटाइन डे पर ऑनलाइन शॉपिंग गिफ्ट ऑप्शन दें

अगर आपके पार्टनर को गिफ्ट्स पसंद हैं, तो उन्हें ऑनलाइन शॉपिंग वाउचर भेजें और कहें कि वे खुद अपनी पसंद की चीज़ चुनें।

वैलेंटाइन डे

9. वैलेंटाइन डे पर लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप ऐप्स का इस्तेमाल करें

आजकल कई ऐसे ऐप्स हैं जो लॉन्ग डिस्टेंस कपल्स को करीब लाने में मदद करते हैं। जैसे:

  • Between App: यह एक प्राइवेट चैट ऐप है, जहां आप खास मोमेंट्स शेयर कर सकते हैं।
  • Couple App: इसमें वर्चुअल डेटिंग और अन्य फन फीचर्स हैं।

10. वैलेंटाइन डे पर एक साथ कुछ नया ट्राई करें

  • ऑनलाइन क्लास: दोनों मिलकर कोई ऑनलाइन कोर्स या क्लास जॉइन कर सकते हैं।
  • डिजिटल स्केच: एक-दूसरे की डिजिटल पेंटिंग बनाकर गिफ्ट करें।

लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट करना मुश्किल जरूर हो सकता है, लेकिन सही प्रयासों से यह बेहद खास और यादगार बन सकता है। प्यार की सच्ची ताकत दूरी को नहीं मानती, इसलिए अपने पार्टनर को महसूस कराएं कि वे आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

1970 के जमाने का 500 रुपये का नोट वायरल, सोशल मीडिया पर आते ही छिड़ गई बहस

1970 के जमाने का 500 रुपये का नोट वायरल, सोशल मीडिया पर आते ही छिड़ गई बहस

1970

हाल ही में सोशल मीडिया पर 500 रुपये के एक पुराने नोट की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इस नोट को 1970 के दशक का बताया जा रहा है, और इसे लेकर लोगों के बीच एक दिलचस्प बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे ऐतिहासिक धरोहर मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि 1970 के दशक में 500 रुपये के नोट प्रचलन में नहीं थे। इस लेख में हम इस नोट से जुड़ी सभी जानकारियों को विस्तार से समझेंगे और इसकी प्रामाणिकता की पड़ताल करेंगे।

500 रुपये के नोट की वायरल तस्वीर

सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर में एक पुराना और जर्जर 500 रुपये का नोट देखा जा सकता है। इसे एक उपयोगकर्ता ने रेडिट पर साझा किया और दावा किया कि यह नोट उनके पिता के पुराने सामान में मिला। इसके बाद यह तस्वीर तेजी से वायरल हो गई और लोगों ने इसे लेकर अलग-अलग राय देना शुरू कर दिया।

इस नोट पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का चिह्न और तत्कालीन गवर्नर के हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। हालांकि, कुछ लोगों ने तुरंत इस दावे पर सवाल उठाए और इसकी प्रामाणिकता को लेकर बहस छेड़ दी।

क्या 1970 के दशक में 500 रुपये का नोट मौजूद था?

यह बहस इस तथ्य से उपजी कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहली बार 500 रुपये का नोट 1987 में जारी किया था। इससे पहले, भारतीय मुद्रा प्रणाली में 500 रुपये का कोई नोट प्रचलन में नहीं था। 1970 के दशक में सबसे बड़े मूल्य के नोट 100 रुपये तक सीमित थे। इस तथ्य को देखते हुए, यह स्पष्ट होता है कि यह नोट 1970 के दशक का नहीं हो सकता।

इसके अलावा, नोट पर देखे गए हस्ताक्षर तत्कालीन गवर्नर सी. रंगराजन के थे, जो 1992 से 1997 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे। इसका अर्थ यह हुआ कि यह नोट 1990 के दशक का है, न कि 1970 के दशक का।

1970

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ

इस वायरल नोट को लेकर सोशल मीडिया पर लोग दो धड़ों में बंट गए। कुछ लोगों ने इसे ऐतिहासिक विरासत मानते हुए इसकी महत्ता पर जोर दिया, तो कुछ ने इसे पूरी तरह से नकली करार दिया।

समर्थन में राय

  1. ऐतिहासिक मूल्य: कुछ उपयोगकर्ताओं ने कहा कि भले ही यह नोट 1970 का न हो, लेकिन यह एक ऐतिहासिक वस्तु है और इसे संग्रहणीय (collectible) माना जा सकता है।
  2. पुराने नोटों में दिलचस्पी: नोटों और सिक्कों के कलेक्टर्स ने इस नोट में रुचि दिखाई और इसकी संभावित कीमत को लेकर अटकलें लगाईं।
  3. गलत जानकारी का फैलाव: कुछ लोगों ने यह भी कहा कि भले ही यह नोट 1970 का न हो, लेकिन इसे गलत जानकारी के साथ वायरल किया गया।

विरोध में राय

  1. झूठा दावा: कई उपयोगकर्ताओं ने तर्क दिया कि 1970 के दशक में 500 रुपये का नोट था ही नहीं, तो यह दावा गलत है।
  2. मूल्यहीन नोट: नोटबंदी के बाद पुराने 500 रुपये के नोट का कोई मौद्रिक मूल्य नहीं रह गया, इसलिए इसे बेकार बताया गया।
  3. फर्जीवाड़े की संभावना: कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई कि यह नोट मॉडिफाइड हो सकता है या इसे गलत तरीके से प्रचारित किया गया।

क्या इस नोट का कोई कलेक्टर्स मूल्य है?

पुराने नोट और सिक्कों का एक बड़ा बाजार होता है, जहाँ दुर्लभ और ऐतिहासिक नोट ऊँचे दामों पर बेचे जाते हैं। लेकिन इस वायरल नोट की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यह फटा हुआ है और इसका एक हिस्सा गायब भी है, जिससे इसका कलेक्टर्स मूल्य कम हो जाता है। आमतौर पर, अच्छे संरक्षण में रखे गए नोटों की कीमत अधिक होती है।

इसके अतिरिक्त, 500 रुपये के इस नोट का ऐतिहासिक महत्व भी सीमित है क्योंकि यह 1970 के दशक का नहीं, बल्कि 1990 के दशक का है। इस कारण इसे अत्यधिक दुर्लभ नोटों में नहीं गिना जाता।

1970

भारतीय रिज़र्व बैंक की नीतियाँ और पुराने नोट

भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर नए नोट जारी करता है और पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर करता है। 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य कर दिया गया था। इसके स्थान पर नए 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट जारी किए गए थे।

आरबीआई की नीति के अनुसार, पुराने और अमान्य नोटों का कोई कानूनी मूल्य नहीं होता, लेकिन कलेक्टरों और इतिहासकारों के लिए ये महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

निष्कर्ष

वायरल हुआ यह 500 रुपये का नोट निश्चित रूप से 1970 के दशक का नहीं है, बल्कि 1990 के दशक का है। इस गलत जानकारी के बावजूद, इसने सोशल मीडिया पर लोगों की उत्सुकता को बढ़ाया और मुद्रा इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए चर्चा का विषय बन गया।

हालाँकि, कलेक्टर्स के लिए इसकी बहुत अधिक कीमत नहीं है, लेकिन फिर भी यह एक दिलचस्प वस्तु हो सकती है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे सोशल मीडिया पर फैली जानकारी को सत्यापित करना जरूरी है, खासकर जब वह इतिहास से जुड़ी हो।

I love my mother, but… Ranveer Allahabadia is not a perfect son; he admitted it

I love my mother, but… Ranveer Allahabadia is not a perfect son; he admitted it

Ranveer Allahabadia

In the reality show India’s Got Latent, Ranveer Allahabadia asked a contestant an objectionable question, after which he was in constant discussion. Seeing the ongoing controversy, YouTube has removed that controversial video from its platform. Ranveer Allahabadia is also known as BeerBiceps. Amidst the controversy about Ranveer, an old podcast video of him is in discussion on social media. In this video, Ranveer Allahabadia has expressed regret about not being a perfect son.

In this show, Ranveer Allahabadia invited a millionaire businessman from the UAE, Ankur Agarwal, to his show. In which he talked about his regrets as a son. In this conversation, both of them said that in their busy lifestyle, they are not able to give time to their mother.

What did Ranveer Allahabadia say about being a good son?

In Ranveer’s show, Ankur Agarwal says, “Maybe I am not a good son; I am not able to give her the time she deserves. We have made our lives so busy; I understand and also try to give time to my mother. But I don’t know when I will be able to do this.” At this point, Ranveer asks Ankur if he considers himself a good son, to which he replies, ‘No’. On this, Ranveer said, “I also feel this thing, friend. I love my mother very much, but what to do?” Ranveer expressed regret about not being a good son.

Ranveer Allahabadia

Ranveer Allahabadia is trolling heavily

Well, amidst all this, Ranveer is being trolled from all sides. From leaders to actors, everyone is demanding action against him. Someone said that such people should be made to sit on a donkey and roam around with their faces blackened, while someone has cancelled the invite to go to his show. However, on the other hand, Rakhi Sawant and Urfi Javed are supporting Ranveer. Rakhi has appealed to everyone to forgive him.

Ranveer Allahabadia

Ranveer Allahabadia is also known as ‘Bear Biceps’ in the digital world. Ranveer was born on June 2, 1993, in Mumbai, city of Maharashtra. Like star kids like Sara Ali Khan, Suhana Khan, Aryan Khan, and Ranveer Allahabadia also completed their studies at Dhirubhai Ambani International School, Mumbai.

Ranveer Allahabadia

After completing school, Ranveer got an engineering degree from DJ Sanghvi, i.e., Dwarkadas J. Sanghvi College of Engineering. But Ranveer was always more interested in fitness than studies, and hence he started his own YouTube channel named ‘Bear Biceps’.

Through his YouTube channel, he started spreading awareness about fitness among the people. In the year 2019, he started ‘The Ranveer Allahabadia Show’ on YouTube. From actors to politicians, many veterans of the country have participated in this show made in podcast format.

Chhattisgarh: 4 days and 650 soldiers searched every corner of the forest; How did security forces kill 31 Naxalites in Bijapur?

Chhattisgarh: 4 days and 650 soldiers searched every corner of the forest; How did security forces kill 31 Naxalites in Bijapur?

Chhattisgarh

Security forces have carried out the biggest combing and encounter operation of the year today in Bijapur, Chhattisgarh. About 650 soldiers took part in this operation, and the entire forest was searched in 4 days. During this, the soldiers had a face-to-face clash with the Naxalites. In this, the soldiers have killed 31 Naxalites. However, two security personnel have also lost their lives in this operation.

According to the report, many big names are also included among the Naxalites killed. Many other big weapons, including the AK-47, INSAS, and BGL launchers, have been recovered from them. On the completion of this operation, Chhattisgarh Chief Minister Vishnudev Shoi encouraged the security forces. He said that two of our soldiers have died in this operation. At the same time, two soldiers have also been injured. The injured soldiers have been airlifted to the hospital.

The forest was cordoned off in a planned manner

According to the inputs received from the security forces, inputs about the Naxalites were received a week ago. It was told that the Naxalites were planning to carry out a major incident in Bijapur. On this information, the security forces made full preparations, and by forming different groups of more than 650 soldiers, the combing was started by surrounding the forest from all sides in the Indravati National Park area of ​​​​Chhattisgarh, Bijapur district on the Chhattisgarh-Maharashtra border. This combing continued for 4 days, and during this time the Naxalites were surrounded without giving them a chance to escape.

Chhattisgarh

31 Naxalites killed; two soldiers also martyred

The Naxalites were first asked to surrender, but when firing started from their side, the security forces retaliated and killed 31 Naxalites. According to the officials, two soldiers were martyred in this operation, while two soldiers were also injured due to bullet injuries. The injured soldiers were airlifted by a MI-17 helicopter from Jagdalpur. According to IG Sundar Raj of Bastar division, the number of Naxalites killed may increase further.

Chhattisgarh

Many Naxalites were killed earlier too

He said that earlier on 2 February 2025, 8 Naxalites were killed in an encounter in the Todaka forest of the Gangalur police station area of Chhattisgarh, ​​​​Bijapur district, and on 21 January 2025, 14 Naxalites were killed in the Gariaband district. Similarly, on 16 January 2025, an operation was carried out in Pujari Kanker and Marudbaka of Usur block of Chhattisgarh, Bijapur district. 18 Naxalites were killed in it. According to the officials, the latest operation is the biggest operation of this year, and for the first time this year, soldiers were involved in the operation on such a large scale.

बाबा आमटे: रईसी छोड़ कुष्ठ रोगियों की सेवा और 5000 किमी की ऐतिहासिक पदयात्रा

बाबा आमटे: रईसी छोड़ कुष्ठ रोगियों की सेवा और 5000 किमी की ऐतिहासिक पदयात्रा

बाबा आमटे

मुरलीधर देवीदास आमटे, जिन्हें हम बाबा आमटे के नाम से जानते हैं, भारतीय समाज में सेवा, मानवता और समर्पण का प्रतीक हैं। उन्होंने अपना जीवन कुष्ठ रोगियों, वंचितों और जरूरतमंदों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। एक संपन्न परिवार में जन्मे बाबा आमटे ने ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग—कुष्ठ रोगियों—की सेवा करने का कठिन मार्ग चुना। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण के लिए 5000 किलोमीटर की ऐतिहासिक पदयात्रा भी की।

इस लेख में हम जानेंगे कि बाबा आमटे ने रईसी छोड़कर कुष्ठ रोगियों की सेवा क्यों चुनी और उनकी 5000 किमी की पदयात्रा का उद्देश्य क्या था।

बचपन और प्रारंभिक जीवन

बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में एक समृद्ध ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता देवीदास आमटे ब्रिटिश सरकार में अधिकारी थे, जिसके चलते उनका बचपन ऐशो-आराम में बीता। उन्हें बेहतरीन शिक्षा मिली और वे अंग्रेजी में धाराप्रवाह थे।

युवावस्था में वे एक सहज, खुशमिजाज और जीवन का आनंद लेने वाले व्यक्ति थे। वे शिकार, फैंसी गाड़ियों और फिल्मों के शौकीन थे। परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत थी, इसलिए उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी।

लेकिन उनके भीतर समाज के लिए कुछ करने की भावना हमेशा थी, जो समय के साथ और गहरी होती गई।

कुष्ठ रोगियों के प्रति जागरूकता और सेवा का संकल्प

बाबा आमटे की जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब उन्होंने एक कुष्ठ रोगी को सड़क किनारे तड़पते हुए देखा। इस अनुभव ने उनके दिल को झकझोर दिया। उन्होंने महसूस किया कि समाज कुष्ठ रोगियों से किस तरह से भयभीत रहता है और उन्हें सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर देता है।

इस घटना के बाद, बाबा आमटे ने खुद कुष्ठ रोग के बारे में अध्ययन किया और कुष्ठ रोगियों की सेवा करने का संकल्प लिया। उन्होंने कोलकाता में कलकत्ता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन से कुष्ठ रोग का औपचारिक प्रशिक्षण लिया और इस क्षेत्र में अपने काम की शुरुआत की।

उन्होंने 1951 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में आनंदवन आश्रम की स्थापना की, जो आज भी कुष्ठ रोगियों और विकलांग लोगों के पुनर्वास के लिए समर्पित है। आनंदवन में कुष्ठ रोगियों को केवल इलाज ही नहीं मिलता, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी दिया जाता है।

बाबा आमटे

क्यों चुनी सेवा की राह?

बाबा आमटे ने रईसी छोड़कर सेवा का मार्ग इसलिए चुना क्योंकि:

  1. समानता में विश्वास: उन्होंने महसूस किया कि समाज में असमानता और भेदभाव सबसे बड़ी समस्याएं हैं। उन्होंने अपने जीवन को वंचितों और हाशिए पर पड़े लोगों की सेवा में लगाने का फैसला किया।
  2. न्याय की भावना: उन्होंने देखा कि कुष्ठ रोगियों को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जबकि वे भी सम्मान और देखभाल के हकदार हैं।
  3. गांधीजी के विचारों से प्रेरणा: वे महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित थे और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

5000 किमी की पदयात्रा: ‘भारत जोड़ो आंदोलन’

बाबा आमटे न केवल कुष्ठ रोगियों के लिए समर्पित थे, बल्कि वे सामाजिक न्याय और एकता के भी बड़े समर्थक थे। उन्होंने 1985 में ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ के तहत 5000 किलोमीटर की ऐतिहासिक पदयात्रा की।

इस पदयात्रा का उद्देश्य क्या था?

  1. राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना: 1980 के दशक में भारत जातीय और धार्मिक संघर्षों से जूझ रहा था। बाबा आमटे ने इस पदयात्रा के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश दिया।
  2. गरीबों और वंचितों की स्थिति सुधारने की पहल: उन्होंने देखा कि समाज में गरीबों और दलितों को न्याय नहीं मिल रहा है। उन्होंने उनकी आवाज़ बुलंद करने के लिए यह यात्रा की।
  3. पर्यावरण संरक्षण: यात्रा के दौरान उन्होंने पर्यावरण बचाने के लिए भी संदेश दिया और लोगों को जागरूक किया।

यात्रा का मार्ग

बाबा आमटे और उनके अनुयायियों ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा की। उन्होंने रास्ते में हजारों लोगों से मुलाकात की, सभाएँ कीं और समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया।

बाबा आमटे की अन्य प्रमुख उपलब्धियाँ

  1. आनंदवन की स्थापना: यह एक मॉडल पुनर्वास केंद्र बन गया, जहाँ कुष्ठ रोगियों को आत्मनिर्भर बनाया जाता है।
  2. महात्मा गांधी से प्रेरणा: उन्होंने गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में अपनाया और सामाजिक सेवा को ही अपना धर्म बना लिया।
  3. सामाजिक कार्य: उन्होंने महिलाओं, आदिवासियों और विकलांगों के अधिकारों के लिए भी काम किया।
  4. संयुक्त राष्ट्र द्वारा सम्मानित: बाबा आमटे को उनके कार्यों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले, जिनमें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और टेम्पलटन पुरस्कार शामिल हैं।

बाबा आमटे

बाबा आमटे का जीवन दर्शन और विचार

बाबा आमटे मानते थे कि सेवा ही सच्ची पूजा है। उनका जीवन दर्शन था:

  • “काम करना ही असली इबादत है।”
  • “दीन-दुखियों की सेवा करना ही मानवता की सबसे बड़ी पहचान है।”
  • “डर को मिटाओ, क्योंकि डर ही सबसे बड़ी गुलामी है।”

उनका मानना था कि समाज के उपेक्षित और कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाए बिना देश का विकास संभव नहीं है।

बाबा आमटे की विरासत

बाबा आमटे ने अपने जीवन में जो कार्य किए, वे आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। उनकी विरासत को उनके बेटे प्रकाश आमटे और मंदाकिनी आमटे आगे बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने हेमलकसा प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जो आदिवासी कल्याण और चिकित्सा सेवा के लिए समर्पित है। बाबा आमटे के विचार आज भी सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहे हैं।

बाबा आमटे का जीवन त्याग, सेवा और मानवता की मिसाल है। उन्होंने एक समृद्ध जीवन छोड़कर गरीबों, कुष्ठ रोगियों और वंचितों की सेवा को अपना धर्म बना लिया।

5000 किलोमीटर की उनकी पदयात्रा केवल एक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह सामाजिक न्याय, राष्ट्रीय एकता और पर्यावरण संरक्षण का एक संदेश थी।

आज, जब समाज में जातिवाद, सांप्रदायिकता और असमानता जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं, बाबा आमटे के विचार और उनके कार्य हमें यह सिखाते हैं कि हम अपने प्रयासों से समाज में बदलाव ला सकते हैं।

उनका जीवन हमें यही संदेश देता है—“सेवा सबसे बड़ी साधना है, और परोपकार सबसे बड़ा धर्म।”

मध्य प्रदेश: हिंदू लड़की से शादी के लिए कोर्ट पहुंचा मुस्लिम युवक, हिंदू संगठनों ने किया हंगामा

मध्य प्रदेश: हिंदू लड़की से शादी के लिए कोर्ट पहुंचा मुस्लिम युवक, हिंदू संगठनों ने किया हंगामा

हिंदू

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक अंतरधार्मिक विवाह का मामला उस समय विवादों में घिर गया जब एक मुस्लिम युवक अपनी हिंदू प्रेमिका के साथ कोर्ट मैरिज के लिए जिला अदालत पहुंचा। जैसे ही इस घटना की जानकारी हिंदू संगठनों को लगी, उन्होंने अदालत परिसर में हंगामा कर दिया। इस दौरान युवक के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट भी की गई। मामले ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी बहस को जन्म दिया है।

क्या है पूरा मामला?

भोपाल निवासी शहजाद अहमद नामक युवक अपनी हिंदू प्रेमिका के साथ जिला अदालत पहुंचा था। दोनों शादी करने की योजना बना रहे थे और इसके लिए उन्होंने कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, हिंदू संगठनों को जब इस बारे में पता चला, तो वे मौके पर पहुंच गए और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, संगठन के सदस्यों ने युवक को घेर लिया और उसकी मंशा पर सवाल उठाते हुए उसे धमकाने लगे। बाद में, मामला बढ़ते-बढ़ते धक्का-मुक्की और हाथापाई तक पहुंच गया।

हिंदू संगठनों का आरोप: ‘लव जिहाद’ का मामला?

विरोध कर रहे हिंदू संगठनों ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया। संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने आरोप लगाया कि युवक पिछले तीन वर्षों से युवती के साथ संबंध में था, जब वह नाबालिग थी। उन्होंने दावा किया कि युवती को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा था।

तिवारी ने कहा,
“हम ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह लव जिहाद का एक और उदाहरण है, जिसमें हिंदू लड़कियों को झांसे में लेकर शादी के नाम पर उनके धर्म परिवर्तन की कोशिश की जाती है।”

हालांकि, युवती ने पुलिस को दिए अपने बयान में इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह अपनी मर्जी से शादी कर रही है।

हिंदू

पुलिस की कार्रवाई

कोर्ट परिसर में बढ़ते हंगामे को देखते हुए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस ने युवक और युवती को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें हिरासत में ले लिया। दोनों से पूछताछ की गई और उनके परिवारों से संपर्क किया गया।

भोपाल पुलिस के एक अधिकारी ने बताया,
“हमने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं। शुरुआती जांच में युवती ने कहा है कि वह अपनी मर्जी से शादी कर रही है और उस पर कोई दबाव नहीं है। फिलहाल, मामले की गहन जांच की जा रही है।”

सोशल मीडिया पर मामला गर्माया

यह घटना सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गई। इस मुद्दे पर लोग दो धड़ों में बंटे नजर आए—कुछ लोगों ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया, जबकि अन्य ने इसे दो वयस्कों के निजी फैसले में बाहरी हस्तक्षेप करार दिया।

एक ट्विटर यूजर ने लिखा,
“अगर दो लोग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं, तो किसी को इसमें दखल देने का हक नहीं होना चाहिए। यह उनकी निजी जिंदगी का मामला है।”

वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा,
“लव जिहाद के मामलों को रोकना जरूरी है। सरकार को इस पर सख्त कानून लागू करना चाहिए।”

अंतरधार्मिक विवाह और कानून

भारत में विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act, 1954) के तहत विभिन्न धर्मों के लोग बिना धर्म बदले शादी कर सकते हैं। हालांकि, इस कानून के तहत शादी करने के लिए 30 दिन पहले विवाह का नोटिस देना होता है, ताकि अगर किसी को कोई आपत्ति हो, तो वह दर्ज की जा सके।

मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून लागू किया है, जिसे ‘मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2021’ कहा जाता है। इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति धोखे से, दबाव डालकर, या झांसा देकर किसी का धर्म परिवर्तन करवाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है।

इस मामले में भी पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या युवती पर किसी प्रकार का दबाव था या नहीं।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रियाएँ आई हैं।

बीजेपी का रुख:

मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने कहा,
“हम प्रदेश में लव जिहाद को बढ़ावा नहीं देने देंगे। अगर कोई धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

कांग्रेस की प्रतिक्रिया:

वहीं, कांग्रेस ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला बताया और सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,
“अगर दो वयस्क सहमति से शादी कर रहे हैं, तो किसी को भी इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। बीजेपी सरकार बेवजह समाज में ध्रुवीकरण कर रही है।”

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएँ

यह कोई पहला मामला नहीं है जब अंतरधार्मिक विवाह को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें हिंदू संगठनों ने मुस्लिम युवकों पर हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है।

हाल ही में उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी इसी तरह के मामले सामने आए थे, जहाँ पुलिस ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों से पूछताछ की थी।

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क्या कहता है समाज?

समाज में इस तरह के मामलों को लेकर दो तरह की राय देखी जाती है। एक वर्ग मानता है कि शादी पूरी तरह से व्यक्तिगत मामला है और इसमें किसी भी बाहरी संगठन या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का हक नहीं होना चाहिए।

वहीं, दूसरा वर्ग ‘लव जिहाद’ को गंभीर मुद्दा मानता है और इसे रोकने के लिए सख्त कानूनों की मांग करता है।

भोपाल विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर डॉ. अंजलि मिश्रा कहती हैं,
“समाज में विश्वास और आपसी समरसता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि धर्म और विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति न की जाए। हर व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है, लेकिन जबरदस्ती या धोखाधड़ी से हुए धर्म परिवर्तन पर कानून का सख्त होना जरूरी है।”

यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। अंतरधार्मिक विवाहों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि समाज में अभी भी धार्मिक आधार पर गहरे मतभेद मौजूद हैं।

आने वाले दिनों में पुलिस की जांच से स्पष्ट हो पाएगा कि यह वास्तव में एक प्रेम विवाह का मामला था या इसमें किसी प्रकार का दबाव था। लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने एक बार फिर ‘लव जिहाद’ और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बहस को हवा दे दी है।